प्रॉपर्टी डीलर हूँ. कल कुछ कश्मीरी आये थे किराए पर लेने.
चार लोग, दो लड़के, दो लड़की.
मैंने लड़की के लहजे से पहचान लिया कि वो कश्मीरी हैं.
वो यहाँ नर्सिंग जैसा कुछ कर रही थी. मैंने बोला कि जब सीखना यहीं है, काम यहीं करना है, तो सब कश्मीरी भारत ही आ जायें. भारत तो कहता ही है कि कश्मीर हमारा है तो फिर कश्मीरी भी हमारे ही हुए.
लड़की पता क्या बोली?
बोली, "लेकिन कश्मीरी मत मानते कि हम भारत के हैं."
यह सब बस flow में बात हुई.
नार्मल flow.
यह बात मामला खोल गई.
मैं बाद में मेरे साथ वाले डीलर, जो कि खुद मुस्लिम है, को कह रहा था, "जब ये लोग खुद को भारत से अलग मानते हैं तो फिर यहाँ किराए का घर किस लिए ढूंढ रहे हैं?"
उसने कहा, "हाँ, इसको यह बात कहनी नहीं चाहिए थी?"
मतलब.....'कहनी' नहीं चाहिए थी...चाहे दिल में कुछ भी हो.
वाह!
लेकिन यह बात तो सब कुछ ही कह गयी.
मेरा बस यही पॉइंट है कि.....जब कश्मीरी खुद को मानते ही नहीं भारतीय तो फिर यहाँ क्या कर रहे हैं?
उनके जैसे तो और भी बहुत हैं यहाँ भारत में.
और भारत सरकार इनको एंट्री ही क्यों दे रही है?
मेरा एक दोस्त है कश्मीरी....ब्राह्मण है ..वो भी यही सब बताता था.
कोई भी कश्मीरी मुस्लिम....खुद को भारतीय नहीं मानता.
मुझे लगता है कि वजह है कि इनको पता है कि कश्मीर टूरिज्म से बहुत अमीर हो सकता है.
पैसा एक बड़ी वजह है.
अब जब वहां नहीं है टूरिज्म तो गरीबी है.
गरीबी है तो ये लोग भारत को भाग रहे हैं.
लेकिन अंदर से भारत के प्रति खोटे हैं.
नहीं होना चाहते भारत के साथ. चाहते हैं भारत दफा हो और वो अपनी सरकार बना लें और टूरिज्म से पैसा कमायें.
कश्मीर की समस्या की वजह इस्लाम है. और पैसा है
और कुछ यह भी है कि कश्मीर कभी भारत का उस तरह से हिस्सा रहा ही नहीं जैसे और स्टेट हैं.
फिर से लिखता हूँ ......वजह....वजह.....है...इस्लाम......टूरिज्म का पैसा और पुराने कोई राजनीतिक इकरार-नामे.
नमन...तुषार कॉस्मिक
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