Friday 14 June 2024

बोल कि लब आज़ाद हैं तिरे.. क्या सच में?

हम किसी तथाकथित वैश्विक बीमारी के अस्तित्व पर, फिर उस के तथाकथित इलाज पर आवाज़ उठा दें तो हमारी आवाज़ ही बंद कर दी जाये, हम किसी तथाकथित धर्म/मज़हब के खिलाफ उसी कि किताब में से ही निकाल कुछ लिख दें तो हम पर मुकदद्मा हो जाये, हम किसी तथाकथित आसमानी किताब को ज़मीनी किताब बोल दें, किसी पैगम्बर को मानने से इनकार कर दें तो हाय -तौबा हो जाये, और हम आज़ाद हैं, हमारे लब आज़ाद हैं? बोल की लब अज़्ज़ाद हैं तेरे. बोल लेकिन बोल लिमिट में, नहीं तो आंटी पुलिस बुला लेगी.

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