Posts

Showing posts from May, 2022

Flipkart की ऐसी की तैसी/ Online शॉपिंग के नुक्सान

फायदे भी हैं, वो फिर कभी. आज नुक्सान और दिक्कतें.  मेरे व्यक्तिगत अनुभव के साथ. Flipkart से जूते मँगवा लिए भई. Adidas. पैसे दिए गए. डिलीवर हो गए. जब पहने तो टाइट. तुरत  return के लिए डाल दिए.  Pickup करने जो आया तो वो ले ही नहीं गया. बोला इस में जो बार कोड है, वो मैच नहीं कर रहा. हम ने फिर pickup के लिए डाला.  अब एक लड़की आई. वो तो over-smart. बोली इस में original डब्बा नहीं है कंपनी का. हम ने कहा. "डब्बा जो मिला उसी पर स्टीकर लगा है, जिस पर सारी राम कहानी छपी है." लेकिन नहीं, वापिस छोड़ गयी. फिर Flipkart को सम्पर्क करने का प्रयास किया. तो आप सीधा तो फ़ोन कर ही नहीं सकते. आप रिक्वेस्ट डालते हो callback की और फिर वो वापिस फोन करते हैं.  मैंने सारी कथा बांच दी. अगले ने कहा, Higher Authority बात करेगी. मैंने कहा, "करवाओ बात." उस ने कहा, "Callback आएगा. "  ठीक है. मतलब आप सीधा तो बात भी नहीं कर सकते. अगलों को जब सुविधा होगी, वो फोन करेंगे. उन का फोन आया, तो मैं स्कूटी चला रहा था, नहीं हुई बात. फिर complaint की.  लेकिन बात हो ही नहीं पाई Higher Authority ...

व्यायाम और ध्यान (Meditation) का सम्बन्ध

व्यायाम और ध्यान (Meditation) का क्या कोई सम्बन्ध है? तो जनाब, है और बिलकुल है. आप योगा किसे समझते हैं? योगासनों को. राईट? हालाँकि यह 100% ग़लत है. योग के आठ अंग हैं और उन में मात्र एक है योगासन. और एक और है ध्यान. लेकिन योगासन सिर्फ योगासन हैं, यह मैं नहीं मानता. योगासनों में ध्यान भी शामिल है. कैसे? आप शीर्षासन में हैं. कितनी देर आपको इधर-उधर की बात सूझेंगी? नहीं सूझेगी. आप को बैलेंस बनाये रखने के लिए पूरी तरह से अपने शरीर के साथ रहना होगा. तन और मन को जुड़े रहना होगा. और ध्यान क्या है? वर्तमान में रहना. यही तो ध्यान है. ध्यान की गंगा हमेशा बाहर की और बहती रहती है, जब वो गोमुख पर ही रहे, तो वो असल ध्यान है. आप आरती सुनते हो? “जय जगदीश हरे.....विषय विकार मिटाओ”. विषय (subject), कैसा भी बढ़िया, कैसा भी घटिया....... विकार है.... कुछ ग़लत है...इसे मिटाओ. कैसे मिटाओगे? सब विषयों से ध्यान हटा कर केंद्र पर टिकाओगे......घर वापिसी.....धारा को राधा बनाओगे......यही ध्यान है. और यह दौड़ाक को भी महसूस होता है. बाकायदा टर्म है अंग्रेज़ी में. Runner’s High. आप ने कभी तो बहुत-बहुत तेज दौड़ा ही होगा. ऐसे...

हिन्दू लोग खुद को शांतिप्रिय मानते हैं. ...सच में क्या?

