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इस्लाम की दावत और इस्लाम को कबूल लेना

  वो इस्लाम कबूल करने की दावत देते फिरते हैं. हुंह. थोडा सा कंफ्यूज हूँ. इस्लाम कोई खाने की चीज़ है, जिसकी दावत दी जा रही है? या इस्लाम कोई गुनाह जिसे कबूल करने को कहा जा रहा है? आप बताईयेगा

भारतीय मनीषा और इस्लामिक सोच का फर्क

  एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति. Truth is one, the wise perceive it differently. सत्य एक ही है लेकिन ज्ञानीजन अलग-अलग ढंग से कहते हैं ......यह भारतीय मनीषा है. और "एको अहं, द्वितीयो नास्ति" यानि मैं ही मैं हूँ, दूसरा कोई नहीं, यह इस्लामिक सोच है

मास्क गुलामी की निशानी

  कहीं सुना मैंने, "मास्क लगवाना ऐसे ही जैसे मुस्लिम युद्ध में जीती हुई औरतों को अलग से पहचान के लिए नत्थ पहना दी जाती थी."

हिन्दू समाज बुनियादी तौर पे अवैज्ञानिक है

 मैंने लिखा, हिन्दू समाज बुनियादी तौर पे अवैज्ञानिक है, इस के कुछ सबूत देता हूँ.  आप लोगों की फेसबुक/व्हाट्सएप्प फ़ोटो देखो, लोग गुरु, देवी-देवता या  धार्मिक चिन्ह चिपकाए होंगे. कोई किसी वैज्ञानिक का फोटो न लगाता कभी.  आप स्कूल-कॉलेज के नाम देखो, शायद ही कोई किसी वैज्ञानिक के नाम पर हो.  लोग कथा-कीर्तन करवाते नज़र आएंगे लेकिन वैज्ञानिक संगोष्टी शायद ही कोई गली/मोहल्ले में करवाए. हम एक बौड़म समाज हैं. जिस का साहित्य, कला, विज्ञान से बस दूर-दराज के ही नाता है. वैसे हम विश्वगुरु हैं 

मोदी सरकार आगे बहुमत में न आ पाए, इस का प्रयास करें..क्यों? देखिये ...

 चूंकि मोदी ने WHO का एजेंडा भर्तियों पर थोपा. भारतीयों को उस एजेंडा का पालन न करने पे दण्डित किया, घरों में बंद किया, कारोबार बंद किये, जबरन वैक्सीन थोपी. विचार ही नहीं करने दिया कि कोरोना असली है या नकली. कोरोना के खिलाफ खुला प्रदर्शन तक नहीं करने दिए. सिर्फ इन्ही वजहों से मोदी सरकार आगे बहुमत में न आ पाए, इस का प्रयास करें. वोट उसे दें जो कोरोना  फरोना न थोपने का वायदा करे.

इस्लाम का पहला शिकार मुसलमान है

मैंने हमेशा कहा है, "इस्लाम का पहला शिकार मुसलमान है." नहीं समझ आया? आज का अफगानिस्तान देख लो.  इस्लाम नाफ़िज़ हुआ जा रहा है और मुसलमान भाग रहा है. 

Online Versus Offline Business

 क्या आप ने कभी दिल्ली में ऑटो रिक्शा लिया है, लेने का प्रयास किया है?  ये लोग अक्सर मीटर से ज़्यादा पैसे मांगते हैं.  क्या आप ने किसी दूकानदार  से लिए सामान को वापिस देने की कोशिश की है? या एक्सचेंज करवाने की कोशिश ही की है?  इन की नानी मर जाती है. तमाम बहस करेंगे आप के साथ. पूरी कोशिश करेंगे कि आप की गलती साबित कर दें.  ओला उबेर आपको आज ऑटो जितने खर्चे पे कार मुहैया करवा रहा है.  अमेज़न से ली अधिकांश चीज़ें आप एक समय तक वापिस कर सकते हैं, कोई सवाल नहीं. फिर भी लोग कहते हैं कि बड़ी कम्पनियां हमारा बिज़नेस खा रही हैं. इडियट्स. 

Oldness is deep-rooted in our culture.

 We are a bunch of Idiots. Whether an individual is 8 or 18 or 80 years of age. We call him old. 8 years old, 18 years old, 80 years old. Oldness is deep-rooted in our culture. No childhood, no youth. Only oldness. We are idiots.

Intelligence and Free-will

Intelligence and Free-will  are  2 Great Gifts given by the Nature to the human beings  which separate them from the animals. So Use both.  Use freely and use intelligently.

2 Great Gifts to the human beings

Intelligence and Free-will  are 2 Great Gifts given by the Nature to the human beings  which separate them from the animals. So Use both.  Use freely and use intelligently. ~ Tushar Cosmic ~

चोर को मत मारो, चोर की माँ को मारो.

