मोदी जी ने शपथ ले ली फिर से कल प्रधान मंत्री पद की. डिक्टेटरों चुने हैं कल पांच साल के लिए. कैसे? क्या भारत में सच में डेमोक्रेसी है? क्या भारत सच में दुनिया की बड़ी, सब से बड़ी डेमोक्रेसी है? नहीं. नहीं है. यह जनतंत्र नहीं, धनतंत्र है और डेमोक्रेसी के नाम पर हम पर लाद दिए जाते हैं डिक्टेटर जो एक बार सीट पर बैठने के बाद हमारी कतई नहीं सुनते . म्युनिसिपेलिटी का कौंसिल्लोर तक तो अपनी शकल नहीं दिखाता जीतने के बाद और MLA/MP का तो कहना ही क्या? चुने गए नेता लोग पांच साल तक क्या फैसले लेते हैं, इन फैसलों पर डायरेक्टली जनता का कण्ट्रोल न के बराबर ही रहता है. जनता की राय भी लेना भी सही नहीं समझते ये लोग.और न ही किये गए वायदे न निभाने पर जनता अपना वोट इन से वापिस मांग सकती है. इसलिए कोई भी आये, आप जनता हैं और जनता ही रहेंगे. गरीब जनता, तेरा कुछ नहीं बनता.
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