रोहिंग्या मुसलमान गो बैक

जब आप आसमानी किताब को मानते हैं, जिस में लिखा है कि जो न माने उसे मारो तो फिर आपको कोई नहीं मारेगा, यह कल्पना करना भी मूर्खता है. और यही मुसलमान को समझना है. उसे समझना है कि वो एक फसादी किताब का पैरोकार का है. उसे समझना है कि जब वो मारेगा तो उसके बच्चे भी मारे जायेंगे. जब वो बलात्कार करेगा, उसकी औरतों के साथ भी यही होगा. जब उसकी नज़र में इस्लाम को न मानने वाला काफिर है, थर्ड क्लास है, वाजिबुल-क़त्ल है तो बाकी दुनिया की नज़र में वो भी ऐसा अस्तित्व है जो मिटा देने लायक है. जब मुसलमान किसी को बम से उड़ाता है, ट्रक चढ़ा के मारता है, गोलियों से भूनता है तो यह जेहाद है लेकिन जब मुसलमान को कोई "विराधू" ( मयाँमार का मियाँ-मार बौद्ध नेता) भगा दे, मार दे तो यह उस पर ज़ुल्म है! यह नहीं चलेगा. रोहिंग्या मुसलमान के दर्द में खड़े लोगों को यह समझना ही होगा. बहुत दर्दे-दिल उमड़ रहा मेरे मुस्लिम भाईयों को..इनके मुस्लिम भाई, बहिन काटे जा रहे हैं म्यांमार (बर्मा) में....च.च.च......वैरी सैड! यही दर्दे-दिल कब्बी तब न उमड़ा जब "अल्लाहू-अकबर" के नारे के साथ बम बन के दुनिया के किसी भी कोने में आम-जन को उड़ा दिया जाता है, जब कहीं भी ट्रक चढ़ा दिया जाता है, कहीं भी गोलियों की बरसात कर दी जाती है. सो मेरा स्टैंड साफ़ है, मुझे हमदर्दी है रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति, इसलिए नहीं कि उनको मारा जा रहा है, इसलिए कि वो मुसलमान हैं. ये जो तथा-कथित बड़े-बड़े वकील रोहिंग्या के पक्ष में खड़े हैं न इनको चाहिए रोहिंग्या को अपने घरों में बसा लें. चालीस हज़ार ही तो हैं. ये कब चालीस लाख हो जायेंगे तुम्हें पता भी न लगेगा. भारत पहले ही जनसंख्या के दबाव से त्रस्त है और भर्ती कर लो. पूरी दुनिया से कर लो भर्ती. इडियट. जनसंख्या घटानी है कि बढ़ानी है? इडियट. हमारे कानूनों को हमारे खिलाफ़ प्रयोग किया जा रहा है मूर्खो, समझ लो. कानून में धार्मिक आज़ादी लिखी है, लेकिन समझ लो कि इस्लाम कोई धर्म नहीं है, यह पूरी सामाजिक, कानूनी व्यवस्था है, यह छद्म Militia है. इनको समझ नहीं आ रहा कि पूरी दुनिया से मुसलमान को ही क्यों खदेड़ा जा रहा है? अमेरिका में ट्रम्प क्यों जीत गया? चूँकि उसने मुस्लिम को खदेड़ने की खुल्ली हुंकार भरी. पूरी दुनिया को इस्लाम का खतरा समझा आ रहा है, यहाँ के इन सेक्युलर-वादियों को समझ नहीं आ रहा. अबे, सेक्युलर उसके साथ हुआ जाता है, जो खुद सेक्युलर हो. इस्लाम को अपने चश्मों से नहीं, इस्लाम के चश्मे से देखो, तब समझ आएगा कि वो किसी मल्टी-कल्चर को नहीं मानता है. इस्लाम न सिर्फ एक-देव-वादी है बल्कि एक ही कल्चरवादी भी है. इस्लाम सिर्फ इस्लाम को मानता है. फिर से लिख रहा हूँ, "इस्लाम को अपने चश्मों से नहीं, इस्लाम के चश्मे से देखो, तब समझ आएगा कि वो किसी मल्टी-कल्चर को नहीं मानता है. इस्लाम सिर्फ इस्लाम को मानता है." और उससे होता यह है कि इस्लाम जरा से पॉवर में आ जाए...चाहे वो पॉवर जनसंख्या की वजह से ही हो.....तो इस्लाम बाकी सब तरह की मान्यता वालों की ऐसी-की-तैसी कर देता है. सरमद, मंसूर, दारा शिकोह के साथ जो हुआ, वो ही आज बंगला देश के ब्लोग्गरों के साथ होता है, सरे-आम काट दिए जाते हैं. उससे डेमोक्रेसी, सेकुलरिज्म, फ्री-थिंकिंग सब खत्म हो जाती है. "वसुधैव कुटुबुकम" याद दिलाने वाले रवीश कुमार जी समझ लें, इस्लाम भी "वसुधैव कुटुबुकम" में यकीन रखता है लेकिन तभी जब सब मुसलमान हो जाएँ. सो भुलावे में मत आयें. रोहिंग्या वहीं भेजे जाएँ, जहाँ से वो आये हैं. ज्यादा हमदर्दी है अगर किसी क़ानून-बाज़ को इनसे तो म्यांमार में जाकर केस लड़ें इनके लिए, ताकि सू-ची इनको वापिस लें, काहे दूसरे मुल्कों पर बोझ डाल रही हैं. या फिर इस्लामिक मुल्कों में जा कर केस लड़ें ये कानून-वीर, ताकि ये मुल्क रोहिंग्या मुसलमान को अपने यहाँ रखें, वो मुसलमान बिरादर हैं आखिर. उनकी अपनी कौम. उम्मत. मेरी सुप्रीम कोर्ट श्री को एक सलाह है. वो चाहे तो आम जन से भारत में वोटिंग करवा ले. #Rohingya को रखना है या नहीं. वो बेस्ट है. कल न सरकार पर कोई दोष और न ही कोर्ट श्री पर. लेकिन ऐसा होगा? मुझे लगता नहीं. विरोध करने वाले मोदी सरकार का इस मुद्दे पर विरोध करते रहेंगे, जिसका फायदा भाजपा सरकार को मिलेगा ही, चूँकि हिन्दू जो कि एक बड़ा तबका है भारत में, उसे दिख रहा है कि जबरदस्ती मुसलमान को थोपा जा रहा है मुल्क में. इसका जवाब देगा, वो वोटिंग में. सो जो मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं इस मुद्दे पर, असल में वो मोदी सरकार का ही फायदा कर रहे हैं. नमन...तुषार कॉस्मिक

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