आज शायद कोई गुर-पर्व था. सिक्ख बन्धु भी वही बेअक्ली कर रहे थे जो अक्सर हिन्दू करते हैं.
जबरन कारें रोक पानी पिला रहे थे. ट्रैफिक जैम. लानत!
सड़कों पर जूठे गिलास, पत्तल आदि का गंद ही गंद. लक्ख लानत!!
और गंद भी प्लास्टिक का. लानत ही लानत!!!
अबे तुम कोई पुण्य नहीं, पाप कर रहे हो मूर्खो.
इसीलिए कहता हूँ कि धर्म ही अधर्म है. अच्छे-भले इन्सान की बुद्धि घास चरने चल देती है. मूर्खता के महा-अभियोजन हैं धर्म.
बचो. और बचाओ.
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