Saturday, 26 November 2016

प्रजातंत्र या अर्थतन्त्र का षड्यन्त्र

मोदी भक्त-जन, बस इतना जवाब दें कि कोई धन काला कैसे हो गया? सरकार  नौकर है. जनता मालिक है. है कि नहीं? फिर आज तक कभी कोई सर्वे हुआ कि जनता (मालिक) कितना टैक्स देकर सरकार चलवाना चाहती हैं?

अँधा-धुंध टैक्स लगाओ और फिर कोई न दे तो उसे चोर घोषित करो. 

ऐसी सरकारों की ऐसी की तैसी.

भाजपा के अपना खाता बताया कि करोड़ों रुपये जो मोदी खर्च करके PM बना , वो कहाँ से आए थे?

हमें कॉर्पोरेट धन से हमारे नेता बने लोगों का विरोध करना चाहिए.
हमें छदम प्रजातंत्र का विरोध करना चाहिए.


तभी हम प्रजातंत्र के असली मतलब को जी पायेंगे.वरना हम सिर्फ अर्थ-तन्त्र आधारित छद्म-तन्त्र षड्यन्त्र में पड़े रहेंगे.


असल प्रजातंत्र तब होगा जब आप और मुझ में से कोई भी प्रधान-मंत्री बन सके. बन सके अपनी मन्त्रणा की क्षमता की वजह से. न कि इसलिए कि वो किसी संस्था में जीवन भर रहा, न कि इसलिए कि उसे कोई अंध-धुंध पैसे से देवता बना गया.


उम्मीद है समझ आए.


तुषार कॉस्मिक

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