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सेकुलरिज्म और कॉमन सिविल कोड

जब मैं यह कहता हूँ कि खालिस्तान, हिंदुस्तान, पाकिस्तान जैसी धारणाएं खतरनाक हैं, बकवास हैं और दुनिया को धर्मों के आधार पर बांटना गलत है और दुनिया को सेकुलरिज्म के तले ही जीना चाहिए जिसमें सब तरह की मान्यताओं के हिसाब से लोग जी सकें तो मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि दुनिया को एक ही तरह के कॉमन सिविल कोड के नीचे जीना चाहिए. शरियत हो या कोई भी अन्य तरह के धार्मिक आधार वाले कानून किसी के लिए नहीं दिए जा सकते. आज मुस्लिम इस बात पर तो राज़ी हैं कि उन्हें भारत में रहना है, भारत उनका मुल्क है....सेकुलरिज्म सही है तो क्या वो कॉमन सिविल कोड पर राज़ी हैं?..मुझे तो नहीं लगता. लेकिन तर्क समझना चाहिए....जब हम मज़हबी मुल्क सही नहीं मानते तो फिर सब तरह के धर्मों के लोग रहेंगे सब जगह तो फिर साझे कानून बनाने ही होंगे और मानने ही होंगे...सिंपल  धार्मिक मर्यादा अक्सर कॉमन सिविल कोड के बीच अडंगा लगाती हैं, लेकिन हल निकाले जा सकते हैं...जैसे सिक्ख हथियार रखते हैं अपने धर्म के हिसाब से.....तो उन्हें कृपाण रखने की अनुमति दी गई लेकिन छोटी ...सिंबॉलिक हल निकाले जा सकते हैं, लेकिन अंततः सेकुलरिज्म को मान...

!!!!"सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा"? क्या बकवास है!!!!

पृथ्वी एक है.......यह देश भक्ति, मेरा मुल्क महान है, विश्व गुरु है, यह सब बकवास ज़्यादा देर नहीं चलेगी.......हम सब एक है......बस एक अन्तरिक्ष यात्री की नज़र चाहिए......उसे पृथ्वी टुकड़ा टुकड़ा दिखेगी क्या? अगर कोई बाहरी ग्रह का प्राणी हमला कर दे तो क्या सारे देश मिल कर एक न होंगे....तब क्या यह गीत गायेंगे, "सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हम ारा"? "सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा"? क्या बकवास है, सिर्फ इसलिए कि कोई हिंदुस्तान में पैदा हो गया तो वो गा रहा है सारे जहाँ से अच्छा.....अहँकार का ही फैलाव है इस तरह का देश प्रेम.....और जीजान से लगा है भारतीय साबित करने में कि नहीं, भारत ही विश्वगुरु है, सर्वोतम है... हमने विश्व को जीरो दिया लेकिन यह कभी न सोचेगा कि जीरो देकर जीरो हो गया जीरो देना ही काफी नहीं था, बुनियाद डालना ही काफी नहीं होता , इमारत आगे भी खड़ी करनी होती है

Health

Never let "COCONUT" Disappear from your kitchen, can be consumed raw or cooked in sweet or salty dishes, in natural or Milk form.  Very very tasty tasty healthy healthy. Just increase consumption of seeds, beans, sprouts, nuts, fruits, dry fruits, salads, nicely cooked vegs, whole Grains.  Just decrease consumption of Roties, chawal, fried items, sweets, over cooked veg in heavy Ghee, Milk & Milk products. And Lo, Healthier you are.

!!!!!निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाए----बकवास!!!!!!

निंदक सिर्फ निंदा ही करता रहेगा, जोंक की तरह व्यक्ति के उत्साह को चूस जाएगा, ऐसे व्यक्ति को ब्लाक कर देना चाहिए..चाहे फेसबुक हो चाहे जीवन हाँ, आलोचक का स्वागत होना चाहिए, आलोचक, जिसके पास लोचन, यानि बुद्धि की आँखें हैं...जो अच्छा बुरा देख समझ सकता है .....और जो अच्छे पर उत्साह बढाता भी है, ताली भी बजाता है और गलत दिखने पर गलती भी समझाता है... इसे समझने के लिए आसान मिसाल हाज़िर है, क्या आप हमेशा अपनी माँ, या बीवी के हाथ के बने खाने में कमियां ही निकालते हैं या अच्छा बना हो तो प्रशंसा भी करते हैं? उम्मीद है समझ गए होंगे, इससे आसान मिसाल अभी तो मुझे नहीं मिल रही

"आओ प्यारे सर टकरायें"

