व्यायाम और ध्यान (Meditation) का सम्बन्ध

व्यायाम और ध्यान (Meditation) का क्या कोई सम्बन्ध है?
तो जनाब, है और बिलकुल है.

आप योगा किसे समझते हैं?
योगासनों को. राईट?
हालाँकि यह 100% ग़लत है.
योग के आठ अंग हैं और उन में मात्र एक है योगासन.
और
एक और है ध्यान.
लेकिन योगासन सिर्फ योगासन हैं, यह मैं नहीं मानता.
योगासनों में ध्यान भी शामिल है.

कैसे?

आप शीर्षासन में हैं. कितनी देर आपको इधर-उधर की बात सूझेंगी?
नहीं सूझेगी.
आप को बैलेंस बनाये रखने के लिए पूरी तरह से अपने शरीर के साथ रहना होगा. तन और मन को जुड़े रहना होगा.
और ध्यान क्या है?
वर्तमान में रहना.
यही तो ध्यान है.

ध्यान की गंगा हमेशा बाहर की और बहती रहती है, जब वो गोमुख पर ही रहे, तो वो असल ध्यान है.

आप आरती सुनते हो?
“जय जगदीश हरे.....विषय विकार मिटाओ”.

विषय (subject), कैसा भी बढ़िया, कैसा भी घटिया....... विकार है.... कुछ ग़लत है...इसे मिटाओ.
कैसे मिटाओगे?
सब विषयों से ध्यान हटा कर केंद्र पर टिकाओगे......घर वापिसी.....धारा को राधा बनाओगे......यही ध्यान है.
और

यह दौड़ाक को भी महसूस होता है.
बाकायदा टर्म है अंग्रेज़ी में.
Runner’s High.
आप ने कभी तो बहुत-बहुत तेज दौड़ा ही होगा. ऐसे में आप का दिमाग क्या-क्या बकवास सोच सकता है?
कुछ भी नहीं.

पूरा दम जब दौड़ने में ही लगा हो तो बकवास कौन सोचेगा, कैसे सोचेगा?
तभी ध्यान घटित होता है.

असल में सिर्फ दौड़ते हुए या आसन करते हुए ही नहीं किसी भी intense किस्म के, engaging किस्म की शारीरिक क्रिया में ध्यान घटित होता है. ओशो तो बाकायदा सक्रिय ध्यान चलाते थे.

याद करें, मार्शल आर्ट को विस्तार देने वाले बौद्ध भिक्षु थे. ध्यान और युद्ध कला दोनों का सम्मिश्रण ही असल मार्शल आर्ट है.

यह सब मैं कोई किताबी ज्ञान नहीं लिख रहा हूँ. मैं लगभग रोज़ पग्गलों वाला व्यायाम करता हूँ.

मैंने देखा है लोग व्यायाम को सजा की तरह कर रहे होते हैं. मेरे लिए यह मज़ा है. ध्यान है.

तुषार कॉस्मिक

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