"#पुलवामा-- कारण और निवारण"
मुझे यह दुर्घटना बिलकुल भी खास नहीं लग रही
सिवा इसके कि अब हरेक के हाथ में फोन उबाले मार रहा है
पहले लोग बामुश्किल अखबार/ मैगज़ीन पर भड़ास निकाल पाते थे
एडिटर भी एडिट करता था
अब क्या है?...जो मर्ज़ी बकवास पेल दो...सोशल मीडिया..ज़िंदाबाद
मुझे लगता है कि बीजेपी के नेता नेपाल सिंह ने बिलकुल सही कहा है,
"फौजी मरने के लिए ही होता है. और हरेक मुल्क में, हर समय में फौजी मरते ही हैं. यह उनका जॉब ही है. पहले से ही तय है.इसमें क्या इत्ता हो-हल्ला करना?यह भी युद्ध ही है, गुरिल्ला युद्ध है."
हालांकि गुरिल्ला ऐसी मूर्खता-भरी वजहों से युद्ध करता होगा, इस पर गहन शंका है मुझे.
वैसे ऐसा ही कुछ ॐ पुरी ने भी कहा था तो उसे माफी मांगनी पड़ी थी
बाद में वो मर गया/मारा गया
मेरा तो मानना ही यह है कि कोई तुक नहीं कि मारे गये फौजी की बेटी/बीवी/माँ को दिखाया जाये मुल्क को....
वो सब पहले से ही तय है कि कोई विधवा होगी/कोई अनाथ होगा/ कोई बेटा खोएगा
अब जब तय है तो फिर काहे का बवाल?
बवाल करना ही है तो करो न कि फौजी क्यों है/ फ़ौज क्यों है/ हथियार क्यों हैं?
करो एतराज़!
और जब एतराज़ करोगे तो उसकी वजह समझनी होगी...
वजह है REGION और RELIGION
क्षेत्र-वाद और धर्म-वाद
जब तक ये दोनों हैं दुनिया मुल्कों और धर्मों में बंटी रहेगी...और जब तक दुनिया बंटी रहेगी इंसानियत लाशें ढोती रहेगी.
"शहीद अमर रहे"
"वीर जवान अमर रहे"
यह सब बकवास सुनते रहना होगा....कोई शहीद नहीं होना चाहता.....सब जीना चाहते हैं......जीवन जीने के लिए खुद को पैदा करता है न कि इस तरह से मर जाने के लिए...
न तो इसका इलाज पाकिस्तान पर हमला है, न कुछ कश्मीरियों का कत्ल.....इस सब का एक ही इलाज है दुनिया को REGION और RELIGION की बीमारी से मुक्त करना
तो अगली बार जब आप अपने पंजाबी, हरियाणवी, भारतीय, पाकिस्तानी, अमेरिकी होने का गर्व महसूस करें तो चौंक जाना.....यह खतरनाक है
मैंने बहुत पहले एक विडियो बनाया था...."SINGH IS NOT KING"
मेरा बहुत विरोध हुआ था.
मैंने बहुत समझाया कि जब गुरु कहते हैं, "मानस की जात सबै एको पहचानबो" तो फिर कौन सिंह? कौन किंग?
लेकिन मेरी बात किसी के पल्ले नहीं पड़ी.
खैर, इंसानियत को "क्षेत्रीयता" से छुटकारा पाना ही होगा
और समझना ही होगा कि धर्म से बड़ा कोई अधर्म है ही नहीं.....चूँकि यह दुनिया को टुकड़ों में बांटता है
अब जो लोग हाय-तौबा मचा रहे हैं न इन फौजियों की मौत पर.....उनमें से शायद ही कोई हो जो कारण और निवारण तक जाने की सोच-समझ और हिम्मत रखता हो.....
सो सावधान हो जाईये....मौका परस्त लोगों से.....अगर सच में बदला चाहते हैं इन लाशों का तो अपनी बेवकूफियों की बली दीजिये
कहिये कि आप हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख नहीं हो
कहिये कि आप इस धरती के वासी हो
कहिये कि आपका भारतीय होना, चीनी, नेपाली होना सिर्फ आपके तथा-कथित नेताओं की मूर्खताओं की वजह से है
इससे ज्यादा कुछ भी नहीं
जब तक आप खुद पर लेबल उतार फेकने को तैयार नहीं होंगे, लाशों के दर्शन करते रहेंगे...
और एक बात.....जो आपको बात सीधी सी ही लगे तो बता दूं कि वो सिर्फ इस लिए कि वो होती ही सीधी है....बस चतुर-सुजान लोगों द्वारा उलझा दी गईं हैं......
और अगली बात. जब आपको यह न पता हो कि आपका असल दुश्मन कौन है तो आप कैसे जीतोगे?
जब बीमारी को ही इलाज समझेंगे तो कैसे बीमारी से छुटकारा पायेंगे?
साइकोलॉजी में एक चैप्टर पढ़ाया जाता है......HEREDITY & ENVIRONMENT....
मतलब एक इन्सान की शख्सियत घड़ने में उसके बाप-दादा-पडदादा......यानि पूर्वजों का कितना हाथ है और जिस एनवायरनमेंट में, चौगिरदे में वो रहता है उसका कितना हाथ है....इसकी विषय की स्टडी.