1) हलवाई यदि सिर्फ हलवा ही नहीं बनाता तो उसे हलवाई कहना कहाँ तक उचित है ...? 2) कोई ग्लास पीतल या स्टील का कैसे हो सकता है जब ग्लास का मतलब ही कांच होता है? 3) स्याही को तो स्याह (काली) ही होना था, फिर नीली स्याही, लाल स्याही क्योंकर हुयी? 4) सब गंदगी पानी से साफ़ करते हैं, लेकिन जब पानी ही गन्दा कर देंगे तो किस को किस से साफ़ करेंगे? 5) जल जब जल ही नहीं सकता तो इसे जल कहना कहाँ तक ठीक है? 6) जब कोई मुझे कहता है ,"आ जा "तो मुझे कभी समझ नहीं आता कि वो मुझे आने को कह रहा है, या जाने को या आकर जाने को, क्या ख्याल है आपका? 7) जित्ती भी आये, लगता है कम आई...तभी तो कहते हैं इसे कमाई....मुझे नहीं अम्बानी से पूछ लो भाई.... क्या ख्याल है आपका? 8) जब हम राजतन्त्र से प्रजातंत्र में तब्दील हो गए हैं तो क्या राजस्थान का नाम प्रजास्थान न कर देना चाहिए. नहीं? 9) वेस्ट बंगाल भारत के ईस्ट में है , फिर भी इसे वेस्ट बंगाल क्यों कहते हैं..? 10) गुजरात में शायद सिर्फ गूजर तो नहीं रहते अब फिर भी इसे गुजरात क्यों कहते हैं? 11) छोटे डब्बे में बड़ा डिब्बा तो नही...

!!!! How to win friends and influence people, WTF !!!!!

Dale Carnegie was another shallow writer from the west. What he is teaching is just cunning-ness, shallow worldly tactics. The most famous book by him, How to win friends and influence people, see the title, is friendship a battle to be won and are you to defeat your friends and are you to win your friends, the choice of words shows one's  mentality. All salesman kinda tricks. Go on polishing, supporting other's ego, if the friends is going to commit suicide, do not criticize...... What is criticisms...criticism is creativity, it is not devastation........criticism means seeing what is wrong , what is right...........and expressing so. Dale Carnegie is shallow, cheap, salesman...not a real friend, a real friend does not care much about winning friends, a real friend makes foes......Jesus, Socrates, Osho, Galileo, Joan of Arch and many others, these were real friends of humanity and what happened, were they here to win friends? No, they just do not care, they express as they ...

!!!!!!!तेज़ाब हमला-!!!!!!!!!

जिस तरह गन और गोली का पूरा हिसाब किताब बेचने और खरीदने वाले को रखना होता है, ठीक वैसे ही तेज़ाब के लिए सख्त कानून बनने चाहिए........किस ने कहाँ से कितना लिया, किस मकसद से लिया, किसको बेचा.......सबके identity कार्ड भी सरकार को रखने चाहिए......फ़ोन नंबर एड्रेस..........दो गवाह......और प्राइवेट बिक्री ही बंद कर देनी चाहिए........तेज़ाब को दुर्लभ बना देने से कुछ हद तक मामला  हल हो सकता है.... वैसे भीतरी मुद्दा तो दबा सेक्स है...एक मुल्क जहाँ सेक्स किसी दूसरे ग्रह की चीज़ जितना मुश्किल मामला बना दिया जाएगा, वहां इस तरह के अपराध सामने आते रहेंगे........सड़ांध है यह हमारे तथा कथित समाजिक सिस्टम की........... सेक्स वर्कर को लाइसेंस नहीं देंगे........सेक्स का सामना ही नहीं करेंगे......जैसे गुनाह हो.....पाप हो.....वैसे कुछ समय पहले तक तो सेक्स की बात ही गंदी बात होती थी.....वैसे अभी भी है.....हमारी सब गालियाँ सेक्स से जुड़ी हैं.....हमने सेक्स को ही गाली बना दिया है.... ऐसे समाज में, जो शुतुरमुर्ग का रवैया अपनाएगा मानव की सबसे बड़ी शक्ति, सबसे बड़े आकर्षण और सबसे बड़े आनंद के प्रति.....जो इसे ज़हरीला ...

!!!!!!! THE SAD STORY BEHIND THE WORD "RATION" !!!!!!!

Do you know what is the meaning of Ration, it does not mean Groceries, it does not mean Sugar, Lentils, Flour etc. It means,"a fixed amount of a commodity officially allowed to each person during a time of shortage". Do you understand, what I mean to convey? In India life essential groceries were never enough for general p eople, these had been rationed. What a great country! Where Lentils, Flour, Sugar, Lentils, Flour is equal to "ration". The supply of these life essential kitchen eatables has been so much rationed, limited that the word ration had become equal to these eatables. What a pity!

!!!बड़े नामों की गुलामी ढोती मनुष्यता!!!