Image
with Public क्या हिन्दूओं ने कभी किसी पे आक्रमण नहीं क्या? हिन्दू यह कहते हैं कि उन्होंने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया तो झूठ बोलते हैं........खूब लड़ते-मरते थे. राम और रावण में मुसलमान तो कोई नहीं था. दोनों के इष्ट एक ही थे. शिव. किसी ने किसी पर आक्रमण नहीं किया तो यह युद्ध क्यों हुआ? क्या आप को पता है, युद्ध के दौरान राम की सेना ने लंकावासियों को जिन्दा जला दिया था? Ram's army burnt and killed Civilians of Lanka (Yudha Kand/Sarg-75) राम ने अपने राज्य की सीमा बढ़ाने को ही तो अश्व छोड़ा था. जहाँ-जहाँ अश्व जाता था, वहां के राजा को यह मेसेज था कि युद्ध करो या फिर राम की अधीनता स्वीकार करो. यह युद्ध-पिपासा नहीं तो और क्या था? महाभारत में न सिर्फ भारत बल्कि आस-पास के राजा भी लड़े मरे थे....तभी तो नाम महाभारत हुआ....कौन थे ये लोग? कौरव पांडव? यह एक गृहयुद्ध था जो देश-विदेश तक फ़ैल गया था और हम कहते हैं कि हिन्दुओं ने कभी कोई आक्रमण नहीं किया. किसी ने भी आक्रमण नहीं किया तो फिर यह युद्ध हो ही कैसे गया? कलिंग के युद्ध में घोर रक्त-पात कोई मुसलमानों ने नहीं किया था.....पृथ्वीराज चौहान भरे द...

इन्सान अपनी लानतें अपने कुत्तों पे भी भेज रहा है.

खाना कम नहीं करो ....शारीरिक श्रम बढ़ाओ...फिर खाना खाते हुए भी सोचोगे कि बहुत मेहनत करनी पड़ती है.....सो थोडा हिसाब से खाओ.....यह है तरीका...वो भी खाना घटाने का नहीं, बस बदलने का होता है.....जैसे घास फूस बढ़ाओ खाने में........फल-फूल-पत्ते ज़्यादा खाओ....जैसे चौपाये खाते हैं......फिर मिला जुला अनाज खाओ....जैसे पक्षी खाते हैं...तुम ने कोई जानवर, कोई पक्षी मोटा देखा?.. जो हैं, तो वो इंसानों की कुसंग की वजह से. मैंने देखें हैं पालतू कुत्ते जिन से चला तक नहीं जाता, इतने मोटे हैं. इन्सान अपनी लानतें अपने कुत्तों पे भी भेज रहा है. जानवरों से, पंछियों से सीखो. वो अभी इंसानी मूर्खताओं से दूर हैं. ~ तुषार कॉस्मिक

ज्ञानवापी मस्जिद???

भसड़ मची है. काशी की ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर तोड़ के बनाई गयी थी या नहीं. मेरी राय. देखिये पहली तो बात यह है कि मुस्लिम मूर्तिभंजक है. सबूत देता हूँ. 2001 में बामियान में बुद्ध की विशालकाय मूर्तियाँ डायनामाइट लगा तोड़ीं गईं. कुतब मीनार के पास मस्जिद है, वो कई जैन मंदिर तोड़ बनाई गयी. अजमेर में "अढाई दिन का झोपड़ा" नाम की मस्जिद है. अढाई दिन में मन्दिर तोड़ मस्जिद में तब्दील की गयी थी. मंदिर के अवशेष अभी रखे हैं वहां. ये बस चंद मिसाल हैं..... आप ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि देखी है, इस की ठीक साथ सटा के मस्जिद बनाई गयी है. ऐसी ही ज्ञान वापी मस्जिद दिखती है, मंदिर से सटा के बनाए गयी. मस्जिद का नाम "ज्ञानवापी" ही एक हिन्दू नाम है. दूसरी बात ऐसा हो नहीं सकता कि एक कौम जो मूर्तिभंजक है, वो मूर्ती पूजकों के पूजा स्थलों को बख्श दे. मेरी मोटा-मोटी समझ यह है कि निश्चित ही बहुत से मन्दिर तोड़ मस्जिद बनाए गयी होंगीं. तो अब क्या किया जाए? मेरी समझ के मुताबिक मंदिर और मस्जिद का धर्म से तो कोई लेना-देना है नहीं. यह मंदिर-मस्जिद की लड़ाई गिरोहों के वर्चस्व की लडाई. इन में इस्लाम सब से ज़्...

रोटी कपड़ा और मकान, जीवन की तीन पहली ज़रूरतें हैं~ सच में?

