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चोर को मत मारो, चोर की माँ को मारो.

"चोर को मत मारो, चोर की माँ को मारो." कहावत है एक कहानी मेरे पिता सुनाते थे एक बार एक चोर पकड़ा गया चोरी करते हुए, हुक्म हुआ राजा का कि चोर के हाथ काट दिए जाएँ. जिन हाथों से चोरी करता है, वो हाथ काट दिए जाएँ. चोर ने सर झुका के बोला, "जनाब लेकिन गुनाहगार मेरे हाथ नहीं हैं." "तो फिर कौन है?" चोर ने कहा, "मेरी माँ को बुला दीजिए, पता लग जायेगा." माँ को बुला दिया गया. जैसे ही चोर की माँ चोर के सामने आई, चोर ने माँ के मुंह पे थूक दिया और बोला, "जनाब मेरी माँ है असल गुनाहगार. सजा इसे दीजिये. " "कैसे? "ऐसे चूँकि जब मैं पहली बार चोरी कर के आया तो मेरी माँ ने मेरे मुँह अपर थूका नहीं, बल्कि इस ने हसंते हुए मुझे सपोर्ट किया. वो जो थूक मैंने फेंकी, वो यदि मेरी माँ ने मेरी चोरी पर फेंकी होती तो आज मैं इस कटघरे में न खड़ा होता. असल गुनाहगार माँ है" राजा ने चोर को छोड़ दिया और माँ को सजा दी असल गुनाहगार माँ है माँ कौन है. कुरान हदीस इन पर तर्क से , एक एक आयत, एक एक घटना को तर्कपूर्ण छीन-भिन्न कर देना चाहिए पूरी दुनिया में. इतना कि इन को जवा...

जायेगा तो मोदी ही

हालाँकि मैं इस लोकतंत्र से बनी सरकारों को जनता कई प्रतिनिधि ही नहीं मानता. वैकल्पिक व्यवस्था मैंने दे रखी है. जिसे बहुत कम लोगों ने देखा, सुना. ******************************** खैर, वर्तमान व्यवस्था में मैने जो समझा वो यह कि इस्लाम के अंधेरों से बचाने के लिए मोदी सरकार ही सही है. लेकिन यह सरकार बाकी सब मुद्दों पर फेल है. इनको कुछ नहीं पता क्या काम करना है, कैसे करना है. कोई ट्रेनिंग नहीं. आरएसएस की शाखाओं में भी नहीं. बस मौज मार रहे हैं इडियट्स. और सबसे बड़ी बात, मोदी सरकार आज वैसे ही घमण्ड में दिखती है जैसे एक समय कांग्रेस दिखती थी. हो सकता है कृषि कानून सही हों, लेकिन विरोध में बैठे किसानों को भी कोई हल देना बनता था, बनता है कि नहीं? इन कानूनों को राज्य सरकारों के ऊपर क्यों नहीं छोड़ दिया गया? और इन कानूनों का जब विरोध शुरू हुआ तो जन-जन में जा कर, गली-गली जा कर इन कानूनों के विरोध में उठते पॉइंट्स को क्लियर क्यों नहीं किया गया? और फिर इन कानूनों पर ही जनता का वोट क्यों नहीं ले लिया गया? यदि किसी राज्य विशेष के लोग नहीं चाहते कि इन कानूनों से जो विकास मिलना है वो मिले तो क्यों जबरन उस...

Holy-shit

  ईसाई रविवार को छुट्टी रखते थे और चर्च जाते थे. सो इन्होने इस दिन को Holiday कहना शुरू कर दिया. लेकिन जैसे-जैसे ईसाईयों में धर्म के प्रति मोह घटना शुरू हुआ तो वहां Holy-crap यानि पवित्र कचरा और Holy-shit यानि पवित्र टट्टी जैसे शब्द भी चलन में आ गए. .... हमारे यहाँ पता नहीं ऐसा कब होगा?

जन्नत की हकीकत

  "जानते हैं जन्नत की हकीकत हम भी ए ग़ालिब. मगर दिल के बहलाने को ख्याल अच्छा है."

इस्लाम अमन-पसंद है?

