गर कहीं बेहतरी की गुंजाईश है लेकिन हो नहीं रही तो उसके लिए मैं सरकारों को नहीं, वहां के intelligentsia (बुद्धिजीवी वर्ग) को ज़िम्मेदार मानता हूँ. चूँकि सरकारें तो प्राय: बकवास ही होती हैं लेकिन उनके ज़रिये बेहतरी करवाता है intelligentsia. Intelligentsia, जो मुल्क में, दुनिया में विचार की हवा बनाता है और उस हवा से बनी आंधी के दबाव में सियासत को रुख बदलना पड़ता है, बात माननी पडती है.
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