हम्म.......मैं असहमत हूँ. कुछ-कुछ. "रोटी" रोटी नहीं, फल हैं जीवन की ज़रूरत. कुदरती खाना. धो लो बस और खा लो. यह क्या है पहले गेहूं उगाओ, फिर पीसो, फिर गूंथों, फिर रोटी बनाओ, फिर घी लगाओ, फिर खाओ? इतना लम्बी प्रक्रिया! फिर ऐसे ही तो खा भी नहीं सकते. उसके लिए सब्ज़ी अलग से पकाओ. फिर साथ में अचार और पता नहीं क्या-क्या.....यह सब अप्राकृतिक है. खाना है ज़रूरत, लेकिन वो खाना रोटी ही है, इस से मैं असहमत हूँ. मेरे गणित से इन्सान न माँसाहारी है और न ही शाकाहारी. इन्सान फलाहारी है. और इन्सान ने खेती कर कर ज़मीन चूस ली है. मैंने सुना है, पंजाब, हरियाणा जैसे प्रदेशों में धरती की उपजाऊ शक्ति काफी घट गयी है. इसीलिए ज़हरीली खाद डाल-डाल धरती को चूसा जाता है, धरती माता का रस निकाला जाता है, ठीक वैसे ही जैसे भैंस मौसी या गाय माता का अतिरिक्त दूध निकालने के लिए इंजेक्शन ठोके जाते हैं. बेहतर यही था कि इन्सान धरती पर जंगल रहने देता. थोड़ी ज़मीन अपने रहने के लिए साफ़ करता बाकी जगह पेड़-पौधे रहते तो ज़मीन कहीं ज़्यादा खुश-हाल होती. पेड़-पौधों पर उगे, फल-फूल से काम चलाता तो कहीं स्वस्थ भी रहता. "कपड़...

आपकी धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएँ आहत होना इस बात का सबूत नहीं है कि आप सही हैं।

क्योंकि लोगों की धार्मिक भावनाएँ तो तब भी आहत हुई थी, जब गैलीलियो ने कहा था कि पृथ्वी गोल है, जब राजाराम मोहन राय ने सती प्रथा का विरोध किया था, जब ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवाओं के पुनर्विवाह का समर्थन किया था और जब सावित्रीबाई फुले एक भारतीय विदुषी ने लड़कियों और दलितों के लिये पहले -पहल स्कूल की स्थापना की थी। -By Jyoti Pethakar Ji from Facebook

गहरे में देखें तो श्रीलंका संकट पूरी दुनिया के लिए शुभ है

श्रीलंका में यह जो मंत्री पीटे जा रहे हैं न, बिलकुल सही किया जा रहा है. नकली महामारी से आम-जन का जीना हराम कर दिया. सब मिले हुए हैं मंत्री से लेकर संतरी. ये क्या अंधे थे जिन्होंने बिना कोई सबूत, बिना कोई सोच-समझ पूरे मुल्क को lockdown में झोंक दिया? Lockdown का नतीजा ही है आर्थिक संकट. वो संकट जो इन नेता लोगों की मूर्खताओं की वजह से पूरी दुनिया के आम-जन को झेलना पड़ रहा है. इन के साथ ऐसा ही होना चाहिए. दुनिया भर में. गहरे में देखें तो श्रीलंका संकट पूरी दुनिया के लिए शुभ है. यह नकली महामारी की विदाई का कारण बनेगा. Tushar Cosmic

इन दो सवालों से सारी सामाजिक व्यवस्था भरभरा कर गिर जायेगी

मात्र 2 सवाल और एक तिहाई दुनिया की व्यवस्था गिर जाएगी. क्या हैं वो सवाल? समझिये, अधिकांश दुनिया मानती है कि कोई शक्ति है जिसने दुनिया बनाई है, जो दुनिया को चला रही है. और ध्यान, प्रार्थना, आरती, अरदास, नमाज़ से इस शक्ति से मदद ली जा सकती है. इन से पूछिए, यदि दुनिया को बनाने वाला कोई है तो फिर उस बनानें वाले को बनाने वाला कौन है, फिर उस बनाने वाले को बनाने को बनाने वाला कौन है.....? और यदि ईश्वर/गॉड अपने आप अस्तित्व में आ सकता है तो यह दुनिया, यह कायनात क्यों नहीं? यह है पहला सवाल. दूसरा सवाल यह है, तुम्हारे पास क्या सबूत है कि तुम्हारे कीर्तन, तुम्हारी प्रार्थना, नमाज़, आरती, विनती, उस परम शक्ति तक पहुँचती है और वो परम शक्ति उस के मुताबिक कोई रिस्पांस देती ही है? तुम देखोगे, तुम्हारे इन दो सवालों का इन के पास कोई जवाब नहीं  होगा. तुम देखोगे, इन दो सवालों से सारी सामाजिक व्यवस्था भरभरा कर गिर जायेगी. और यह गिर ही जानी चाहिए. ~ तुषार कॉस्मिक

