अक्ख लड़ी बदो-बदी-क्या बकवास है यह?

चाहत फ़तेह अली खान--- बड़ो बड़ी फेम. नकली लोग, नकली गायन. फेमस होने के लिए कुछ भी कचरा फेंके जा रहे हैं लोग सोशल मीडिया पर.   नूरजहां के क्लासिक गाने की ऐसे-तैसी फेर दी और इस का गायन.. इस का गायन असल में गायन  तो है भी  नहीं, गायन की इंसल्ट है, गायन की भद्द है,  अरे फेमस होना है तो राहत फ़तेह अली खान बनो, नुसरत साहेब के चेले बनो  सीखो पहले  कुछ.  ये क्या था, जो तुम ने फेंका यूट्यूब पर? कूड़ा!

"सेल्फी मैंने ले ली आज" याद भी नहीं होगी आप को तो शायद. ढिंचक पूजा. आई और चली गयी.

"सो ब्यूटीफुल, सो एलिगेंट,  लुकिंग लाइक ऎ वाओ" वाली  बहन  जी भी भूल गए होवोगे आप शायद.

"काचा  बादाम, भैया काचा बादाम" वाले भाई साहेब वो भी कितनों को याद होंगे अब? 

ऐसे कितने ही लोग आये और गायब हो गए, कितने ही आएंगे ...बुलबुले हैं . ..  आएंगे और जाएंगे. १०-१५ दिन की मश्हूरी.

वैसे मशहूर  होने के लिए लोग नेताओं को थप्पड़ मार रहे हैं. खैर, वो तो पड़ने भी चाहिए इन को.

लेकिन कुछ भी अंत-शंट कर रहे हैं लोग फेमस होने को. .   ज़्यादा दिन चलता नहीं यह सब .. सोशल मीडिया ने पावर दी है आम आदमी को भी ..  भाई उस पावर को सही प्रयोग  करो, दुनिया को कुछ अच्छा दो  तभी तो दुनिया वापिस तुम्हें कुछ देगी.  आई बात समझ में.

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