बड़ा मजाक उड़ाया जा रहा है कि जगन नाथ भगवान बीमार हुए, उनका इलाज हुआ, अब शायद ठीक हैं.
ये कुछ खास बात नहीं है.
हिन्दू तो शिव पार्वती मूर्तियों का बाकायदा हर साल विवाह भी करते हैं. बारात निकलती है, भजन-भोजन होता है, कन्या-दान होता है, विदाई होती है, सब.
सिक्खों में किताब (ग्रन्थ) को जिंदा मानते हैं. चंवर से हवा करते हैं, वस्त्र पहनाते हैं, बदलते हैं.
मुसलामानों में पत्थर मारते हैं कहीं, तो समझते हैं कि शैतान को मार रहे हैं. बकरा काट के खुद खा जाते हैं और समझते हैं कि अल्लाह को कुर्बानी दे दी.
धर्म का मतलब है, अक्ल पे पर्दा गिरना, जो न करवाए, वही बढ़िया, वरना तौबा! तौबा!! तौबा!!!
ये कुछ खास बात नहीं है.
हिन्दू तो शिव पार्वती मूर्तियों का बाकायदा हर साल विवाह भी करते हैं. बारात निकलती है, भजन-भोजन होता है, कन्या-दान होता है, विदाई होती है, सब.
सिक्खों में किताब (ग्रन्थ) को जिंदा मानते हैं. चंवर से हवा करते हैं, वस्त्र पहनाते हैं, बदलते हैं.
मुसलामानों में पत्थर मारते हैं कहीं, तो समझते हैं कि शैतान को मार रहे हैं. बकरा काट के खुद खा जाते हैं और समझते हैं कि अल्लाह को कुर्बानी दे दी.
धर्म का मतलब है, अक्ल पे पर्दा गिरना, जो न करवाए, वही बढ़िया, वरना तौबा! तौबा!! तौबा!!!
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