लड़का हिन्दू और लड़की मुस्लिम. प्रेम. शादी. यह बरदाश्त ही नहीं है, इस्लाम में

नागराजू का क़त्ल कर दिया गया सुल्ताना के भाई द्वारा. दिन दिहाड़े. हैदराबाद की सड़क पर. लड़का हिन्दू और लड़की मुस्लिम. प्रेम. शादी. यह बरदाश्त ही नहीं है, इस्लाम में. चूँकि अब बच्चे हिन्दू हो जायेंगे. मुस्लिम समाज की संख्या कमतर हो जाएगी. इस्लाम तो पलता-पनपता ही संख्या बल पर है. हां, यदि उल्टा होता तो स्वागत है. लड़की ब्याह लायें हिन्दू की तो स्वागत है. चूँकि अब बच्चे मुस्लिम होंगें. संख्या बल बढ़ेगा. अल्लाह-हू-अकबर ! ~ तुषार कॉस्मिक

आज बच्चे वीडिओ गेम खेलते देखता हूँ तो मन खिन्न हो जाता है

मैं पैदाईश हूँ वीडियो गेम के पहले की. हम पतंग उड़ाते थे, गलियों में कंचे खेलते थे, कभी ताश भी, कभी गुल्ली डंडा. धूप, गर्मी, हवा में. और कभी बारिश में भी. आज बच्चे वीडिओ गेम खेलते देखता हूँ तो मन खिन्न हो जाता है. आँखें और हाड-गोड्डों के जोड़ ही नहीं बुद्धि भी खराब कर लेंगे. कल आप को रोबोट मिल जायेंगे सेक्स तक करने के लिए. लेकिन याद रखना नकली खेल, नकली सेक्स, नकली प्रेम नकली ही रहेगा. विडियो गेम से यदि ड्राइविंग सीखने में मदद मिलती हो तो ठीक है लेकिन इसे असल ड्राइविंग समझने की भूल करेंगे तो मारे जायेंगे. नकली को असली की जगह मत लेने दीजिये.~तुषार कॉस्मिक

सोशल मीडिया और उल्लू के ठप्पे लोग

सोशल मीडिया ने सब को अपनी बात-बकवास कहने का मंच दिया है. कोई सुबह शाम गुड मोर्निंग, गुड इवनिंग कर रहे हैं. कोई होली दीवाली, ईद-बकरीद की बधाई दे रहे हैं. कोई उधार की सूक्तियां आगे पेलने को ही महान ज्ञान समझ रहे हैं. कोई सिर्फ अपना धार्मिक या राजनीतिक एजेंडा ही पेले जा रहे हैं. कोई अपनी भोंडी आवाज़ के साथ बेसुरे गायन को karaoke पर गाये जा रहे हैं. कोई गाने पर हेरोइन जैसी सिर्फ़ भाव-भंगिमा दिखा के एक्टर बनने का शौक पूरा किये जा रही हैं. ये सब सस्ते तरीके हैं. इन से आप को कोई नाम-दाम मिलने से रहा. और गलती से दो-चार दिन के लिए आप मशहूर हो भी गए तो वापिस गुमनाम होने में भी देर नहीं लगेगी."सेल्फी मैंने ले ली आज " वाली ढीन्ठक पूजा कितने लोगों को याद है आज? कुल जमा मतलब यह कि कचरा लोग सोशल मीडिया पर कचरा ही फैला रहे हैं. अबे, कुछ क्रिएटिविटी लाओ, कुछ बुद्धि लगाओ, कोई कला पैदा करो पहले. फिर आना सोशल मीडिया पर. वरना सीखो. सोशल मीडिया बहुत कुछ सिखाता भी है. सीखो पहले. याद रहे, तुम्हारा कूड़ा दूसरों को साफ़ करने में भी मेहनत लगती है. होली दीवाली के अगले दिन जैसे गलियों में गन्दगी बढ़ ज...