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Showing posts from April, 2020

हिन्दू फल की दूकान लिखने पर FIR -सही है क्या?

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बिहार और झारखण्ड से खबरें हैं कि फल की दुकान पर भगवा झंडे लगने पर या हिन्दू शब्द का बैनर लगाने पर FIR लिख दी गईं. चूंकि इससे समाज में शांति भंग हो सकती ही। समाज के विभीन्न  हिस्सों में दुशमनी बढ़ सकती है। धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती हैं। और पता नहीं क्या क्या?  कमाल है भाई! धन्य हैं कंप्लेंट देने वाले और धन्य-धन्य हैं कंप्लेंट लिखने वाले. मैं  हैरान हूँ सामान्य बुद्धि का इस्तेमाल भी नहीं किया गया. किसी ने झंडा लगाया अपने ठेले पे, या बैनर लगाया अपने ठेले पे या अपनी दुकान पे हिन्दू फल की दुकान लिख दिया तो उससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहात हो रही हैं या दंगा बलवा होने का खतरा है. वाह! शाबाश कल यह भी तय कर देना कि कौन से रंग की शर्ट कब पहननी है चूंकि उससे भी तो भार्मिक भावनाएं हर्ट हो सकती हैं.  यदि कोई मुस्लिम से सब्ज़ी फल नहीं नहीं ले रहा तो वो वो अफसरान से मिल रहा है, ज्ञापन दे रहा है. देखिये .....  मतलब मजबूर करोगे कि तुम से सब्ज़ी फल लिया ही जाए?  और मुस्लिम जो सिर्फ हलाल प्रोडक्ट ही प्रयोग कर रहे हैं, तो किसी जैन, किसी बौध, किसी सिक्ख ...

जीवन क्या है, कुदरत का खेल

मेरा पंजाबी पॉडकास्ट है. महान एक्टर इरफ़ान खान की मृत्यु पर यह और भी प्रासंगिक हो गया है. ज़रूर देखिये, सुनिए. और पूरा सुनिए. अपनी राय कमेंट में ज़रूर लिखिए और विडियो शेयर कीजिये और अगर बात पसंद आती हो तो LIKE भी कीजिये.

भक्त कौन है?

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भक्त गोबर-भक्त अंध-भक्त  अँड-भक्त, मोदी-भक्त ... बहुत से शब्द है जो भाजपा  को, मोदी को  सपोर्ट करने वालों के  खिलाफ प्रयोग होते  हैं।  कहा जाता है कि भक्ति-काल चल रहा है. हर हर महादेव सुना था लेकिन हर-हर मोदी, घर-घर मोदी भी सुना फिर।  भक्त मतलब जड़बुद्धि. जिसे तर्क से नहीं समझाया जा सकता. जो तर्क समझता ही नहीं. और  कौन कहता है इनको भक्त? मुस्लिम....... तथाकथित सेक्युलर. लिबरल.  विरोधी पोलिटिकल दल. और कोई भी जिसका मन करे।  गुड. वैरी गुड. तो सज्जन और सज्जननियो।  आईये खुर्दबीनी कर लें. सबसे पहले मुस्लिम को देख लेते हैं. भाई आप से बड़ा भक्त कौन है दुनिया में?  आप तो क़ुरआन, इस्लाम और  मोहम्मद श्रीमान  के खिलाफ  कुछ सोच के, सुन के राज़ी ही नहीं होते. मार-काट हो जाती है. बवाल हो जाता है. दंगा हो जाता है.  पाकिसतन में ब्लासफेमी कानून है.  इस्लाम, क़ुरान, मोहम्मद श्रीमान के खिलाफ बोलने, लिखने पर मृत्यु दंड  है. आप किस मुंह से यह भक्त भक्त चिल्ल पों मचाये रहते हो भाई? और बाकी धर्म-पंथ को मानने वाल...

फल सब्ज़ी बेचने वालों की ID मांगना सही है क्या?

