Monday 9 September 2024

सिक्खी और इस्लाम में कुछ-कुछ समानताएँ


हालाँकि बहुत से हिन्दू मानते हैं कि सिक्ख हिन्दू ही हैं. उन को सिक्खी में हिंन्दू झलक दीखती हैं. लेकिन मुझे सिक्खी में मुस्लिम झलक भी दिखती हैं.


मिसाल के लिए हिन्दू की कोई ठीक-ठीक पहचान नहीं है लेकिन सिक्ख की पहचान है. केश, पगड़ी. ऐसे ही मुस्लिम भी ज़्यादातर पहचाने जाते हैं. औरतें चाहे भीख मांग रही हों, उन का सर ढका होगा और काले कपड़े से अक्सर ढका होगा. ऐसे ही मुस्लिम जीन्स भी पहने होंगे तो टखनों से ऊपर. दाढ़ी होगी, तो मूंछ नहीं होगी. दाढ़ी में भी खत लगे होंगे. या फिर गोल टोपी. कुछ न कुछ पहचान होगी.

मुस्लिम इस्लाम, क़ुरआन और "रसूल-अल्लाह नबी हज़रत मोहम्मद साहेब जी" की शान में गुस्ताख़ी बर्दाश्त नहीं करते, कुछ-कुछ वैसा ही कांसेप्ट सिक्खी में आ गया है. "बेअदबी" का. और कुछ लोग क़त्ल भी कर दिए गए हैं इस तथा-कथित "बेअदबी" की वजह से.

जब कि तथा-कथित हिन्दू समाज में "ईश-निंदा" सिर्फ एक शब्द है, यथार्थ में "ईश-निंदा" का कोई कांसेप्ट नहीं है. हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां कूड़े में फेंकी हुई मिलेंगी. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. हिन्दू अपनी मान्यताओं को जीने-मरने का सवाल मानते ही नहीं. यह कांसेप्ट इस्लाम में है. ब्लासफेमी. और इस की सजा "सर तन से जुदा". वही सिक्खी ने सीख लिया. बेअदबी. कत्ल.

जैसे इस्लाम की एक किताब है- क़ुरआन शरीफ़. ऐसे ही सिक्खी की एक किताब है- श्री गुरु ग्रंथ साहेब. क़ुरआन को अल्लाह का संदेश माना जाता है. अल्लाह के ही शब्द माने जाते हैं ऐसे ही गुरु बाणी को भी "धुर की बाणी" (The Voice of the Ultimate) माना जाता है.

ये कुछ समानताएं मुझे नज़र आ रही हैं. बाकी आप बताओ या फिर मैं गलत कहाँ हूँ, वो बताओ.
खालिस्तान के पीछे इस्लाम है:-
कई सिखों की मानसिकता खालिस्तानी है। मुझे लगता है, इस सबके पीछे भी इस्लाम है.
भिंडरावाले और उससे पहले के दौर में खालिस्तानियों को एके-47, रॉकेट लॉन्चर, बम कौन दे रहा था?
पाकिस्तान.
पंजाब भारत का सीमावर्ती राज्य है। इन सभी चीजों को पाकिस्तान से भारत में तस्करी करना बहुत आसान था।
और
पाकिस्तान के पीछे कौन था?
बेशक "इस्लाम".
खालिस्तान के पीछे इस्लाम है.
डिप्रेशन जहर है. चिंता चिता बराबर है. डिप्रेशन हत्यारा है. यह खुद को बीमारियों के पीछे छिपा लेता है। और लोग यह मानने लगते हैं कि वे दिल का दौरा, मस्तिष्क क्षति, पक्षाघात, मधुमेह आदि से मारे जा रहे हैं। नहीं, आप इन बीमारियों से नहीं मर रहे हैं। लेकिन इन बीमारियों के Creator द्वारा मर रहे हैं.
और वह है "डिप्रेशन".
और यही इस्लाम कर रहा है.
इस्लाम बहुत चालाक है. इसे जहां जगह मिलती है, वहीं छिप जाता है।
खालिस्तान, संविधान, रवीश कुमार, ध्रुव राठी, कांग्रेस, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, कांग्रेस, राहुल गाँधी, केजरीवाल... इस्लाम किसी भी विचारधारा, किसी भी नाम के पीछे छिप सकता है।
सावधान!
Tushar Cosmic

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