Thursday, 25 January 2024

श्री राम और उन का मंदिर - मेरी कुछ आपत्तियां

स्त्रियों को चाहिए कि वो राम को नकार दें। क्या वो राम जैसा पति चाहेगी, जिसके साथ वो तो जंगल-जंगल भटकें लेकिन पति उन्हें जंगल में छोड़ दे? वो भी तब, जब वो प्रेग्नेंट हो. हालाँकि मैं "जय श्री राम" के नारे का विरोध करता हूँ क्योंकि यह राम की विजय की घोषणा करता है और राम अब नहीं रहे, इसलिए ऐसे नारे लगाने का कोई मतलब नहीं है लेकिन मैं एक अन्य आधार पर "जय सिया राम" के नारे का विरोध करता हूँ। सीता को राम के साथ जोड़ना तथ्यात्मक नहीं है। राम ने स्वयं सीता को जंगल में छोड़ दिया था। उसके बाद वह जंगल में रहती है, जंगल में ही उन की मृत्यु हो जाती है। और यहां हिंदू सीता को राम से जोड़ रहे हैं?

राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था, सीता को नहीं। फिर भी वह राम के साथ जंगल की ओर प्रस्थान कर गई। लेकिन यदि अयोध्यावासियों को सीता के आचरण पर किसी तरह का संदेह था तो राम सीता के साथ जंगल क्यों नहीं चले गये? नहीं, इस बार उन्होंने गर्भवती सीता को जंगलों में मरने के लिए छोड़ दिया। मर्यादा पुरूषोत्तम राम. पुरुषों में महान, राम।
रावण के मारने के बाद राम ने जो शब्द सीता को कहे थे, वो बहुत अपमान जनक थे, आप भी देखिए और फिर कहिएगा, "जय सिया राम":---
"आपको बता दें कि युद्ध के रूप में यह प्रयास, जो मेरे दोस्तों की ताकत के कारण सफलतापूर्वक किया गया है, आपके लिए नहीं किया गया था। आपकी समृद्धि हो! यह मेरे द्वारा किया गया था मैं अपने अच्छे आचरण को बनाए रखूं और हर तरफ से बुराई-बोलने के साथ-साथ अपने गौरवशाली वंश पर लगे कलंक को भी मिटा दूं।''
"तुम अपने चरित्र पर संदेह करके मेरे सामने खड़ी हो, मेरे लिए अत्यंत अप्रिय हो, यहां तक ​​कि किसी ऐसे व्यक्ति के लिए प्रकाश के समान हो जो कम दृष्टि से पीड़ित हो।"
"हे सीता! इसीलिए, मैं अब तुम्हें अनुमति दे रहा हूं। तुम जहां चाहो जाओ। ये सभी दस दिशाएं तुम्हारे लिए खुली हैं, मेरी प्रिय महिला! तुमसे मुझे कोई काम नहीं करना है।"
"कौन महान व्यक्ति, जो एक प्रतिष्ठित कुल में पैदा हुआ था, उत्सुक मन से, दूसरे के घर में रहने वाली महिला को वापस ले जाएगा?
"अपने वंश के बारे में बहुत कुछ बताते हुए, मैं आपको फिर से कैसे स्वीकार कर सकता हूं, जो रावण की गोद में (उसके द्वारा उठाए जाने के दौरान) परेशान थे और जिन्हें (उसने) बुरी नजर से देखा था?"
"तुम्हें मैंने इसी उद्देश्य से जीता था (अर्थात अपने खोए हुए सम्मान की पुनः प्राप्ति)। मेरे द्वारा सम्मान वापस दिलाया गया है। मेरे लिए, तुममें कोई गहन लगाव नहीं है। तुम यहाँ से जहाँ चाहो जा सकते हो."
"हे Gracious महिला! इसलिए, यह बात आज मैंने संकल्पित मन से कही है। आप अपनी सहजता के अनुसार लक्ष्मण या भरत पर ध्यान दें।"
"हे सीता! अन्यथा, अपना मन या तो शत्रुघ्न पर या सुग्रीव पर या राक्षस विभीषण पर लगाओ; या अपनी सुविधा के अनुसार।"
"सुंदर रूप से संपन्न और इंद्रियों से आकर्षक आपको अपने निवास में लंबे समय तक हिरासत में देखकर, रावण आपका वियोग सहन नहीं कर सका होगा।"
Book VI : Yuddha Kanda - Book Of War
Chapter [Sarga] 115
Verses converted to UTF-8, Nov 09
Valimiki Ramayan
यह "प्राण प्रतिष्ठा" समारोह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि मनुष्य ही भगवान को जन्म देते हैं, न कि भगवान मनुष्य को जन्म देते हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 51A के मुताबिक भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा--वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद तथा जांच एवं सुधार की भावना का विकास करना;
क्या "प्राण प्रतिष्ठा" का कार्य तार्किकता फैलाने का कार्य था या अंधविश्वास फैलाने का? अंधविश्वास. बिल्कुल. इस तरह से किसी भी मूर्ति को जीवंत नहीं बनाया जा सकता. रामलला की मूर्ति को भी नहीं? वह ज्यों का त्यों खड़ी रहेगी।
श्री मोदी ने राम मंदिर का उद्घाटन किया है।
अच्छा?
क्या यह धर्मनिरपेक्ष राज्य है या नहीं?
हाँ है।
क्या इसका मतलब यह नहीं है कि इस राज्य के राजनेताओं का official व्यवहार धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए?
हाँ होना चाहिए।
तो क्या श्री मोदी द्वारा officially राम मंदिर का उद्घाटन एक धर्मनिरपेक्ष कार्य था?
नहीं था।
बीजेपी ने संविधान के खिलाफ काम किया है.

श्री मोदी ने कहा कि राम भारत का विचार है। नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। यहां आस्तिक हैं, नास्तिक भी हैं। यहां कबीरपंथी भी हैं। यहां ओशो को समझने वाले भी हैं। यहां राम दवारा सीता को दिए गए वनवास का विरोध करने वाले भी हैं। यहां तो रावण को पूजने वाले भी हैं। केवल राम ही राम नहीं है भारत का विचार। यहाँ हम भी हैं। और हमारे जैसे और भी बहुतेरे हैं।

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