मैं पैदाईश हूँ वीडियो गेम के पहले की. हम पतंग उड़ाते थे, गलियों में कंचे खेलते थे, कभी ताश भी, कभी गुल्ली डंडा. धूप, गर्मी, हवा में. और कभी बारिश में भी. आज बच्चे वीडिओ गेम खेलते देखता हूँ तो मन खिन्न हो जाता है. आँखें और हाड-गोड्डों के जोड़ ही नहीं बुद्धि भी खराब कर लेंगे. कल आप को रोबोट मिल जायेंगे सेक्स तक करने के लिए. लेकिन याद रखना नकली खेल, नकली सेक्स, नकली प्रेम नकली ही रहेगा. विडियो गेम से यदि ड्राइविंग सीखने में मदद मिलती हो तो ठीक है लेकिन इसे असल ड्राइविंग समझने की भूल करेंगे तो मारे जायेंगे. नकली को असली की जगह मत लेने दीजिये.~तुषार कॉस्मिक
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