Posts

जिहाद - मुसलमानी तर्क

मुसलमान जब काफिर को मारते हैं तो यह इन का दीन है, लेकिन जब काफिर उन को मारता है तो यह अत्याचार है. घोर अत्याचार. यही अत्याचार है, जो इन को जिहाद के पथ पर आगे, और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है.

महान भारतीय !

1) भारतीय विश्व-गुरु का जीवन बस अपनी शादी और फिर अपने बच्चों की शादी में ही उलझा रहता है. इन चूतियों से बात कर के देखो. इन को दुनिया के हर विषय के बारे में सब पता होता है. न भी पता हो, लेकिन ये ही दर्शाएंगे कि इन को सब पता है. असल में इन को घण्टा कुछ पता नहीं होता.  न इन्होंने कोई ज्ञान विज्ञान पैदा किया न करेंगे. ये तो विज्ञान-प्रदत्त सुविधा खरीदने-भोगने को ही बुध्दि का प्रमाण मानते हैं. धरती के बोझ.  2) भारतीय बुद्धू से बात करो.   ये ऋषियों मुनियों की संतान हैं. परम-पावन-भूमि भारत माता की संतान. सन्तों-सिद्धों-बुद्धों की भूमि भारत-माता की सन्तान. कला, दर्शन-शास्त्र, ज्ञान-विज्ञान की भूमि भारत माता की सन्तान. अध्यात्मवादी. इन को भौतिकवाद से, पदार्थवाद से क्या मतलब? ये गुरु हैं. विश्व गुरु. गुरु घण्टाल.  अब इन के जीवन देखो. सिवा सेक्स की भुखमरी के कुछ नज़र नहीं आएगा.  इन का गीत, संगीत, फिल्में, कहानियां, प्रेम, नफरत,  सब सेक्स के गिर्द घूमता है. चूतिये.  3) भारतीय अपने मुल्क को बहुत प्रेम करते हैं. क्यों न करेंगे? महान भारत भूमि. महान भारतीय! चूतिय...

Dirty Old Men

मैं सुबह-सवेरे पश्चिम विहार, दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट पार्क में होता हूँ. भयंकर व्यायाम. युवक, युवतियां, और बुड्ढ़े सब होते हैं. जवान अधिकांशतः एक्सरसाइज में व्यस्त होते हैं. बुड्ढ़े. इन को पंजाबी में 'सयाने' कहा जाता है. लेकिन यकीन जानिये एक भी सयानी बात नहीं कर रहे होते. घूम-फिर के इन की बातें सेक्स पर आ जाती हैं. खिसियाने मज़ाक. घटिया चुटकले. जिन पर हँसी भी न आये. लेकिन ये खिलखिलायेंगे. क्या सीखा इन्होने ज़िंदगी में? इन की जिंदगियों में कोई लालित्य, कोई सौन्दर्य, कोई फलसफ़ा, कोई साहित्यकता, कोई वैज्ञानिकता मुझे नज़र नहीं आती. नज़र आता है तो खोया सेक्स. और उस का अफ़सोस. बस किसी तरह ये सेक्स करने के लायक दुबारा हो जाएँ तो इन के पौ बारह. इडियट्स. इसीलिए अंग्रेजी में इन्हें "Dirty Old men" कहा जाता है.

अदालती सुधार

जज को फैसला करने पे पैसे दें और यदि उसका फैसला अगली अदालत बदल देती है तो पैसे वापिस ले लें, सब ठीक हो जाएगा. और सैलरी बंद कर दें. जब सैलरी की जगह फैसले और सही फैसले पर पैसे दिए जाएंगे तो दशकों के काम महीनों में होगा.