"चोर को मत मारो, चोर की माँ को मारो." कहावत है एक कहानी मेरे पिता सुनाते थे एक बार एक चोर पकड़ा गया चोरी करते हुए, हुक्म हुआ राजा का कि चोर के हाथ काट दिए जाएँ. जिन हाथों से चोरी करता है, वो हाथ काट दिए जाएँ. चोर ने सर झुका के बोला, "जनाब लेकिन गुनाहगार मेरे हाथ नहीं हैं." "तो फिर कौन है?" चोर ने कहा, "मेरी माँ को बुला दीजिए, पता लग जायेगा." माँ को बुला दिया गया. जैसे ही चोर की माँ चोर के सामने आई, चोर ने माँ के मुंह पे थूक दिया और बोला, "जनाब मेरी माँ है असल गुनाहगार. सजा इसे दीजिये. " "कैसे? "ऐसे चूँकि जब मैं पहली बार चोरी कर के आया तो मेरी माँ ने मेरे मुँह अपर थूका नहीं, बल्कि इस ने हसंते हुए मुझे सपोर्ट किया. वो जो थूक मैंने फेंकी, वो यदि मेरी माँ ने मेरी चोरी पर फेंकी होती तो आज मैं इस कटघरे में न खड़ा होता. असल गुनाहगार माँ है" राजा ने चोर को छोड़ दिया और माँ को सजा दी असल गुनाहगार माँ है माँ कौन है. कुरान हदीस इन पर तर्क से , एक एक आयत, एक एक घटना को तर्कपूर्ण छीन-भिन्न कर देना चाहिए पूरी दुनिया में. इतना कि इन को जवा...

जायेगा तो मोदी ही

हालाँकि मैं इस लोकतंत्र से बनी सरकारों को जनता कई प्रतिनिधि ही नहीं मानता. वैकल्पिक व्यवस्था मैंने दे रखी है. जिसे बहुत कम लोगों ने देखा, सुना. ******************************** खैर, वर्तमान व्यवस्था में मैने जो समझा वो यह कि इस्लाम के अंधेरों से बचाने के लिए मोदी सरकार ही सही है. लेकिन यह सरकार बाकी सब मुद्दों पर फेल है. इनको कुछ नहीं पता क्या काम करना है, कैसे करना है. कोई ट्रेनिंग नहीं. आरएसएस की शाखाओं में भी नहीं. बस मौज मार रहे हैं इडियट्स. और सबसे बड़ी बात, मोदी सरकार आज वैसे ही घमण्ड में दिखती है जैसे एक समय कांग्रेस दिखती थी. हो सकता है कृषि कानून सही हों, लेकिन विरोध में बैठे किसानों को भी कोई हल देना बनता था, बनता है कि नहीं? इन कानूनों को राज्य सरकारों के ऊपर क्यों नहीं छोड़ दिया गया? और इन कानूनों का जब विरोध शुरू हुआ तो जन-जन में जा कर, गली-गली जा कर इन कानूनों के विरोध में उठते पॉइंट्स को क्लियर क्यों नहीं किया गया? और फिर इन कानूनों पर ही जनता का वोट क्यों नहीं ले लिया गया? यदि किसी राज्य विशेष के लोग नहीं चाहते कि इन कानूनों से जो विकास मिलना है वो मिले तो क्यों जबरन उस...

Holy-shit

  ईसाई रविवार को छुट्टी रखते थे और चर्च जाते थे. सो इन्होने इस दिन को Holiday कहना शुरू कर दिया. लेकिन जैसे-जैसे ईसाईयों में धर्म के प्रति मोह घटना शुरू हुआ तो वहां Holy-crap यानि पवित्र कचरा और Holy-shit यानि पवित्र टट्टी जैसे शब्द भी चलन में आ गए. .... हमारे यहाँ पता नहीं ऐसा कब होगा?

जन्नत की हकीकत

  "जानते हैं जन्नत की हकीकत हम भी ए ग़ालिब. मगर दिल के बहलाने को ख्याल अच्छा है."

इस्लाम अमन-पसंद है?

1450 सालों से तीर-तलवार, बम-बनूक से मुस्लिम दुनिया को समझा रहे हैं कि इस्लाम अमन का दीन है, लेकिन अभी भी दुनिया के बहुत से ढीठ लोग मान ही नहीं रहे. बिला शक 50 से ज़्यादा मुल्क तो मान गयें है. वाह! वल्लाह!! सुभान-अल्लाह!! माशा-अल्लाह!!! अल्हम्दुलिल्लाह!!! बाकी भी मान जाएंगे. इंशा-अल्लाह!!!! तुषार कॉस्मिक