कहीं पढ़ा कि हिन्दू-मुस्लिम बस अपने शास्त्रों का अर्थ-अनर्थ ही करते रहे और ईसाई और यहूदी विज्ञान पैदा करते में लगे रहे. सच है कि आधुनिक ज्ञान-विज्ञान में ईसाई और यहूदी समाज का बहुत योगदान है.
लेकिन ये ज्ञान-विज्ञान ईसाईयत और यहूदियत की वजह से पैदा नहीं हुआ बल्कि ईसाइयत और यहूदियत के बावजूद पैदा हुआ. इसलिये पैदा हुआ चूंकि ईसाईयत और यहूदियत का मकड़-जाल, जकड़-जाल कहीं ढीला था. वो सोच को आज़ाद सांस लेने देता था, दे रहा है.
बाकी आप भजते रहो-- हरे रामा हरे कृष्णा. और करते रहो --अल्लाह-हु-अकबर.
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