अक्सर लोग एक तरह की नामों की गुलामी में ही जी रहे होते हैं...बड़े नामों की गुलामी...चाहे वो नाम किसी किताब का हो या किसी व्यक्ति का...... मेरे जैसे हकीर आदमी की हिमाकत ही कैसे हो गयी? किसी महान किताब / शख्सियत पर कोई ऐसी टिप्पणी करने की, ऐसी टिप्पणी जो जमी जमाई जन-अवधारणा को ललकारती हो... मानसिक गुलामी मुझसे अक्सर कहा जाता है, मैं कौन हूँ जो फलां विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में या उसके किसी कथन के बारे में टिप्पणी करूं, मेरी औकात क्या है, मुझे क्या हक़ है मैं बताना चाहता हूँ कि ऐसा करने का सर्टिफिकेट मुझे जनम से ही कुदरत ने दे दिया था, सारी कायनात मेरी है और मैं इस कायनात का... और मेरा हक़ है, कुदरती हक़, दुनिया के हर विषय के पर, हर व्यक्ति पर बोलने का, लिखने का और यह हक़ आपको भी है, सिर्फ इस भारी भरकम नामों की गुलामी से बाहर आने की ज़रुरत है और एक बात और जोड़ना चाहता हूँ, कोई भी व्यक्ति चाहे कितना ही महान हो, कितना ही बड़ा नाम हो उसका....कहीं भी गलत हो सकता है और कोई भी मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति कहीं भी सही हो सकता है

वेशभूषा के अंध-विश्वास

रवीश कुमार को मैं काफी संजीदा टीवी एंकर मानता हूँ...पर जनाब तपती गर्मी में कोट पहने टाई लगाये समाचारों पर समीक्षा प्रस्तुत कर रहे थे............कहीं तो सोच में गड़बड़ है कपड़े तक पहनने में लोग अंध-विश्वासी हैं...न सिर्फ अनपढ़, कम पढ़े लिखे बल्कि ठीक ठाक पढ़े लिखे लोग भी. अब कोट, टाई पहना व्यक्ति ही संजीदा लगेगा, सभ्य लगेगा, यह अंध विश्वास नहीं तो क्या है मेरा धंधा है कपड़े का, कौन सा कपड़ा Casual है,  कौन सा Formal, सब अंध विश्वास है आदमी मरे मरे रंग पहने, औरत चटकीले रंग, यह अंध विश्वास है बुजुर्ग हैं तो मरे मरे रंग पहने, यह अंध विश्वास है ऊँची एड़ी वाली स्त्री अच्छी दिखती हैं, यह अन्धविश्वास है....चीन में तो स्त्री के छोटे पैर सुन्दर दीखते हैं, इसका इतना जबरदस्त अंध विश्वास था कि बच्चियों को इतनी छोटे लोहे के जूते पहनाये जाते थे कि उनका बाकी शरीर तो बढ़ जाता था लेकिन पैर छोटे रह जाते थे, इतने छोटे कि वो अपाहिज हो जातीं थी.....हमेशा के लिए....अभी भी शायद एक आध औरत उन बदकिस्मत औरतों में से जीवित हो कभी आपने भारतीय वकीलों की वेश भूषा देखी है.....काला कोट, टाई, गर्मी हो तो भी...यह तर्क करने वा...

!!!!गंगा ने बुलाया है!!!!!

मूढ़.......गंगा की सफाई की चिंता है.........अरे, सारा माहौल जहरीला कर दिया तुम्हारी अकलों ने.... क्या ज़मीन, क्या दरिया...क्या समन्दर......क्या हवा.... क्या इंसानियत.....क्या मासूमियत..... सब कुछ और और तुम्हें चिंता हो रही है कि गंगा मैली हो गयी है. जैसे सिर्फ गंगा ही मैली हुई है सब ..सब कुछ मैला है ज़्यादा अक्ल है न ...ज्यादा अक्ल है न तुम सब में और तुम्हें चिंता है कि गाय की हत्या नहीं होनी चाहिए, जैसे सिर्फ गाय ही पवित्र हो बाक़ी सब अपवित्र........ जैसे बाकी जानवर मार देने के काबिल हों...जैसे मुर्गा....बकरा कोई कम पवित्र हो....... मूढ़ ज़्यादा अक्ल है न तुममें.... बस तुम्हारी किसी किताब ने बता दिया कि गंगा और गाय बचनी चाहिए और तुम चल पड़े इनको बचाने..... .... तुम इनको भी इसलिए नहीं बचाने निकले कि तुम्हें कोई समझ है कि पर्यावरण के लिए इनको बचाना ज़रूरी है...... तुम इनको इसलिए नहीं बचाने निकले कि इस पृथ्वी के प्राण सूखते जा रहे हैं..,,कि हवा, पानी, ज़मीन सब ज़हरीला होता जा रहा है.... तुम इसलिए इनको बचाने निकले हो क्योंकि यही तुम्हारे कानों में बचपन से आज तक फूँका गया है........क्योंकि यह तुम्ह...

