"ब्लू व्हेल" नामक का खेल जिसने बनाया था, वो पकड़ा गया. उस पर सैंकड़ों हत्याओं का आरोप है. ऐसा खेल बनाने का कारण जब उससे पूछा गया तो जवाब में उसने जो कहा, वो बहुत कीमती है. उसने कहा कि वो इस खेल के ज़रिये सफाई कर रहा था. यह एक स्वच्छ अभियान था. Biological Waste यानि जैविक कचरे की सफाई का अभियान.
अब बड़े मजे की बात है, जिसे आप-हम कत्ल कहेंगे, सोचे समझे, प्लान करके किये गए कत्ल, उनको वो सफाई अभियान कह रहा है! है कि नहीं?
कुछ अंग्रेज़ी फिल्मों का थीम है, कहानी है कि विलन ने दुनिया से बहुत से बच्चे अलग-थलग कर रखे हैं. परिवारों से, माँ-बाप से अलग. और उनको अलग ही चार-दीवारी में रखा जा रहा है. तर्क यह है कि बाकी दुनिया फेल है, खात्मे के कगार पर है, बर्बाद है. इसका अब कुछ नहीं हो सकता. इन्सान अपनी चालाकी की वजह से इतना मूर्ख बन गया है कि इसने पृथ्वी का पानी, हवा, धरती, पहाड़ सब दूषित कर दिए हैं. अब बहुत दूर तक वैसे भी धरती इस इन्सान-नुमा कचरे को ढो नहीं पायेगी. इन्सान सिर्फ इन्सान से लड़ रहा है शुरू से ही, शांति से नहीं रह रहा.They are Muslims, Hindus, Sikhs etc. not human beings. They are just Biological waste. इन्सान धर्म के नाम पर, मुल्क के नाम पर, जात-पात के नाम पर, गोरे-काले के नाम पर लड़ रहा है और इस लड़ाई में खुद को ही नहीं धरती को भी बर्बाद कर रहा है, कर चुका है काफी कुछ. इन्सान इस दुनिया का सबसे बुद्धिमान नहीं, सबसे बुद्धि-हीन प्राणी साबित हुआ है.
और दिक्कत यह है की इस इन्सान को तर्क से नहीं समझाया जा सकता. राजनेताओं का और अधर्म-नेताओं का ऐसा जाल है, जंजाल है कि तर्क तो विकसित ही नहीं होने दिया जा रहा. सो कुछ नहीं किया जा सकता दुनिया की बेहतरी के लिए. तर्क से तो बिल्कुल नहीं.
सो ऐसे इंसानों को मरने दो या मार दो और चुनिन्दा बच्चे, जिनको अलग से पाला गया उनसे दुनिया नए सिरे से बसाओ, बनाओ.
क्या लगता है आपको कि जिस तरह की दुनिया है, यहाँ तर्क से कुछ समझाया जा सकता है, कोई बदलाव लाया जा सकता है? मेरा मानना है कि नहीं. कोई चमत्कार हो जाए तो मैं कह नहीं सकता, अन्यथा नहीं.
मैं पिछले चार साल से सोशल मीडिया पर लगभग 500 लेख लिख चुका हूँ. हिंदी-अंग्रेज़ी दोनों भाषाओँ में. सिर्फ इस उम्मीद में कि दुनिया में कुछ बेहतरी लाई जा सके. लेकिन मुझे पता है, घंटा फर्क नहीं पड़ना इस तरह मेरे किये से. नक्कार-खाने की तूती है, बजा रहा हूँ जब तक बजा पाऊँगा. चूँकि मेरे पास हथियार सिर्फ तर्क है. लेकिन तर्क से कुछ होना-जाना नहीं है.
दुनिया में बदलाव, बेहतरी सिर्फ दो तरीके से आ सकती है. या तो कोई चमत्कार हो जाये या फिर 'ब्लू व्हेल' खेल बनाने वाले और जिन अंग्रेज़ी फिल्मों के विलन का मैंने ज़िक्र किया, इनको हीरो मान लिया जाये.
तीसरा विकल्प मुझे नहीं सूझता.
आपको सूझता हो तो बताएं?
नमन.......तुषार कॉस्मिक
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