लानत है. आज किसी स्त्री पर अत्याचार सुन भर लिया जाए....क्या औरत, क्या मर्द.....निकल पडेंगे.....मोमबत्तियां लेकर.......फेसबुक भर जायेगा स्त्री समर्थन में ......इडियट.
जब औरत मर्द पर अत्याचार करती है तब कहाँ होते हैं ऐसे लोग....ख़ास करके औरतें....वो क्यों नहीं खड़ी होतीं ऐसे में आदमी के साथ?
एक कोई जसलीन कौर थीं... तिलक नगर दिल्ली का केस था...एक लडके को खाहमखाह फांस रखा था केस में.......चैनल दर चैनल दिखा रहे थे पीछे.
उम्दा केस... यह समझने को कि समाज में पलड़ा किसी भी एक तरफ झुक जाए तो ना-इंसाफी होनी शुरू हो जाती है.
उस लड़के पर आरोप कि उसने लड़की को छेड़ा.........सबूत कुछ भी नहीं ....गवाह जसलीन के खिलाफ बोल रहे थे...फिर भी केस लड़के के खिलाफ ........उस लड़के ने लड़की को टच तक नहीं किया. कुछ कहा सुनी ज़रूर हुई.
मैं आपसे पूछता हूँ कि यदि आदमी आदमी को थप्पड़ मार दें तो क्या यह सेक्सुअल आक्रमण का केस है? नहीं न. अब यदि जिसे थप्पड़ मारा हो वो औरत हो तो क्या? लेकिन सम्भावना है कि सेक्सुअल आक्रमण का केस बनाया जाए.
एक बहुत प्रसिद्ध केस था. निशा शर्मा का.लड़की को नायिका बना दिया गया था. क्यूँ? चूँकि उसने दहेज़ मांगने वालों की बारात लौटा दी थी. सालों केस चला और नतीजा यह निकला कि लड़की पक्ष झूठा था. लड़के की ज़िंदगी खराब कर दी. पूरे परिवार को ज़िल्लत झेलनी पड़ी.
04/03/2017 'जागरण' (jagran.com) की खबर है.
"बस में छेड़छाड़ का आरोप लगा कर तीन युवकों को पीटने वाली 'बहादुर बहनों' पर बड़ा सवाल उठ गया है। रोहतक के एसीजेएम हरीश गोयल की अदालत ने तीनों आरोपी युवकों को बरी कर दिया। अदालत को इस केस में पीड़ित पक्ष की तरफ से कोई ठोस गवाह या फिर सबूत नहीं मिला है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता का कहना है कि अब केस कोर्ट में आगे नहीं चलेगा। हालांकि, पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता का कहना है कि वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
युवकों और युवतियों का लाई डिटेक्टिव टेस्ट भी कराया गया, जिसमें युवतियों को झूठा और युवकों को सच बताया गया। इसके अतिरिक्त अदालत में युवाओं के वकील ने कई साक्ष्य पेश किए। उधर, दोनों युवतियों की तरफ से कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया गया। बता दें कि घटना के बाद बस के कंडक्टर और चालक को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन आरोपों पर संदेह के बाद उन्हें भी बहाल कर दिया गया।
दोनों बहनों के बहादुरी के दावे के बाद उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित किया। प्रदेश सरकार ने भी दोनों को पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार देने और 26 जनवरी पर सम्मानित करने का फैसला किया था। लेकिन, जब सच्चाई सामने आने लगी तो सरकार ने पुरस्कार की राशि रोक ली और सम्मानित करने का फैसला भी रोक दिया। अब इस मामले में अदालत का फैसला आने के बाद सम्मान भी नहीं मिलेगा।
जिन युवकों पर छेड़छाड़ का आरोप लगा उनमें से दो दीपक व कुलदीप उस समय जाट कॉलेज में पढ़ते थे। तीसरा मोहित नेकीराम कॉलेज का छात्र था और तीनों ही बीए सेकंड ईयर में थे। दीपक और कुलदीप ने सेना भर्ती का फिजिकल पास कर लिया था। कुलदीप ने मेडिकल भी क्लीयर कर लिया था। फरवरी में उसकी ज्वाइनिंग थी। लेकिन घटना के बाद सेना ने दोनों के आवेदन निरस्त कर दिए थे।"
ओ भाई, औरतों को अमोघस्त्र मत पकड़ाओ....कोई दूध की धुली नहीं होती सब......अगर मुकाबिल औरत हो तो उसके औरत होने से ही तय मत कीजिये कि आदमी पर कौन सा केस लगाया जाए.....498- A और DV Act के तले कितने ही आदमी पीस कर रख दिए ही औरतों ने.
महिलाओं में एक अलग ही ब्रिगेड तैयार हो गयी है......बदमाश ब्रिगेड...जो बात बेबात आदमियों को गाली देती हैं, हाथ उठा देती हैं, थप्पड़, लात घूंसे जड़ देती हैं......और अक्सर आदमी बेचारा पिटता है, सरे राह.
क्या है इन औरतों की शक्ति का राज़?
इन्हें लगता है कि इनका औरत होना सबसे बड़ी शक्ति है....खास करके भीड़ में..........समाज का सामूहिक परसेप्शन बन चुका है कि आदमी शिकारी है और औरत शिकार, बेचारी अबला.....सो यह बेचारी अबला बस मौका देखते ही आदमी की इज्ज़त उतार देती है. इसे लगता है कि अव्वल तो आदमी उस पर वापिसी हाथ उठाने की हिम्मत ही नहीं करेगा और करेगा भी तो वो अपने कपड़े फाड़ लेंगी.......शोर मचा देंगी........बलात्कार का आरोप लगा देंगी.
इलाज़ क्या है? इलाज एक तो यह है कि समाज में यह विचार प्रसारित किया जाए कि औरत मर्द किसी को भी एक दूजे के खिलाफ अत्याचार की छूट नहीं दी जा सकती.
दूजा है, ये जो बदमाश किस्म की औरतें हैं इनको जब भी सम्भव हो बाकायदा तरीके से धुना जाए. लकड़ी को लकड़ी नहीं काटती...लेकिन लोहे को लोहा काटता है.
यदि मर्द को औरत की इज्ज़त से खिलवाड़ करने का हक़ नहीं है तो औरत को कैसे है?
कानून बिलकुल अपना काम करता है, लेकिन आप पर कोई जिस्मानी वार करे तो आप क्या करेंगे? आत्म रक्षा आपका कानूनी हक़ है. निश्चिंत रहें किसी के भी कपड़े फटे होने से साबित नहीं होता कि उसके साथ बलात्कार हुआ है. इस तरह के आरोप केस के शुरू में ही धराशायी हो जायेंगे.
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