एटम बम से भी खतरनाक मालूम है क्या है? तार्किक, फैक्ट विहीन विचार, मान्यताएं.
जंगें कोई हथियारों से थोड़ा होती हैं, वो तो बस औज़ार है.
असल कारण उनके पीछे के विचार हैं.
सब युद्ध असल में विचार-युद्ध हैं.
फिर से पढ़िए, "सब युद्ध असल में विचार-युद्ध हैं."
सबसे खतरनाक हिन्दू, मुस्लिम होना नहीं है. खतरनाक है किसी भी विचार-धारा को पकड़-जकड़ लेना. असल में शब्द 'विचार-धारा' का प्रयोग ही गलत है. चूँकि अगर 'धारा' हो तो दिक्कत ही नहीं है और न ही उसे पकड़ा जा सकता है. यह तो विचार का पोखर है. गन्दला पोखर. तो जब कोई हिन्दू, मुस्लिम, यह, वह, हो जाता है, तो असल में किसी न किसी गंदले पोखर में दुबक जाता है, डुबक जाता है. पोखर इसलिए लिखा चूँकि उसमें कोई धारा नहीं है, वो रुके पानी जैसा है. और रूका पानी तो गन्दला ही होता है.
दुनिया में अधिकांश गंद उसी गंदले पोखर की वजह है. विचार का गन्दला पोखर.
बस हो जाओ हिन्दू, हो जाओ मुस्लिम, ईसाई या फिर कम्युनिस्ट. ठप्पा कोई भी हो. अब जो मर्ज़ी समझा लो, बाकी सब समझ आएगा लेकिन उस गंदले पोखर के खिलाफ कुछ भी समझ नहीं आएगा. हर नए विचार को कांट-छांट के उस पोखर में फिट करते रहेंगे. जो फिट हो गया, वो सही हो गया, जो न हुआ, वो गलत. सही-ग़लत इसलिए नहीं कि वो तार्किक है या नहीं, उसमें फैक्ट हैं या नहीं ... न..न. वो सही-ग़लत इसलिए कि उस गंदले पोखर में फिट हो रहा है या नहीं.
मिसाल के लिए, हिन्दू को समझाया जा रहा है कि हनुमान और राम भगवान हैं. आप ले आओ, वाल्मीकि रामायण के उद्धरण कि अशोक वाटिका में बैठी सीता मां को पहचान के लिए हनुमान राम के लिंग और अंड-कोशों तक की पहचान बताते हैं. क्यूँ? हनुमान को कैसे पता? क्यूँ न इस विषय पर सोचा जाए? राम खुद अपने वंश की महानता का बखान बार-2 करते हैं लेकिन उन्ही के पूर्वज ने गुरु की बेटी से बलात्कार किया था. रघुकुल रीत सदा चली आई. लिखा है रामायण में भाई. अपनी तरफ से कुछ नहीं लिखा जा रहा. तो कैसे मानें कि जो भी राम के बारे में घोट के पिलाया जा रहा है, वो सही है? लेकिन यहाँ तो पड़ी है सबको कि कसम राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनायेंगे.
लाख समझाते रहो मुस्लिम को कि कुरान में दसियों आयतें हैं कि जो कहती हैं कि जो न माने कि मोहम्मद पैगम्बर है, उसे मारो. अज़ीब दादागिरी है. यह धर्म है या माफिया. लेकिन उसे नहीं समझ आएगा. वो घुमा-फिरा कर सब सही करने का, फिट करने का प्रयास करेगा.
यह होता है गन्दला पोखर में दुबकना, डुबकना. यह खतरनाक है दुनिया के लिए. एटम बम से भी ज़्यादा. चूँकि एटम बम भी चलता है तो वो ऐसे ही पोखरों में डुबके लोगों की वजह से होता है.
इलाज एक ही है. तीसरा विश्व-युद्ध. विचार-युद्ध. गली-गली. नुक्कड़-नुक्कड़. सब बाहर निकालो. पुराण, कुरान सब. ग्रन्थ, बाइबिल सब. सब पर सवाल उठाया जाएगा. सब पर बहस होगी. और कोई किताब आसमानी, कोई ग्रन्थ गुरु, कोई गीता भगवत (भगवान का गीत) पहले से ही तय नहीं होगा. कोई राम पहले से ही मर्यादा पुरुषोत्तम, कोई कृष्ण ईश्वर, कोई मोहम्मद पैगम्बर, कोई जीसस 'सन ऑफ़ गॉड' पहले से ही नहीं माने जायेंगे. जो विचार-युद्ध तय करेगा, वो ही माना जायेगा.
बात खत्म.
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