ज्योतिषी

ज्योतिषी सीधा सीधा मनोवैज्ञानिक है......आपके बहुत से रुके, बिगड़े काम वैसे भी बनने होते हैं यदि आप समस्या पर कम ध्यान दें और समस्या निवारण पर ज़्यादा  ज्योतिषी आपको टोने टोटके और झूठ मूठ के उपायों में उलझाये रखता है...आपकी उम्मीद को बंधाये रखता है....... और चूँकि आप उम्मीदवार हो जाते हैं.......सो आप अपने अपने हालातों को सुधारने में भी प्रयासरत रहते हैं.. नतीज़ा....हालात बहुत बार सुधर जाते हैं. नतीज़ा......ज्योतिषी महाराज जी की जय हो आप भी खुश और वो भी खुश

Concept of Gurudom, a passe:-----

Never make anyone your Guru, never, it is just like pledging your wisdom to someone else, a mortgage which will never be released. It is just like seeing with the eyes of someone else, walking with the legs of someone else. Had the nature wanted this, it had never given separate pairs of your own. There is a saying in Punjabi ," Shah bina patt nahi, Gur bina gatt nahi." it simply means that none can save one's honor in society without the upper-hand of a moneylender and none can move ahead without the help of Guru. Both faulty concepts, disordered social values, why should someone borrow and why should someone lend, why should be the need of a professional moneylender, only because society is deeply dis-harmonized financially. And why should some particular one be a Guru, why not the emphasis be laid on developing a learning mindset instead of the need and importance of a Guru? What will a Guru do, if the one does not wanna learn anything? In my view, the whole emphasi...

IDEA इज़ उल्लू बनावींग!

IDEA इज़ उल्लू बनावींग!  व्हाट एन आईडिया सर जी!! आप ले लो बस इसकी सर्विस, दिन में तीन बार यह कंपनी आपको computerized कॉल करेगी अपनी बकवास सुनाने को.. फिर आप यदि किसी को कॉल मिलायेंगे तो किसी बाला की मधुर आवाज़ में यह सुनना होगा कि रिचार्ज कराने के लिए बेस्ट ऑफर आप कैसे ले सकते हैं फिर जैसे ही कॉल मिलेगा तो सामने वाले ने जो रिंग टोन लगा रखी है, वो आप कैसे ले सकते हैं, यह तफसील से बताया जाएगा इसे कहते हैं, उल्लू बनावींग मैंने यह सर्विस फ़ोन ये सब ऑफर्स सुनने को ही तो ली है, मुझे कोई और काम थोड़ा ही है, या मेरे समय की कोई कीमत थोड़ा ही है. यहाँ "मैं" में तमाम मित्र जिनको IDEA इज़ उल्लू बनावींग, जिनका अरबों रूपए का समय IDEA इस खावींग, सब शामिल हैं व्हाट एन आईडिया सर जी!!!

बलात्कार, समस्या और इलाज---

बलात्कार, समस्या और इलाज--- बलात्कारी को सजा देना ऐसे है जैसे किसी को भूखा रखो और वो बेचारा खाना चोरी करे तो उसे सज़ा दो बलात्कारी को सजा देना ऐसे ही है जैसे अपनी गलती की सजा किसी और को दे कर अपने सही होने की खुद को तस्सली देना  आप किसी को बे-इन्तेहा भूखा रखोगे .....तो वो खाना देख कर .......खाने का और अपना, दोनों का खाना ख़राब कर लेगा चोर चोरी करते हैं और जाते जाते घर जला जाते हैं लगता है कितना अमानवीय कृत्य है लेकिन ऐसा वो करते हैं सजा के डर से आप सज़ा मत दो....वो घर न जलाएंगे आप भूखा मत रखो ...वो चोरी न करेंगे थोडा सोच कर देखो न.....यदि समाज ऐसा हो कि स्त्री पुरुष को इस तरह से न रखा गया हो जैसे दो अलग ग्रह के वासी हों ..तो शायद पागल ही ऐसा करें ......और पागलपन का इलाज़ होना चाहिए...सज़ा नहीं बलात्कार न घटेगा जब तक सेक्स पिंजरे में रहेगा.... न बलात्कार, न वेश्यालय, न भौंडे आइटम गाने, न अश्लील चित्र, न चलचित्र ......कुछ भी नहीं बीमारियाँ हैं, इलाज होना चाहिए, लेकिन न तो डायग्नोज़ सही कर रहा है समाज, न इलाज़........ इलाज ये नहीं कि कानून बनायो.... मित्रवर, बार बार होते अपराध तो निशानी हैं...