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कल से खबर  तैर रही है  वो यह है कि इंग्लैंड में कोई रेस्टॉरेंट था, जिसके खाने में मानव मल पाया गया और इसे खा कर  कई लोग बीमार हो गए. मूल बात इस रेस्त्रां के मालिक दो मुस्लिम थे, पकड़े गए और इनको सज़ा भी मिली. मैंने  देखा  बीबीसी की साइट पर है. खबर पुराणी है. २०१५ की. अभी क्यों ऊपर आई. सिम्पल चूँकि भारत में कई वीडियो आए जिनमें मुस्लिम सब्ज़ी-फल पर थूकते दिख रहे हैं. कुछ विडियो सच्चे कहे जा रहे हैं, कुछ झूठे. अब आप इस वीडियो देखें. देखा आपने?  मुस्लिम सब्ज़ी विक्रेता डेप्युटी CM को ज्ञापन दे रहे हैं कि लोग उनके मुस्लिम होने की वजह से उनसे सब्ज़ी  नहीं खरीद रहे. मैं  कुछ पॉइंट रख रहा हूँ, आप सोचें, विचारें कि बात कहाँ तक सही है. जिस ने पैसे खर्च करने है, क्या उसका कानूनी अधिकार नहीं कि वो जाने कि  उसने कहाँ खर्च करने हैं कहाँ नहीं? क्या उसका अधिकार नहीं कि वो जाने कि उसने किसे बिज़नेस देना है किसे नहीं? क्या आपको पता नहीं होना चाहिए  कि किस से डील करना है किस से नहीं? क्या होटल में रुकने से पहले हमारी ID  नहीं मांगी जाती?...

धर्म क्या है

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धर्म का हिन्दू-मुसलमान से क्या मतलब?  धर्म का ईशान-सुलेमान से क्या मतलब? धर्म का कुरआन -पुराण से क्या मतलब?  धर्म है विज्ञान ...  धर्म है प्रेम.....  धर्म है नृत्य.....  धर्म है गायन .....  धर्म है नदी का बहना....  धर्म है बादल का टिप टिप बरसना...  धर्म है पहाड़ों का  झर-झर झरना....  धर्म है बच्चों का हँसना......  धर्म है बछिया का टापना.....  धर्म है प्रेम-रत युगल......  धर्म है चिड़िया का कलरव......  धर्म है खुद की खुदाई धर्म है खुद की सिंचाई धर्म है दूसरे का सुख दुःख समझना.....  धर्म है दूसरे में खुद को समझना....  धर्म है कुदरत से संवाद धर्म है कायनात को धन्यवाद...  धर्म का मोहम्मद से, राम से क्या मतलब?  धर्म का मुर्दा इमारतों, मुर्दा बुतों से क्या मतलब?  धर्म है अभी....  धर्म है यहीं....  धर्म है ज़िंदा होना...  धर्म है सच में जिंदा होना.... धर्म का हिन्दू-मुसलमान से क्या मतलब?  धर्म का ईशान-सुलेमान से क्या मतलब? धर्म का कुरआन-पुराण स...

10 पॉडकास्ट हैं मेरे यहाँ, सब मित्र सादर आमंत्रित हैं।पॉडकास्ट मतलब सिर्फ़ आवाज़। रेडियो-वाणी।

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आत्मा क्या है? परमात्मा क्या है? आत्मा परमात्मा में क्या अंतर है? क्या आत्मा परमात्मा एक हैं?

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आत्मा का अस्तित्व है क्या कुछ? आत्मा परमात्मा में कोई फर्क है क्या? मेरे ख्याल से नहीं। क्यों कह रहा हूँ मैं ऐसा? यदि आत्मा अपने आप में कुछ भी नहीं तो फिर हम और आप कौन हैं? #आत्मा #परमात्मा

अफगानिस्तान.... गुरुद्वारे पर अटैक..कौन ज़िम्मेदार?

अफगानिस्तान.... गुरुद्वारे पर अटैक... कोइ तीस  सिख मार दिए गए..      कौन है ज़िम्मेदार.    कोई इस्लामिक संग़ठन ?  मैं आपको बिना किसी लाग-लपेट के कहना चाहता हूँ कोई इस्लामिक संगठन ज़िम्मेदार नहीं है.  सीधा-सीधा इस्लाम ज़िम्मेदार है .      ये जो अटैक हुआ गुरूद्वारे पर, ये कोई पहला  है? ऐसे कई अटैक पहले किये जा चुके हैं. फिर भी बहुत कम लोगों की हिम्मत होती है  कि  साफ़-साफ़ इस्लाम को ज़िम्मेदार ठहरा सकें। इस्लाम में बाकी किसी भी तरह की आइडियोलॉजी के लिए कोई जगह ही नहीं है. अल्लाह-हू-अकबर. अल्लाह सबसे ऊपर है. और वो अल्लाह वही नहीं है, जिसे आप भगवान या इश्वर कहते हैं. वो अल्लाह बिलकुल अलग है. उस अल्लाह के पैगम्बर हैं, श्रीमान मोहम्मद. और उनके ज़रिये अल्लाह ने अपना पैगाम भेजा है, जिसे क़ुरआन कहा जाता है. जो यह सब मानता है, वो मुसलमान है, जो नहीं मानता, वो काफिर है और काफिर के खिलाफ है क़ुरआन. एक से ज़्यादा आयते हैं क़ुरआन में काफिर के खिलाफ. इसीलिए दुनिया भर में मुस्लिम अटैक करते फिरते हैं.  इनको सारी दुनिया में इस्लाम फै...

