Monday, 22 October 2018

Biological Waste (जैविक कचरा)

Biological Waste (जैविक कचरा). शायद ही पढ़ा हो आपने कहीं ये शब्द. जब पढ़े नहीं तो मतलब भी शायद ही समझें. 'ब्लू व्हेल चैलेंज'....यह ज़रूर पढ़ा होगा आपने. इस खेल को खेलने वाले बहुत से लोगों ने आत्म-हत्या कर ली. पकड़े जाने पर जब इस खेल को बनाने वाले से पूछा गया कि क्यों बनाई यह खेल? एक खेल जिसे खेलते खेलते लोग जान से हाथ धो बैठें, क्यों बनाई? जवाब सुन के आप हैरान हो जायेंगे. जवाब था, "जो इस खेल को खेलते हुए मर जाते हैं, वो मरने के ही लायक होते हैं. उनका जीवन निरर्थक है. वो Biological Waste (जैविक कचरा) हैं. और मैं कचरा साफ़ करने वाला हूँ." ह्म्म्म..........क्या लगा आपको? यह ज़रूर कोई फ़िल्मी विलेन है. नहीं. मेरी नज़र में यह व्यक्ति बहुत ही कीमती है. और वो जो कह रहा है, वो बड़ा माने रखता है. अब ये जो लोग मारे गए, अमृतसर में रावण जलता देखते हुए. कौन हैं ये लोग? Biological Waste (जैविक कचरा). इनके जीने-मरने से क्या फर्क पड़ता है? इनका क्या योग दान है इस धरती को? इस कायनात को? बीस-पचास साल इस धरती का उपभोग करते. खाते-पीते-हगते-मूतते और अपने पीछे अपने जैसों की ही फ़ौज छोड़ जाते. इंसानियत को, जंगलात को, हवा को, पानी को, पशुओं को, पक्षियों को, कायनात को क्या फायदा था इनके होने से? कौन सा साहित्य रच जाते? कौन सा गीत-संगीत दे जाते इस दुनिया को?कौन सा ज्ञान -विज्ञान प्रदान कर जाते? मूर्ख लोग. जिनकी अक्ल मात्र बचकानी चीज़ों में अटकी है, जिनको होश नहीं कि वो खड़े कहाँ हैं? खड़े क्यों हैं? ऐसी भीड़ का क्या फायदा? सो ज्यादा चिल्ल-पों न मचाएं. "होई वही जो राम रच राखा." "भगवान-जगन नाथ के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता. जीवन मरण सब उस के हाथ है." "जिसकी जितनी लिखी होती है, वो उतने ही साँस लेता है, न एक पल ज्यादा न कम. बाकी आप सब खुद समझ-दार हैं. मुझे तो वो ट्रेन और 'ब्लू व्हेल चैलेंज बनाने वाले एक ही जैसे दीखते हैं. Biological Waste (जैविक कचरा) साफ़ करने वाले. नमन...तुषार कॉस्मिक

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