1450 सालों से तीर-तलवार, बम-बनूक से मुस्लिम दुनिया को समझा रहे हैं कि इस्लाम अमन का दीन है, लेकिन अभी भी दुनिया के बहुत से ढीठ लोग मान ही नहीं रहे. बिला शक 50 से ज़्यादा मुल्क तो मान गयें है. वाह! वल्लाह!! सुभान-अल्लाह!! माशा-अल्लाह!!! अल्हम्दुलिल्लाह!!! बाकी भी मान जाएंगे. इंशा-अल्लाह!!!! तुषार कॉस्मिक

मैं कौन

  हे पार्थ, मैं हरामियों में महा-हरामी हूँ और शरीफों में महा-शरीफ हूँ. मैं तुषार हूँ. तुषार कॉस्मिक.

एक और फ्रॉड

  बहुत से फ्रॉड चलते हैं दुनिया में. एक रोज़ होता है तुम्हारे साथ. तुम से कहा गया कि मसाले ज़्यादा मत खाओ, अचार मत खाओ. असल में ये दोनों दवा है. लहसुन, अदरक, साबुत नीबूं, किस चूतिया ने कहा कि ये नुकसान करते हैं? सौंठ, काला नमक, सेंधा नमक, काली मिर्च, दाल चीनी, जीरा, धनिया, पुदीना ये किस ओवर-स्मार्ट इडियट ने समझाया कि हानिकारक हैं? असल में अंग्रेज़ी दवा-अंग्रेज़ी डाक्टर चलाने के लिए तुम्हारी रसोई में रखी दवाओं के प्रति तुम्हें शंकालु बना दिया गया. और फ़िर "In search of Gold, you lost the Diamonds."

मैं भी कबीर

"कंकण्ड पत्थर जोड़ के मस्ज़िद लियो बनाये ता चढ़ मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय" अब इस पे भाई-जान कहते कि ये खुदा नहीं, मुसलमान को बुलाने को बांग दी जाती है, तो भी मैं कहना चाहता हूँ "कंकण्ड पत्थर जोड़ के मस्ज़िद लियो बनाये sms के ज़माने में, ऊँची-ऊंची बांग दे, मोहल्ला दियो जगाए" कैसी रही?

रेस्पेक्ट

यदि देश-विदेश में community-wise सर्वेक्षण किया जाए कि कौन सी भारतीय कम्युनिटी की कितनी रेस्पेक्ट है तो मेरे हिसांब से नीचे दी गई तालिका फिट बैठेगी. तालिका में नम्बर 1 पर सबसे ज़्यादा रेस्पेक्ट पाए जाने वाली कम्युनिटी को रखा है मैंने. फिर नम्बर 2 पर उससे कम और नम्बर 3 पर उससे कम. ऐसे चल रही है यह तालिका.  1.सिक्ख 2.जैन 3.बौद्ध 4.पारसी 5.हिंदू 6.मुस्लिम बाकी आप बताएं. तालिका गलत भी हो सकती है, आप अपनी राय दें.

Religion is Fraud

Religion is Fraud. Focus on Reason. 

लिखो तो ऐसे लिखो

मूंछे हों तो नत्थू लाला जैसी वरना न हों.  लिखो तो जबरस्त, वरना न लिखो.  ज़बरदस्त.  जिसे पढ़ने लग जाएँ दस्त.  उड़ा जाए डस्ट.  कर दे बे-वस्था को पस्त, अस्त-व्यस्त.

कौन हैं ये चूतिये, जिन्हें प्रोफेशनल कहा जाता है ?

तुम्हें पता है डॉक्टर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट को प्रोफेशनल कहा जाता है. मतलब उनका प्रोफेशन ही प्रोफेशन है, वही प्रोफेशनल हैं बस.  बस. बकवास बात है. मेरी नज़र में  तो किसी भी काम  सही ढंग से करने वाला प्रोफेशनल है. चाहे जूते गांठने वाला हो, चाहे बाल काटने वाला हो, चाहे नाली साफ़ करने वाला हो जिस दिन समाज  में एक गटर साफ़ करने वाले जमादार और एक दांत साफ़ करने वाले डॉक्टर को बराबर सम्मान और बराबर इज्ज़त मिलने लगेगी, समझना समाज सही दिशा में है. तुम्हें पता है वकील, डॉक्टर, चार्टर्ड-अकाउंटेंट को प्रोफेशनल कहा जाता है. मतलब अपने-अपने  प्रोफेशन के परफेक्ट  लोग. लेकिन असल में ऐसा बिलकुल नहीं  है. सबूत यह है कि ये अपने काम को 'प्रैक्टिस' करना बोलते हैं. यानि अपने काम की प्रैक्टिस कर रहे हैं. सही से सीखे नहीं है, प्रैक्टिस कर-कर के उसे ठीक से सीखने का प्रयास कर रहे हैं. वो प्रैक्टिस किस पर की जा रही है? आप पर

