जन-धन अकाउंट का औचित्य
देशद्रोही- सर जी, मोदी जी की कोई उपलब्धी बताएं प्रधान-मंत्री बनने के बाद.
भक्त- मोदी जी ने जन-धन योजना के तहत गरीब से गरीब लोगों को बैंक अकाउंट खुलवाए ही इसीलिए कि लोग अपना पैसा बैंक में रखें.
देशद्रोही- लेकिन सर जी, अकाउंट तो कोई भी पहले भी खोल सकता था.
भक्त- लेकिन उसके लिए हज़ार रुपये भी तो होने चाहिए थे?
भक्त- लेकिन उसके लिए हज़ार रुपये भी तो होने चाहिए थे?
देशद्रोही- सर जी, अगर हज़ार रुपये भी नहीं हैं तो फिर अकाउंट खोलना ही किस लिए?
भक्त- चोप!
देशद्रोही- और सर जी, उन जन धन खातों के रख रखाव में जो खर्चा आया, वो जनता ने ही भरा न? उसका फायदा क्या जब इनमें से बहुत लोग हज़ार रूपया भी जमा करके खाता नहीं खुलवा सकते?
भक्त- चोप! तुम्हें समझ नहीं आएगा, ये हाई इकोनोमिक्स की बातें हैं.
देशद्रोही- ठीक है सर जी, फिर तो मेरे से वोट भी नहीं माँगा जाना चाहिए, मुझे कहाँ कुछ समझ आएगा. नहीं?
भक्त- चोप! देशद्रोही!!
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