लॉकडाउन बढ़ते ही मुंबई बांद्रा में इकट्ठे हुये मज़दूर. आख़िर प्र्वासी मज़दूर जाए तो जाए कहाँ?

सुबह मंगलवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा की और शाम को बांद्रा में प्रवासी मज़दूरों की भीड़ इकट्ठा हो गई. कुछ दिन पहले इसी तरह के सीन दिल्ली के आनंद विहार में देखने को मिले थे. कोरोना वायरस के दौर में ये भीड़ कितनी ख़तरनाक हो सकती है, देखने का है। मज़दूर जाए तो जाए कहाँ? कोरोना से मरे या फिर भूख से, बस यही सवाल है? लॉक डाउन ज़रूरी है , बहुत ज़रूरी है. ठीक है सरकार जी, रखिये, रखिये,   हमें क्या है? साल भर रखिये, लेकिन  हमें खाना-दाना देते रहिये,  दवा दारु का खर्च देते रखिये,  हमारे बच्चों की फीस देते रखिये.  बिजली पानी के बिल, फोन इंटरनेट का बिल देते रखिये.  हमारे तमाम खर्चे भरते रहिये  बस. हम आम लोग हैं बई.  अमीर का क्या है? उसे दस साल लॉक-डाउन में रोक लो. ठीक है सरकार जी, तो मान रहे हैं न आप? ठीक है ओये  सरकार जी मान जाएंगी . अब तुम मत इकट्ठ  जमा करना न आनदं  विहार, दिल्ली में और न बांद्रा मुंबई में. और न ही कहीं और।   ठीक? राइट?  जी सरकार जी, आम आदमी राइट बोल रिया है।...

भक्ति

भक्ति अगर गलत है तो मुस्लिम होना भी गलत है। चूंकि मुस्लिम होना ही कट्टर होना है सो उसके मुक़ाबले में भक्त हो गए हिन्दू लोग। बिना क्रिया समझे आप प्र्तिक्रिया नहीं समझ सकतीं। कल कोई अफगानिस्तान में मुस्लिम के खिलाफ खड़ा हो जाए अगर तो आप को वो भी भक्ति लगेगी लेकिन आप समझेंगे नहीं कि वो भक्ति क्यों पैदा हुई ? नहीं होनी चाहिए , लेकिन मोहम्मद के प्रति भी नहीं होनी चाहिए।

कोरोना है करुणा ..... सामाजिक विकृतियों का इलाज है

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कोरोना है करुणा। सामाजिक विकृतियों का इलाज है। Corona is a Bliss. Corona is Cure of social Disbalance...... लॉकडाउन (Lockdown/ Quarantine) तो ठीक है. चला लीजिये छह महीने. लेकिन  गरीब और मध्यम वर्गीय तबके का क्या होगा? उनको खाना-दाना कौन देगा?  उनकी रोज़मर्रा की ज़रूरतें कैसे पूरी होंगी? वीडियो देखिये और समझिये वो, जो कोई नहीं बोल रहा, हल जिसे कोई नहीं सुझा रहा.    प्रधानमंत्री ने लॉक डाउन के आदेश  दिया. लेकिन उस आदेश के साथ उनको बहुत कुछ और आदेश नहीं दिए जो की उनको देने चाहिए थे.  मैं आपको एक-एक कर के  बता रहा हूँ और वो आदेश उनको क्यों देने चाहिए  थे यह भी बताऊंगा.  कोरोना का शोर शराबा  जब तक है तब तक यदि किसी के घर या दूकान का किराया पंद्रह  हज़ार रुपये तक है तो उसे वो किराया देने से छूट  मिलनी चाहिए थी.  बस ट्रैन का किराया माफ़ करना चाहिए था.  स्कूल कॉलेज की फीस माफ़ होनी चाहियें.  जितना आपका एवरेज बिल आता है, कम से कम उतना बिजली पानी का बिल माफ़ होना चाहिए.   जिस किसी ने कैसे भी पैसा उधार ...