भक्त- 28 नवम्बर को जो दूकान बंद मिले, उससे कभी ज़िंदगी में सामान नहीं लेंगे.
देशद्रोही- सर जी, आप तो चाहते हैं कि हिन्दू कभी मुसलमान को बिज़नस न दे.
भक्त—तो?
देशद्रोही-- पुरानी दिल्ली का करीम होटल देखा है, वहां हिन्दू, मुस्लिम, सिख सब जाते हैं खाने. मालूम है क्यूँ?
भक्त- क्यूँ बे?
देशद्रोही- चूँकि उनका मटन खाते हुए लोग अपने हाथ तक खा जाते हैं.
भक्त- अबे साबित क्या करना है तुझे?
देश-द्रोही-- मेरे इर्द-गिर्द सबने चीन से बनी लड़ियाँ ही लगा रखीं थी दीवाली पे. आप तो चाइना का सामान भी बंद करने की गुहार कर रहे थे.
भक्त- तो?
देशद्रोही-- बाज़ार अपने नियमों से चलती है, आपके इस हुक्का-पानी बंदी से नहीं. बहुत दूर तक नहीं जाएगी यह ट्रिक.
भक्त- अबे चोप, देशद्रोही!!
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