Wednesday, 12 August 2015

मुझे प्रधान मंत्री बना दे रे...ओ भैया दीवाने

मुझे कोई कह रहा था कि मुझे छोटे-मोटे  चुनाव जीतने चाहिए पहले, फिर प्रधान मंत्री  पद तक की सोचनी चाहिए.

ठीक है  यार, जहाँ सुई का काम हो,  वहां तलवार नहीं चलानी चाहिए
जहाँ बन्दूक का काम हो, वहां तोप नहीं चलानी चाहिए

लेकिन इससे उल्टा भी तो सही है, आप तलवार से सुई का काम लोगे तो वो भी तो गलत होगा, आप तोप से बन्दूक का काम लोगे तो वो भी तो सही नहीं होगा

हम तोप हैं भाई जी, इंडिया की होप हैं 

वैसे मैंने सुना है भारत में चुनाव हारे हुए लोग भी मंत्री वन्त्री बन जाया करते हैं और बिना चुनाव लड़े भी  प्रधान संत्री मंत्री 

मैं तो फिर भी प्रधानमंत्री पद की  दावेदारी बाकायदा ठोक रहा हूँ 

हूँ कौन भाई मैं? मैं आप हूँ मित्र, आप.

लोक तंत्र है न भाई...लोगों का तंत्र...हम लोगों का तन्त्र 
ऐसा तन्त्र जिसमें कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता हो 

तो फिर मैं क्यों नहीं?

इस “मैं” में आप खुद को देखिये, खोजिये, खो मत  जईये , खोजिये

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