और जहाँ तक मुझे याद पड़ता है......साइकोलॉजी में कहीं नहीं पाया गया कि किसी व्यक्ति कि मान्यताएं HEREDITY की वजह से आती हैं...न...कोई हिन्दू माँ-बाप का बच्चा अगर मुस्लिम घर में पलेगा तो वो मुस्लिम ही बनेगा न कि हिन्दू.....और मुस्लिम माँ-बाप का बच्चा यदि हिन्दू घर में पलेगा तो वो हिन्दू ही बनेगा न कि मुस्लिम........तो कुल मामला सिखावन का है.....एनवायरनमेंट का है.
इसमें आजकल लोग DNA की बकवास भी जोड़ देते हैं.......अबे, DNA रंग-रूप, कद-बुत आदि पर लागू होता है...सोच-समझ पर नहीं.
नानक साहेब के पिता हिन्दू थे...नानक को जनेऊ पहनाने ले गए...नहीं पहना जनेऊ नानक ने.......विरोध किया......उन्होंने हरिद्वार जाकर सूरज की उलटी दिशा में पानी दिया....उन्होंने जगन्नाथ जाकर हो रही आरती का विरोध किया...कहा कि यह पूरा आसमान ही थाल है, और सूरज-चाँद-तारे इसके दीपक है और पूरा नभ-मंडल ही उस परमात्मा की आरती कर रहा है.
मूर्ख हैं वो लोग जो यह समझते हैं कि यह ज़रूरी है कि अगर बाप हिन्दू है तो बेटा भी हिन्दू ही होना चाहिए.
तो कुल मतलब यह कि सब 'सिखावन' है, ऊपर से थोपी गई.....बच्चा कोरी स्लेट है..जो लिखा गया बाद में लिखा गया. और जो लिखा गया वो सदियों की लिखवाट है...वो शास्त्रों की लिखवाट है...बाप-दादा से चली आ रही....चूँकि आपके बाप-दादा मूर्ख थे...उन्होंने कभी सोचा ही नहीं कि सही क्या और गलत क्या है...उन्होंने बस यही सोचा कि चूँकि हमारे बाप-दादा भी ऐसे ही सोचते थे, ऐसे ही जीते थे सो यही सब सही है.....लेकिन असल में यही सब "गलत" है......यही सब आपको सिखाता है कि आप का धर्म सही है, आपका कल्चर सही है, आपका मुल्क सही है.....बाकी सब गलत.....असल में अगर आपको लड़ना है तो इस सिखावन के खिलाफ़...असल में आप जिसे इलाज समझते हैं वो ही आपकी बीमारी के वजह है...असल में आपको अपने शास्त्र से लड़ना है.....असल में आपको हर शास्त्र से लड़ना है....यह लड़ाई शास्त्र को हराने से ही जीती जाएगी...शस्त्र का तो कोई काम है ही नहीं....असल में आपका दुश्मन कोई मुस्लिम, कोई हिन्दू है ही नहीं.......असल में आपका दुश्मन कोई पाकिस्तान, कोई हिंदुस्तान है ही नहीं...असल में आपका दुश्मन कुरान है, पुराण है.... इनको हरा दो, जंग आप जीत ही जायेंगे.
फिर समझ लीजिये....
यदि आपको लगता है कि ये कोई तीर तलवार की जंग थी तो आप गलत हैं
यदि आपको लगता है कि ये कोई तोप बन्दूक की लड़ाई है तो आप गलत हैं
यदि आपको लगता है कि ये कैसे भी अस्त्र-शस्त्र की लड़ाई है तो आप गलत हैं
न...न......फिलोसोफी की लड़ाई है...आइडियोलॉजी की लड़ाई है.....किताब की लड़ाई है.....शास्त्र की लड़ाई है..
ये कुरआन और पुराण की लड़ाई है...... ये आपकी अक्ल पर सवार हैं
सवार है कि किसी भी तरह आपकी अक्ल का स्टीयरिंग थाम लें
सिक्खी में तो कहते है कि जो मन-मुख है वो गलत है और जो गुर-मुख है वो सही है.....आपको पता है पंजाबी लिपि को क्या कहते हैं? गुरमुखी.
मतलब आपका मुख गुरु की तरफ ही होना चाहिए.
असल में हर कोई यही चाहता है.
इस्लाम तो इस्लाम से खारिज आदमी को वाजिबुल-कत्ल मानता है....समझे?
क्या है ये सब?
इस सब में आपको लगता है कि 42 सैनिक मारे जाने कोई बड़ी बात है?
इतिहास उठा कर देखो. लाल है. और वजह है शास्त्र. दीखता है अस्त्र-शस्त्र. चूँकि आप बेवकूफ हो.
चूँकि जब शास्त्र पर प्रहार होगा तो आपकी अपनी अक्ल पर प्रहार होगा...वो आप पर प्रहार होगा....वो आपको बरदाश्त नहीं. इसलिए आप नकली टारगेट ढूंढते हो.
अगर सच में शांति चाहते हो तो कारण समझो. तभी निवारण समझ में आयेगा.
कारण क़ुरान-पुराण-ग्रन्थ-ग्रन्थि है. ये सब विलीन करो. बाकी इंसान ने काफी कुछ भौतिक-रसायन विज्ञान और मनो-समाज-विज्ञान में तरक्की की है. इन सब की मदद से दुनिया काफी-कुछ शांत हो जाएगी.
नमन....तुषार कॉस्मिक
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