इस्लाम-मुसलमान-हिन्दू-तुम-मैं-हम सब

मुस्लिम से कोई संवाद न करें इस्लाम पर. आलोचना बरदाश्त ही नहीं इस्लाम में फिर क्यों सवाल उठाने मुस्लिम के आगे? इस्लाम, कुरान, मोहम्मद आलोचना से परे हैं एक मुस्लिम के लिए. कुरान इन के लिए इलाही किताब है, आसमानी फरमान, डायरेक्ट अल्लाह से उतरा हुआ. मोहम्मद अल्लाह के आखिरी मैसेंजर हैं, इन के बाद कोई और दूजा मैसेंजर अब आ ही नहीं सकता. अल्लाह ने मैसेंजर भेजने बंद कर दिए इन के बाद. और अल्लाह का मेसेज क्या है? वो है कुरान, जिस के इतर आप बोलना दूर, सोच तक नहीं सकते. गुड. लेकिन इसी वजह से मैं मुस्लिम से बहस करने को मना करता हूँ. कोई फायदा ही नहीं. जो भी विचार, जो भी व्यक्ति आलोचना से परे हो, वो मेरी नजर में इंसानियत के लिए खतरनाक है, नुक्सानदायक है. बहस होगी तो असहमति भी होगी, आलोचना भी होगी, निंदा भी होगी. स्वीकार है इस्लाम को, मुस्लिम को यह सब? नहीं है स्वीकार. तो फिर ठीक है भैया, हमें भी तुम से बहस करना स्वीकार नहीं. हम सिर्फ गैर-मुस्लिम को आगाह कर सकते हैं. दुनिया के हर गैर-मुस्लिम को इस्लाम के प्रति आगाह कीजिये. शिद्दत से कीजिये. बिना गाली-गलौच के कीजिये. तर्क से कीजिये. फैक्ट से कीजिये. मुस...

इस्लाम और सर्वधर्म समभाव

मुस्लिम दोस्त(?) कह रहा था कि सब लोग बराबर हैं और मैं हँस रहा था चूंकि इस्लाम के मुताबिक मुस्लिम अफ़ज़ल (सर्वश्रेष्ठ) हैं. पाकिस्तान में तो एक व्यक्ति पर मात्र इस लिए कोर्ट केस हो गया चूंकि इस ने यह कह दिया कि सब धर्म बराबर हैं. और यहां भाईजान हमें मूर्ख बना रहे हैं.

इस्लाम और औरत-मर्द की मोहब्बत

  जितना मुझे पता है इस्लाम औरत-मर्द के इश्क को स्वीकार नहीं करता. मोहब्बत नबी से और इबादत अल्लाह की. बस. इसीलिए मजनू का मज़ाक उड़ाया जाता था कि लैला तो काली है, उस में क्या रखा है. इसीलिए मजनू को पत्थर मारे जाते थे.

जय सिया राम?

रावण को मारने के बाद राम के पास जब सीता लाई जाती हैं तो राम कितने सम्मानजनक शब्द उसे बोलते है. खुद देख लीजिए. "रावण को मैंने अपने कुल पर लगे धब्बे को मिटाने की लिए मारा है. तुम अब चाहो तो भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, सुग्रीव या विभीषण के पास चली जाओ चूंकि तुम रावण के पास रह कर आई हो सो मैं तुम्हे स्वीकार नहीं कर सकता." वाल्मीकि रामायण से उध्दरण भी दे रहा हूँ..... तदर्थं निर्जिता मे त्वं यशः प्रत्याहृतं मया | नास्थ् मे त्वय्यभिष्वङ्गो यथेष्टं गम्यतामितः || ६-११५-२१ "You were won by me with that end in view (viz. the retrieval of my lost honour). The honour has been restored by me. For me, there is no intense attachment in you. You may go wherever you like from here." तदद्य व्याहृतं भद्रे मयैतत् कृतबुद्धिना | लक्ष्मणे वाथ भरते कुरु बुद्धिं यथासुखम् || ६-११५-२२ "O gracious lady! Therefore, this has been spoken by me today, with a resolved mind. Set you mind on Lakshmana or Bharata, as per your ease." शत्रुघ्ने वाथ सुग्रीवे राक्षसे वा विभीषणे | निवेशय मनः सीते यथा...

सबसे बड़ा युद्ध

सबसे बड़ा युद्ध जानते हैं क्या होता है? विचार-युद्ध. यह आपको दूसरों से तो बाद में करना होता है, पहले खुद से करना होता है. मैं किशोर था और मैं नोट-बुक के एक पन्ने पे लिखता था--"भगवान है" और सामने वाले पन्ने पे लिखता था "भगवान नहीं है". फिर दोनों के पक्ष में नीचे तर्क लिखता था. मेरा पास आज भी एक किताब है "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं" और दूसरी है "शर्म से कहो हम हिन्दू हैं". मेरे पास "वाल्मीकि रामायण" है और रंगनायकम्मा रचित "रामायण एक विष-वृक्ष "भी है. विचार-युद्ध इत्ता मुश्किल जानते हैं क्यों है? चूँकि इसमें खुद को ही खुद के खिलाफ लड़ना होता है. खुद को ही गलत साबित होने का रिस्क होता है. सो इससे बचता है इन्सान. मानो आप 40 साल से मन्दिर में घंटा बजा रहे हैं, अब कैसे खुद ही साबित करोगे कि नहीं, घंटा बजाना बेकार है? मूर्ती से धन-धान्य मांगते आए हो, कैसे खुद ही साबित करोगे कि मूर्ती किसी को कुछ नहीं दे सकती? सब ने अपने जीवन का आधार गलत-सही मान्यताओं पर खड़ा किया होता है, अब इन मान्यताओं को चैलेंज करने की हिम्मत आप खुद नहीं कर पाते. को...

