सेकुलरिज्म और कॉमन सिविल कोड
 जब मैं यह कहता हूँ कि खालिस्तान, हिंदुस्तान, पाकिस्तान जैसी धारणाएं खतरनाक हैं, बकवास हैं और दुनिया को धर्मों के आधार पर बांटना गलत है और दुनिया को सेकुलरिज्म के तले ही जीना चाहिए जिसमें सब तरह की मान्यताओं के हिसाब से लोग जी सकें तो मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि दुनिया को एक ही तरह के कॉमन सिविल कोड के नीचे जीना चाहिए.   शरियत हो या कोई भी अन्य तरह के धार्मिक आधार वाले कानून किसी के लिए नहीं दिए जा सकते.   आज मुस्लिम इस बात पर तो राज़ी हैं कि उन्हें भारत में रहना है, भारत उनका मुल्क है....सेकुलरिज्म सही है तो क्या वो कॉमन सिविल कोड पर राज़ी हैं?..मुझे तो नहीं लगता.   लेकिन तर्क समझना चाहिए....जब हम मज़हबी मुल्क सही नहीं मानते तो फिर सब तरह के धर्मों के लोग रहेंगे सब जगह तो फिर साझे कानून बनाने ही होंगे और मानने ही होंगे...सिंपल    धार्मिक मर्यादा अक्सर कॉमन सिविल कोड के बीच अडंगा लगाती हैं, लेकिन हल निकाले जा सकते हैं...जैसे सिक्ख हथियार रखते हैं अपने धर्म के हिसाब से.....तो उन्हें कृपाण रखने की अनुमति दी गई लेकिन छोटी ...सिंबॉलिक   हल निकाले जा सकते हैं, लेकिन अंततः सेकुलरिज्म को मान...