Tuesday, 7 March 2017

::: तारक फतह से सावधान :::

तारक फतह बहुत मुसलमानों की आँख की किरकिरी बने हैं. और बहुत से हिन्दुओं के चहेते. 

होना उल्टा चाहिए. 

मुसलमानों को उनका शुक्र-गुज़ार होना चाहिए कि वो मुसलमानों को सिखा रहे हैं कि किसी तरह से ठुक-पिट कर आज की दुनिया में रहने के काबिल बन जाओ. डेमोक्रेसी को मानो, सेकुलरिज्म को मानो. कत्लो-गारत से हटो.

लेकिन  बाकी दुनिया को उनसे सावधान होना चाहिए.

चूँकि  असल में वो धोखा दे रहे हैं. उनका फंडा है, "एक अल्लाह का इस्लाम है, एक मुल्ला का इस्लाम है."

फिर से पढ़ें, चश्मा लगा कर पढें, अगर नज़र सही है तो माइक्रोस्कोप के नीचे रख पढ़ें. अंडरलाइन नहीं दिख रहा, बोल्ड नहीं दिख रहा लेकिन  अंडरलाइन और बोल्ड मान कर पढें. 

तारक फतह का बेसिक फंडा है," "एक अल्लाह का इस्लाम है, एक मुल्ला का इस्लाम है."

ज़ाहिर है, वो अल्लाह के इस्लाम के साथ खड़े हैं.

उनके मुताबिक अल्लाह के इस्लाम में न बुरका है और न ही दुसरे किसी  मज़हब की खिलाफ़त.

बकवास!

कोई दो इस्लाम नहीं हैं. इस्लाम सिर्फ एक है. जो कुरान से आता है. 

कुरान पढ़ लीजिए, सब साफ़ हो जाएगा.

वहां से सब आता है. 

इस्लाम में न सेकुलरिज्म आ सकता है, न डेमोक्रेसी. और न ही सह-अस्तित्व, जिसे ओवैसी मल्टी-कल्चरिज्म कहता है और अक्सर मुस्लिम "गंगा जमुनी तहज़ीब" कहते हैं. 

न...न. इस्लाम में यह सब कुछ नहीं है.

लेकिन तारक फतह लगे हैं धोखा देने कि नहीं, अल्लाह का इस्लाम बड़ा पाक-साफ़ है. शांति सिखाता है. प्यार सिखाता है. भाई-चारा सिखाता है. यह तो मुल्ला का इस्लाम है जो सब दंगा मचाये है. 

सावधान! 
तारक फतह कितने ही सही लगते हों, ऐसे लोग दुनिया के लिए खतर-नाक हैं. ये डेंटेड-पेंटेड  मुसलमान पेश करना चाहते हैं. इस्लाम की असल हकीकत छुपाना चाहते हैं. आज हकीकत हमारी नज़रों से ओझल कर देंगे. कल क्या होगा? 

ज़रा सा पॉवर में आते ही मुसलमान सब को तिड़ी का नाच नचा देगा. उखाड़ लेना तब उसका जो उखाड़ सको? इतिहास गवाह है. नहीं. एक ही इलाज है. 

"तारक फतह साहेब, अगर कहना है  तो साफ कहिये कि इस्लाम की आधुनिक दुनिया में कोई जगह नहीं है. न. जाएँ मुसलमान अपने मुल्कों में वापिस. बाय-बाय. टा...टा."

नमन.....तुषार कॉस्मिक

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