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MARRIAGE TIPS

1. Do not get married. It is a lifelong commitment, not only to the spouse but also to the kids. Especially, the Indian male should avoid marriage because here in India, many laws are very much against Men.  2. If you still wanna get married, get three Kundlis checked.  3. FINANCIAL KUNDLI. See what property is owned by the Boy/Girl, what is the salary/monthly income of the Boy/Girl, and how many loans have been taken by the Boy/Girl? For that, ask for the property record and CIBIL report, etc. Check the original property documents/possession to determine that the property is not mortgaged or pledged in a court for someone's bail. 4. MEDICAL KUNDLI. Get an exhaustive report of Boy/Girl to find out the health status of Boy/Girl.  Thus STD's (sexually transmissible diseases), Thalassemia etc. might be avoided in the would-be family.  5. SOCIAL KUNDLI. Check whether any criminal/civil court cases are pending against the boy or girl, whether they are pre-married, and whe...

किस के लिए जन्नत बनाई है माधव... #shortsfeed #shortsvideos #shorts

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झूठे खिलाड़ी #shortsfeed #shortsvideos #shortsviral

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राज़-फ़ाश: क्यों निकाले ट्रंप ने इंडियन? #shortsfeed #indianpolitician #indianpolitics

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सनी देओल ने ठीक कहा था। सुनो! tareekh pe tareekh dialogue

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बधाई नकली लोकतंत्र में भागीदारी की. #indianpolitician #indianpolitics #delhielections

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काल्पनिक हैं हनुमान? #shortsfeed #shorts #viralshorts #tusharcosmic

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  चंद सेकंड और साबित करूंगा हनुमान काल्पनिक हैं. क्या कोई वानर बोल सकता है? क्या कोई वानर हवा में उड़ सकता है? क्या कोई वानर पहाड़ उठा के उड़ सकता है? क्या कोई वानर सूरज तक पहुँच सकता है? क्या कोइ भी प्राणी सूरज तक जा सकता है? क्या कोई वानर छाती चीर कर किसी का भी चित्र दिखा सकता है? लेकिन ऐसी तमाम बातें हनुमान करते हैं? और हाँ, जो उन्हें बंदर नहीं समझते, उन के लिए मेरा तर्क है कि फिर उन का चेहरा बंदर जैसा क्यों है, पूँछ क्यों है? और डार्विन की "थ्योरी ऑफ़ एवोलूशन" में उन के जैसे वानरों का ज़िक्र क्यों नहीं है? अब यार या तो हम अपने बच्चों को डार्विन पढ़ा लें या फिर हनुमान चालीसा. दोनों पढ़ाना तो हम नहीं कर सकते.

कृष्ण पूजनीय नहीं हैं, आदर्श नहीं हैं

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  कृष्ण। बड़े पूज्य हैं तथा कथित हिन्दुओं के. लेकिन पूजनीय हैं नहीं. चंद सेकंड में साबित करूंगा. किस का साथ दे रहे थे महाभारत में कृष्ण? पांडवों का. पांडवों में सब से बड़ा भाई युधिष्ठिर, धर्मराज युधिष्ठिर. जानते हैं वो जुए में अपना राज्य, अपने भाई, अपनी बीवी, खुद अपने आप को भी हार गया था. ऐसा भयंकर जुआरी. आज एक गंजेड़ी, भंगेड़ी, परले दर्जे का नशेड़ी भी इतना होश रखता है कि बीवी जूए पर लगाने की वस्तु नहीं है लेकिन ये श्रीमान तो धर्मराज थे. और कृष्ण, अवतारी कृष्ण इन धर्मराज के बंधू हैं, सखा हैं, सहाई हैं. द्रौपदी के अपमान का दोषी तो धर्मराज युधिष्ठिर था, न वो दांव पर द्रौपदी को लगाता न दुशासन और दुर्योधन उस का अपमान कर पाते. भीम को भी सारा गुस्सा युधिष्ठिर पर उतारना था. और महाभारत यदि लड़नी ही थी तो पांडवों में ही एक दुसरे के साथ लड़ी जानी चाहिए थी चूँकि युधिष्ठरि न सिर्फ द्रौपदी बल्कि बाकी भाइयों को भी जुए में हार गया था. भीम और बाकी पांडवों का पहला गुस्सा युधिष्ठिर के खिलाफ होना चाहिए थे. कौरवों पर गुस्सा तो बाद की बात थी. लेकिन कृष्ण यह सब नहीं समझाते. कृष्ण कौरवों के खिलाफ भिड़ा देते...

सतगुर नानक परगटया, मिटी धुंध जग चानण होया. सच में क्या?

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क्या बाबा नानक "सिक्खों के गुरु" थे? क्या बाबा नानक "सिक्खों के पहले गुरु" थे? सिक्खी बाबा नानक ने नहीं चलाई. सो वो सिक्खों के "पहले गुरु" थे, यह कहना कतई ठीक नहीं. उन्होंने कोई मोहर-बंद, डिब्बा-बंद धर्म चलाया ही नहीं. हालांकि उन के आने से "धर्म/righteousness" अपने आप कुछ कुछ चल पड़ा, वो अलग बात है. और यह भी कहना कि वो सिक्खों के गुरु थे, उन को सीमित करना है. नहीं. ऐसा नहीं था. सिक्ख तो तब थे ही नहीं. वो गुरु थे, लेकिन गुरु वो सब के थे. और जो सब का नहीं, वो असल में गुरु हो ही नहीं सकता. गुरु कौन है? जो भारी हो. गुरुत्व हो जिस में. मतलब जिस से कुछ सीखा जा सके. तो क्या बाबा नानक गुरु थे? निश्चित ही बहुत कुछ सीखने जैसा था उन से और आज भी है. वो गुर हैं निसंदेह. वो हरिद्वार में जा कर सूर्य की उल्टी दिशा में पानी चढाने लगते हैं. पूछने पर कहते हैं कि करतार पुर में उन के खेत हैं, और वो अपने खेतों को पानी दे रहे हैं. "खेत में पानी यहाँ से कैसे जा सकता है?" लोगों ने पूछा. "तो फिर सूर्य को यहाँ से पानी कैसे जा सकता है?" बाबा नानक ने पूछा....

