१. ट्रेन पटरी से रोज़ उतर रही हैं....लेकिन इसमें प्रभु मतलब 'सुरेश प्रभु' की कार्यकुशलता पर मुझे कतई शंका नहीं.
२. राज्य पर देश-भक्त सरकार थी.....और राष्ट्र पर राष्ट्र-वादी चक्रवर्ती सम्राट का राज्य... जानते-बूझते हुए चालीस लोग मरने दिए गए, कई राज्यों में अफरा-तफरी का माहौल बनने दिया गया, करोड़ों रुपये का नुकसान होने दिया गया....लेकिन न तो मुझे कट्टर मतलब खट्टर सरकार की क्षमता पर कोई शंका है और न ही उनकी गोदी सरकार की.
३. नोट-बंदी सिरे से फेल हो गई, जो कि होनी ही थी.... लेकिन न तो मुझे चाय की केतली की क्षमता पर शंका है और न ही चाय बनाने वाले की.
४. असल में मुझे कभी कोई शंका नहीं होती, सिवा लघु-शंका के या दीर्घ-शंका के चूँकि मैं भक्त हूँ. भक्त शंका नहीं श्रधा में विश्वास रखते हैं.
५. हटो, तुम साले बेफ़िजूल ही बच-कोदी करते रहते हो. भक्ति-मार्ग पर चल कर तो देखो. यह भी मोक्ष तक ले जाता है.
तुषार कॉस्मिक
No comments:
Post a Comment