आबादी बहुत बढ़ गई है.....मैं इंसानों की नहीं, कुत्तों की आबादी की बात कर रहा हूँ. वैसे तो कुत्तो की आबादी भी इसलिए बढ़ी है क्योंकि बेवकूफ इंसानों की आबादी बढ़ी है। आज शहरों में कुत्ता इन्सान का बेस्ट फ्रेंड नहीं बल्कि एक जबर्दस्त दुश्मन बन चुका है।
ये दीगर बात है कि इन्सान भी खुद का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है...तो मैं कुत्तों को कूट रही थी...
किसी ज़माने में जब घर बड़े थे और गाँव छोटे तो, जगह थी इन्सान के पास और ज़रूरत भी थी। कुत्ता एक साथी की तरह , चौकीदार की तरह इन्सान की मदद करता था। लेकिन अब जब चौकीदार ही चोर हो....मतलब जब शहर बड़े और घर छोटे हो गए तो अब कुत्ते मात्र सजावट के लिए रखे जाते हैं। भला तेरा कुत्ता मेरे कुत्ते से ज्यादा कुत्ता कैसे?
एक और वजह है. खास करके हिन्दू समाज में. हिन्दू औरतों को कोई भी बाबा, पंडित, मौलवी आसानी से बहका सकता है.......घर में बरकत नहीं, पति बीमार है, बच्चा बार-बार फेल होता है तो जाओ काले कुत्ते को रोज़ दूध पिलाओ.....जाओ, पीले कुत्ते को रोज़ खिचड़ी खिलाओ.....बस ये महिलाएं गली-गली कटोरे ले के कुत्ते ढूंढती हैं....बीमार कुत्तों को दवा देती हैं.....पुण्य का काम है? नहीं. पाप कर रही हैं. इनको worms पडेंगे अगले जन्म में, वो भी जो कुत्तों को पड़ते हैं वो वाले. चूँकि इन्सान हो चाहे कुत्ते......ये सब अब अल्लाह की देन कम हैं डॉक्टर की दी दवा की देन ज्यादा हैं.....अल्लाह तो अगर पैदा करता था तो फिर बीमारी भेज के मार भी देता था...इन्सान ने अल्लाह के नेक काम में दवा बना के बाधा डाल दी.....वो अब मरने नहीं देता......न अपनी औलाद और न कुत्तों की.....वो बीमार नहीं होने देता......अल्लाह के नेक काम में बाधा......इसलिए कीड़े पड़ेंगे.....
खैर, आप मत करिये ऐसा पापकर्म .बीमारी का इलाज करना छोड़ दीजिये, कोई टीकाकरण मत कीजिये. न कुत्तों का न इनसान का.
कुत्ता काट ले इन्सान को, स्वागत कीजिये. भैरों के अवतार ने आप पर कृपा बरसाई है. शुकराना कीजिये. रैबीज़ कुछ नहीं होती... खोखला शब्द है. जय भैरों बाबा की. मौत भी आये तो कोई दिक्कत नहीं है.. और अपने बच्चों को भी वैक्सीन वगैहरा मत दीजिये...चेचक तो वैसे भी "माता" होती है.....स्वागत कीजिये.....पीलिये का धागा तो पंडित जी ही बांध देंगे......सब बढ़िया है.....
क्योंकि आपने अल्लाह, भगवान, गॉड के काम में दखल नहीं देना सो इन्कलाब/जिंदा-बाद...... आने दीजिये संतानों को निरन्तर...चाहे आप की हों चाहे कुत्तों की.....लेकिन बीमारी भी आने दीजिये न.....बीमारी से मौत भी तो आने दीजिये तभी तो बैलेंस बनेगा...... वरना worms पडेंगे आपको.....कुत्तों वाले.....
नमन..तुषार कॉस्मिक
No comments:
Post a Comment