अधिकांश लोग अपनी नाक से आगे नहीं सोच पाते.
दूर के बड़े फायदे को नहीं देख पाते. दूर तक होते हुए फायदे नहीं देख पाते. नहीं देख पाते कि सामने वाला सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो सकता है.
वो बस नजदीक का फायदा देखते हैं. तुरत होने वाला फायदा देखते हैं. मुर्गी को तुरत हलाल या हराम करने में यकीन करते हैं.
इडियट हैं. होना तो यह चाहिए कि कई बार दूर के बड़े फायदे के लिए निकट का छोटा फायदा भी कुर्बान कर देना चाहिए. ऐसा मेरा मानना है.
मैं लम्बे रिश्ते बनाने में यकीन रखता हूँ. लेकिन रख नहीं पाता हूँ चूँकि आप लम्बे रिश्ते तभी रख सकते हैं जब सामने वाला भी ऐसा ही सोचता हो. अन्यथा आप मुर्दा किस्म के रिश्ते ढोते रहेंगे.
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