Tuesday, 7 March 2017

मज़मा

आईये, आईये, मेहरबान, कदरदान, पानदान, पीकदान...आईये, आईये.

ए साहेब, जनाब, मोहतरमा ध्यान किदर है......सबसे अच्छी पोस्ट इधर है.......रंग-बिरंग-बदरंग पोस्ट......आईये, आईये,

सेक्स पे पढ़ना हो या टैक्स पे........धरम  पे पढना हो या भरम  पे......मज़मा चालू है...आईये, आईये.

ए मैडम, आप भी आयें...अपने साहेब को लेते आईये...जी....हाँ जी, हज़ूर...आईये ...आपके बाल  उड़ गए हैं  या जहाँ बाल नहीं होने चाहियें वहां जुड़ गए हैं.....  चिंता न करें...हम मदद करेंगे......मैं हूँ न.......आईए, आईये.

उलझों को सुलझाते हैं और सुलझों को उलझाते हैं....नहीं..नहीं...मल्लब सुलझों को और सुलझाते हैं...ढंग से मिस-गाइड करना अपना फर्ज़ और कानून है.....आईए, आईये.

अपने साथ यारों, प्यारों, बेकरारों, बेकारों को...सबको साथ लेते आईये...मज़मा चालू है......थोड़ी देर का शो है..... कल हम कहाँ तुम कहाँ.... आईये. आईये.

मदारी...तुषार कॉस्मिक.

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