बिखरे मोती -2

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बिखरे मोती -2 **** Don't be the people of the Book. Rather be the people of the Library. And never be a donkey anyway. **** We differentiate entities as Veg and Non-Veg. Dead and Alive. The fact is there is nothing Dead. Even the dead or lifeless has life. Yes. A few years back, JC Bose proved trees alive. Another man shall prove that stones and Earth are also alive. Yes. Everything is alive. In fact, there is life within life. ****** दुनिया में प्रॉपर्टी और पूंजी पर चंद लोगों का कब्जा है। यकीन मानो, तुम अगर गरीब हो तो सिर्फ इसलिए क्योंकि तुम्हें गरीब रखा गया है। अमीर लोगों की साजिश है कि तुम गरीब ही बने रहो। उनकी पूजी के आगे तुम्हारी मेहनत की औकात कुछ भी नहीं है "सनातन?" **** Your religious tales are just to put you in a slumber. Just like bedtime Stories for the kids. Fairy tales. Tales to numb the rebel in you. Tales to keep you an Idiot. ****** God is one or none. God is one or numerous..nobody knows. God cares or careless, none knows. God responds or not, none kn...

रुदाली

गली में कल कीर्तन था. कीर्तन क्या था "क्रंदन" था. रोना-पीटना था. इत्ती भद्दी, गला फाड़ आवाज़, ऊपर से लाउड-स्पीकर. पूरी गली को चार-पांच घंटे नरक बना दिया. "कमली वाला मेरा यार है...". गा रही बाइयाँ. पति के सामने गाये तो सर पीट ले. बता इस का तो यार है. "कमली वाला". और खुल्ले में इज़हार है. कल्लो क्या करोगे? "आ जा...... आ जा, अम्बे रानी आ जा. शेरों वाली आ जा. पहाड़ों वाली आ जा." शेरों वाली ऐसे बेसुरे आह्वान सुन कर शेर को वापिस पहाड़ों की तरफ ले जाएगी. तुम्हारे पास कभी नहीं आएगी. शिव जी महाराज तांडव करने लगेंगे. उन का तीसरा नेत्र खुल जायेगा. कृष्ण जी, जंगलों में चले जाएंगे. बात क्यों नहीं समझती अम्मा? जब हमारे जैसे नश्वर प्राणी तुम्हारी चीख चिल्लाहट बर्दाश्त नहीं कर सकते तो भोले बाबा कैसे करेंगे? कृष्ण कन्हैया, गोपाल, गोपाल जी की गौ कैसे करेंगी? शेरों वाली का शेर भड़क गया तो कहीं तुम्हें ही न खा जाये. इसलिए रहम करो .. ....................खुद पे. नर्क में पड़ोगी, पकौड़े तले जाएंगे तुम्हारे, कोई खायेगा भी नहीं इतने ही बेसुरे, मेरा मतलब बेस्वाद होंगे जितना तुम्...

Some Scattered Pearls- कुछ बिखरे मोती

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Some Scattered Pearls- कुछ बिखरे मोती~ by Tushar Cosmic  *** जे साई दीपक को आप ने यूट्यूब पर देखा होगा शायद. ये सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं. दीवाली की आतिशबाज़ी को कोर्ट में इन्होनें कोर्ट में कैसे डिफेंड किया वो बता रहे थे एक वीडियो में. कोर्ट ने कहा होगा कि दीवाली में आतिशबाज़ी कोई धार्मिक रीति नहीं है तो इन्होने बताया कि इन्होने बहुत से संस्कृत ग्रंथ ले जा कर रख दिए कोर्ट में जिन में आतिशबाज़ी का ज़िक्र था. फिर इन्होने एक्सप्लेन भी किया कि श्राद्ध पक्ष में हम अपने पूर्वजों को बुला लेते हैं अपने पास तो अब उन को वापिस भी जाना होता है तो उन पूर्वजों को रास्ता दिखाने के लिए रौशनी की जाती है आसमान में आतिश बाज़ी द्वारा. वाह! वैरी गुड!! इडियट!!! महा-इडियट!!!! और ये महाशय बड़े ही ज़हीन समझे जाते हैं. ताबड़-तोड़ अंग्रेजी बोलने से कोई बुद्धिशाली नहीं हो जाता. महा-मूर्ख हैं यह. कैसे? अबे, कौन से पूर्वज आते हैं श्रद्धाओं में और फिर कहाँ जाते हैं? रात में ही जाते हैं क्या जो रौशनी चाहिए उन को? सब कोरी गप. किसी किताब में लिखा है तो सत्य हो गया? है न? जैसे ज़ाकिर "नालायक" किताब में लिखे पर बहस करत...