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"हमारी बीमारियाँ और इलाज"

नेताओं को कोसना बंद कीजिये. नेता आता कहाँ से है? वो हमारे समाज की ही उपज है. अभी 'बार काउंसिल ऑफ इंडिया' के चेयरमैन ने खुद माना है कि 30 परसेंट वकीलों की डिग्री नकली है. नकली वकील, रिश्वतखोर जज. घटिया पुलिस. हरामखोर सरकारी नौकर. चालाक पंडे, पुजारी, मुल्ले, पादरी. ये सब कहाँ से आते हैं? सब समाज की रगों में बहने वाली सोच से आते हैं. यदि शरीर में खून गन्दला हो तो वो कैसी भी बीमारियाँ पैदा करेगा. हमें लगता है कि उन बीमारियों का इलाज किया जाए. हम समझते ही नहीं कि जड़ में क्या है. नेता को गाली देंगे. नेता हमारा पैदा किया हुआ है. पुलिसवाले को गाली देंगे, लेकिन वो पुलिसवाला भी हमारा-तुम्हारा ही प्रतिरूप है. हमारी सामूहिक सोच का नतीजा है वो. जब हमारी सोच धर्म, मज़हब, अंध-विश्वासों के वायरस से दूषित है तो वो घटिया नेता ही पैदा करेगी. बदमाश पुलिसवाले पैदा करेगी. रिश्वतखोर सरकारी कर्मचारी पैदा करेगी. नकली वकील पैदा करेगी. अतार्किक सोच घटिया नतीजे ही देगी. सो सब से ज़रूरी है कि समाज में फ़ैली एक-एक अतार्किक धारणा पर गहरी चोट. और समाज कुछ और नहीं मैं और आप हैं. हम सब का जोड़ समाज...

राष्ट्र और राष्ट्र-वाद

राष्ट्र हैं और अभी रहेंगे. लेकिन हमारा राष्ट्रवाद यदि विश्व-बंधुत्व के खिलाफ है तो फिर वो कूड़ा है और सच्चाई यही है कि वो कूड़ा है. जभी तो आप गाते हैं, “सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा” “सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानी”. तभी तो आपको “विश्व-गुरु” होने का गुमान है. सही राष्ट्र-वाद यही है जो अंतर-राष्ट्रवाद का सम्मान करता है, जो दूसरे राष्ट्रों की छाती पर सवार होने की कल्पनाएँ नहीं बेचता. मैं हैरान होता था जब बाबा रामदेव जैसा उथली समझ का व्यक्ति अपने भाषणों में अक्सर कहता था कि भारत को विश्व-गुरु बनाना है. क्यूँ भई? भारत अभी ठीक से विश्व-शिष्य तो बना नहीं और तुम्हें इसको विश्व-गुरु बनाना है. यह सब बकवास छोडनी होगी. पृथ्वी एक है.......यह देश भक्ति, मेरा मुल्क महान है, विश्व गुरु है, यह सब बकवास ज़्यादा देर नहीं चलेगी.......हम सब एक है......बस एक अन्तरिक्ष यात्री की नज़र चाहिए......उसे पृथ्वी टुकड़ा टुकड़ा दिखेगी क्या? अगर कोई बाहरी ग्रह का प्राणी हमला कर दे तो क्या सारे देश मिल कर एक न होंगे....तब क्या यह गीत गायेंगे, "सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा"? सिर्...

हिंद्त्व यानि क्या?

(1) हिंदुत्व, यह आरएसएस का आविष्कार है. इस्लाम के विरुद्ध भारतीय मान्यताओं का इस्लामीकरण. हिन्दू कोई धर्म है ही नहीं. और हिंदुत्व फिक्स जीवन शैली भी नहीं. जिनको हम हिन्दू कहते हैं, वो तो कुछ भी मान लेते हैं. कुछ समय पहले तक माता के रात्रि जागरणों का चलन था. जिसमें परिवार के लोग सोते-जागते हुए पूरे मोहल्ले की नींद कानफोडू लाउड स्पीकर लगवा, फटी आवाज वालों की गायकी से नींद हराम करते थी. आज कल कुछ रहमों-करम किया गया है. कुछ अक्ल आई इन लोगों को कि यार, मामला आधी रात तक ही निपटा दिया जाए. कुछ वजह यह भी है कि लाउड स्पीकर पर मध्य रात्रि के बाद कानूनी पाबंदी है. सो आज कल माता को परेशान नहीं किया जाता. आज कल साईं बाबा को पुकारा जाता है. उनकी चौकी लगाई जाती है. मंदिरों में साईं बाबा की मूर्तियाँ स्थापित कर दी गईं हैं. बिना यह परवा करे कि साईं कि साईं मुस्लिम थे कि हिन्दू कि कौन. मजारों पर मत्था रगड़ते आपको तथा-कथित हिन्दू ही मिलेंगे. इस्लाम में तो सिवा अल्लाह की बन्दगी के बाकी सब मना है. हिन्दू ही कब्रों पर सर नवाता है. राम और कृष्ण को तो हिन्दू अपना प्रमुख देव...

