तुम हो बलि का बकरा
पाकिस्तान की हालत देख कर, काबुल में ताज़ा धमाके में साठ से ज़्यादा मुसलमानों का मुसलमानों द्वारा क़त्ल देख कर, मुसलमानों की रक्त-रंजित हिस्ट्री देख कर, मोहम्मद साहेब के अपने ही परिवार का मुसलमानों द्वारा कत्ल देख कर, मोहम्मद साहेब को समझ जाना चाहिए कि उनका बनाया हुआ दीन हीन है.
चलो उनको न भी समझ आये, मुसलमानों को समझ जाना चाहिए कि उनका दीन हीन है.
चलो मुसलमानों को न भी समझ आये बाकी दुनिया को समझ जाना चाहिए कि मोहम्मद साहेब का बनाया हुआ दीन हीन है. समझ जान चाहिए कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए?
और बाकी दुनिया में सब को तो नहीं लेकिन कुछ को तो समझ आने ही लगा है. उसी का नतीजा है कि इस्लाम के खिलाफ ट्रम्प खड़ा हो जाता है, आरएसएस खड़ा हो जाता है, चीन खड़ा हो जाता है, म्यांमार का बौद्ध भिक्षु खड़ा हो जाता है.
लेकिन यह नतीजा अभी नाकाफी है. रोज़ 'अल्लाह-हू-अकबर' के नारे के साथ इंसानी जिस्म की हवा में उड़ती बोटियाँ देखते-सुनते हुए भी कुछ लोग अंधे-बहरे बने हुए हैं.
कब तक इस्लाम को सही-सही समझने के लिए अपनी बलि देते रहोगे?
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ जहाँ वालो, तुम्हारी दास्ताँ भी न होगी दास्तानों में.
अब तो समझो मूर्खो तुम इस्लाम के लिए सिर्फ बलि का बकरा हो .
चलो उनको न भी समझ आये, मुसलमानों को समझ जाना चाहिए कि उनका दीन हीन है.
चलो मुसलमानों को न भी समझ आये बाकी दुनिया को समझ जाना चाहिए कि मोहम्मद साहेब का बनाया हुआ दीन हीन है. समझ जान चाहिए कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए?
और बाकी दुनिया में सब को तो नहीं लेकिन कुछ को तो समझ आने ही लगा है. उसी का नतीजा है कि इस्लाम के खिलाफ ट्रम्प खड़ा हो जाता है, आरएसएस खड़ा हो जाता है, चीन खड़ा हो जाता है, म्यांमार का बौद्ध भिक्षु खड़ा हो जाता है.
लेकिन यह नतीजा अभी नाकाफी है. रोज़ 'अल्लाह-हू-अकबर' के नारे के साथ इंसानी जिस्म की हवा में उड़ती बोटियाँ देखते-सुनते हुए भी कुछ लोग अंधे-बहरे बने हुए हैं.
कब तक इस्लाम को सही-सही समझने के लिए अपनी बलि देते रहोगे?
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ जहाँ वालो, तुम्हारी दास्ताँ भी न होगी दास्तानों में.
अब तो समझो मूर्खो तुम इस्लाम के लिए सिर्फ बलि का बकरा हो .
Comments
Post a Comment