नास्तिक

तुम्हारी अधिकाँश व्यवस्थायें भगवान/अल्लाह/गॉड के इर्द-गिर्द बुनी गई हैं.

जन्म-मरण, शादी-ब्याह, खुशी-ग़म सब स्थितियों में तथाकथित धर्म घुसा है.

किन्तु नास्तिक पूरी व्यवस्था को नकार देता है. सो नास्तिक बर्दाश्त नहीं होता.

वाल्मीकि रामायण में नास्तिक को चोर कहा गया है. इस्लाम में तो नास्तिक के लिए मृत्युदंड है.

लेकिन इंटरनेट के आने के बाद चीज़ें छुपानी मुश्किल हो गई हैँ. सोशल मीडिया पर अनवरत बहस चलती है अब. नास्तिक, संशयवादी, अज्ञेयवादी बढ़ रहे हैं. यह शुभ है.संशय से विचार पैदा होता है. विचार शुभ है. ~ तुषार कॉस्मिक

Comments

  1. विचार शुभ है जब दृष्टिकोण सकारात्मक और बुद्धि ग्रहणात्मक हो।

    ईश्वर/अल्लाह/गॉड और वाहेगुरु जी..... सुनना

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