कार्टेल

मैं प्रॉपर्टी के धंधे में अभी नया ही था. विकास सदन DDA जाना होता था. कई प्रॉपर्टी ऑक्शन में भी बिकती थीं. तब पता लगा कि बोली देने वाले आपस में मिले होते थे. एक निश्चित सीमा से ऊपर बोली जाने ही नहीं देते थे. उसके बहुत बाद में जब यह शब्द "कार्टेल" सामने आया तो वो चलचित्र सामने घूम गया और इस शब्द का मतलब भी समझ आ गया. अभी मेरे cousin के बेटे को तेज़ सरदर्द हुआ. एक डॉक्टर के पास गए, उसने बोला कि ब्रेन खिसक कर रीढ़ को टच कर रहा है, ऑपरेशन करके ऊपर उठाना होगा, वरना बेटा अपंग भी हो सकता है. फिर ऑपरेशन भी करा लिया. आठ- दस लाख लग भी गए. मैं जब देखने गया तो पूछा, "आपने और डॉक्टरों से राय ली था, सेकंड ओपिनियन, थर्ड ओपिनियन?" उन्होंने कहा, "बिलकुल..बिलकुल....सबने यही राय दी कि ऑपरेशन करा लीजिये." Cousin करोड़ोपति हैं......अपने धंधे के माहिर हैं...ज़्यादा पढ़े नहीं हैं. अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरे ग्राहक किसे नहीं चाहिए होते? पता नहीं क्यूँ, मेरे ज़ेहन में वही शब्द कौंध रहा था.... “कार्टेल” कोई दस साल पह...

ज़ाकिर नालायक

एक कॉलेज के लड़के ने पूछा जाकिर नायक से कि डार्विन की ‘थ्योरी ऑफ़ एवोलुशन’ सही है या गलत. जाकिर साहेब कहते हैं कि यह मात्र थ्योरी है, सत्य नहीं है. थ्योरी का मतलब नहीं समझते? मात्र थ्योरी. सत्य से कोई लेना देना नहीं. इसलिए हम इसे नहीं मानते. हम मानते हैं ‘थ्योरी ऑफ़ क्रिएशन’, जैसी इस्लाम में बताई गयी हैं. वाह! 'थ्योरी ऑफ़ एवोलुशन' गलत है चूँकि यह मात्र एक थ्योरी है लेकिन 'थ्योरी ऑफ़ क्रिएशन' सही है चूँकि इस्लाम कहता है, वाह! जाकिर साहेब वाह! भूल ही गए कि थ्योरी सिर्फ थ्योरी होती है. लिंक दिया है, देख लीजिये, बात समझ आयेगी. https://l.facebook.com/l.php?u=https%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DNdpsuvg48fc&h=QAQGB5x4L

Osho on Islam

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Osho refused to comment on Quran because he found it meaningless and he commented on various scriptures and other people like Kabir , Bulle Shah , Meera Bai etc because he found some essence in the words and lives of these people. That is the reason. ( हिंदी में पढ़ने के लिए यहीं क्लिक कीजिये ) Quran, he found worthless, and that he said in the last phase of his life. Osho said all organized religions are worthless, yeah, that is okay. But there is some essence in Japji Saheb , which came long before Sikhi became an organized religion, he chose it and spoke on it. He chose Kabir's words and spoke on them. He spoke on Budha 's words, but it does not mean that he conformed to Buddhist rituals, he just found some essence and talked on the subject. He chose to speak on many lesser-known saints and fakirs. About Islam though he had spoken somewhat positive also in the initial stages but later-on declined it altogether. That is it. My YouTube Channel :--- Osho exhaustively talk...