वर्तमान राजनीति पर एक दृष्टि

गॉडफादर फ़िल्म में डॉन कोर्लेओनी कहता है, " नजदीक के छोटे फायदे से दूर का बड़ा नुकसान भी होता हो तो भी ज्यादातर लोग नजदीक का फायदा चुनते हैं। क्योंकि लोग दूर-दृष्टि के रोग से पीड़ित होते हैं। क्योंकि लोग मूर्ख होते हैं।" मैं सहमत हूँ, ये जो दिल्ली के लोग केजरीवाल को इसलिये वोट देते हैं कि वो ये चीज फ्री दे रहा है-वो चीज फ्री दे रहा है, वो लोग क्युटिये हैं। केजरीवाल मूर्ख है, जो गाँधी के 'ईश्वर अल्लाह तेरो नाम' के दर्शन को पकड़े है, बिना अल्लाह वालों से पूछे कि क्या वो भी यही मानते हैं या 'अल्लाह -हु-अकबर' मानते हैं। इस्लाम किसी और दीन-धर्म को जगह नहीं देता. अल्लाह-हु-अकबर. अल्लाह है सबसे बड़ा. ला-इल्लाह-लिल्लाह. नहीं कोई पूजनीय अल्लाह के सिवा. बात खत्म.  मेरी समझ यह है कि मुस्लिम कभी भी भाजपा को वोट नहीं देगा. उसे क्लियर है कि भाजपा मुस्लिम विरोधी है.  वो मोदी सरकार से मिले फायदे तो उठा लेगा लेकिन वोट फिर भी नहीं देगा बल्कि भाजपा को हराने के लिए हर सम्भव प्रयास करेगा लेकिन गैर-मुस्लिम बुद्धू है, वो केजरीवाल जैसे लोगों से मिल रहे फायदे में बह जाते हैं और उसे जिता दे...

https://www.jihadwatch.org/

https://www.jihadwatch.org/ इस वेबसाइट को खोलिए. इसके पहले पेज पर ही आपको एक बॉक्स दिखेगा राईट साइड में थोडा सा नीचे जा कर. 39226 Deadly attacks किये गए इस्लामिक टेररिस्ट ने 9/11 आक्रमण के बाद. इस बॉक्स को जब आप  क्लिक करेंगे तो यह आपको बतायेगा कि मई 2021 में 13 मुल्कों में 34 अटैक किये गये हैं जिनमें 149 लोग मारे गए हैं और 84 लोग घायल हुए हैं. आप कहेंगे कि हम कैसे मान लें कि यह वेबसाइट सही जानकारी दे सकती है? तो जवाब यह है कि यह एक खुली वेबसाइट है. अगर झूठ बोलती है तो अब तक भाई लोग इसे कब का बंद करवा चुके होते. आखिरकार 50 के आस-पास मुल्क हैं उनके. नहीं?

सफलता क्या है - मेरा नज़रिया

तुम्हारा सपना क्या होता है? सफलता क्या है तुम्हारी नजर में? खूब सारा पैसा. या फिर शोहरत. यही न. काफी है. इडियट हो तुम! सुशिल कुमार ने दो बार ओलिंपिक मैडल जीता. सब मिल गया था उसे. फिर भी एक लाख रुपये का इनामी भगोड़ा घोषित होने के बाद क़त्ल के केस में बंद है. ज़िंदगी में हार बर्दाश्त करना बहुत ज़रूरी है लेकिन उससे भी ज़रूरी जीत बर्दाश्त करना है. सुशील कुमार जीत हज़म नहीं कर पाया. उलटी कर दी. मेरी नज़र में सफलता हालात के मुताबिक विवेक से जीना है. चाहे हालात जैसे भी हों.