इस्लाम की ताकत घटाने का एक और नायाब तरीका

जो भी मुस्लिम इस्लाम छोड़ना चाहते हों, उन के लिए गैर-मुस्लिम सरकारों को आश्रय-स्थल बनाने चाहियें. हालाँकि इस्लाम छोड़ने वाले मुस्लिम को पॉलीग्राफ और नार्को जैसे से गुज़ार कर पक्का कर लेना ज़रूरी है कि वो वाकई इस्लाम छोड़ रहे हैं, अपनी समझ से और अपनी मर्ज़ी से इस्लाम छोड़ रहे हैं. मुझे लगता है कि मुस्लिम की एक बड़ी तादाद जो इस्लामी समाजों में फंसी है, वो बाहर आयेगी और इस तरह इस्लाम के पास जो तादाद की ताकत है वो घटेगी. दुनिया में शांति बहाली की तरफ यह एक बड़ा कदम होगा. अमनो-चैन बढ़ेगा, ज्ञान-विज्ञान बढ़ेगा.

देसी

ये जो तुम विदेशी नस्ल के रंग-बिरंग-बदरंग कुत्ते रखते हो, तुम इडियट हो. देसी कुत्ते रखो, रखने हैं तो.लोकल. ये यहाँ के जलवायु के हिसाब से कुदरत ने घड़े हैं. ये जो तुम चौड़े हो के महँगे-महँगे विदेशी फल,सब्ज़ियाँ और सुपर-फ़ूड खाते हो, तुम मूर्ख हो. लोकल फल-सब्ज़ियाँ-अनाज खाया करो. कुदरत हर जगह के हिसाब से बेस्ट पैदावार देती है. ये जो तुम "देसी" शब्द से ग्रामीण या गंवार, कम पढ़ा-लिखा समझते हो, तुम मूढ़ हो. देसी मतलब देस का, मतलब लोकल. और जो लोकल है, वो ज़रूरी नहीं घटिया हो, बेकार हो. वो बेस्ट suitable हो सकता है, होता है. नज़रिया बदलो. देसी की इज़्ज़त करना सीखो. ~ तुषार कॉस्मिक ~

असीमित धन खतरनाक है दुनिया के लिए

लोहा ज़्यादा काम आता है या सोना? सोना एक पिलपिल्ली सी धातु है. शुद्ध रूप में जिसका गहना तक नहीं बनता. लेकिन सबसे कीमती मान रखा है मूढ़ इन्सान ने इसे. यह सिर्फ मान्यता है और कुछ नहीं. वरना गहने तो लक्कड़, पत्थर, लोहा, स्टील किसी के भी बनाये जा सकते हैं, पहने जा सकते हैं. आप देखते हो आदिवासी, वो ऐसे ही गहने पहनते हैं. हिप्पी किस्म के लोग भी ऐसे ही पहन लेते हैं. मैं खुद ऐसे गहने पहनता रहा हूँ. अब भी चांदी पहनता हूँ. यही समाज ने इंसानों के साथ किया है. एक गटर साफ़ करने वाले की कीमत एक IAS ऑफिसर से कम कैसे हो गयी? ठीक है IAS का काम गटर साफ़ करने वाला नहीं कर सकता, लेकिन गटर साफ़ करने का काम भी तो IAS नहीं कर सकता? फिर समाज को सब की ज़रूरत है. और हो न हो, समाज की जिम्मेवारी है कि इस तरह से चले कि सब को अहमियत मिले. समाज ने यदि किसी इन्सान को इस धरती पर आने दिया है तो अब समाज की ज़िम्मेदारी बन गयी. या तो आने ही न देता समाज में ऐसे व्यक्तियों को जिन को वो कोई अहमियत नहीं देता, या बहुत कम अहमियत देता है. जैसे बहुत लोग भीख मांग रहे हैं, अपराध कर रहे हैं, सडकों पर बेकार पड़े हैं, या निहायत गरीबी की ज़िंदगी...