Wednesday, 30 November 2016

वो प्रधान-मंत्री हैं, उनका सम्मान करो!

भक्त----- क्या बे यह? जब देखो मोदी जी के खिलाफ बकते रहते हो. मोदी जी देस के प्रधान-मंत्री हैं. हमें अपने प्रधान-मंत्री का सम्मान करना चाहिए. अब वो किसी पार्टी के प्रधान-मंत्री थोड़े न हैं. वो देश के प्रधान-मंत्री हैं.
देशद्रोही--- वोईईईई तो, सर जी,
भक्त---- क्या वोईईईए तो बे?
देशद्रोही--- सर जी, वो ही तो मैं भी कहता हूँ. वो खुद भी तो समझें कि वो अब देश के प्रधान-मंत्री हीन. आरएसएस के प्रचारक नहीं. लेकिन वो तो हर चुनाव में पहुँचते हैं अपनी पार्टी का प्रचार करने. वो तो खुद नहीं मानते कि अब वो अपनी पार्टी के प्रधान-मंत्री नहीं हैं, देश के प्रधान-मंत्री हैं.
भक्त--- अबे चोप, प्रचार करने का हक़ तो उनको भी है न अपनी पार्टी का. प्रधान-मंत्री भी हैं वो और अपनी पार्टी के सर्वोच्च मेम्बर भी. वो दोनों रोल अदा करते हैं.
देशद्रोही--- सर जी अगर हम भी दोनों रोल अदा करते हैं तो वो आपको हज़म नहीं होता. मतलब हम वोटर भी हैं और विचारक भी. और हमें समझ आता है कि प्रजातंत्र को हाईजैक करके कॉर्पोरेट मनी के दम पर बना प्रधानमन्त्री सम्मान के काबिल वैसे ही नहीं. हमें समझ आता है कि सरकारों का सम्मान मात्र इसलिए कि वो सरकार हैं, सिवा गुलामी के कुछ नहीं है. हमें समझ आता है कि भगत सिंह, जॉन ऑफ़ आर्क, जीसस क्राइस्ट और न जाने कितने ही लोगों को उस वक्त की सरकारों के हुक्म से मारा गया था.
भक्त---- अबे, तो अब तू भगत सिंह है? जॉन ऑफ़ आर्क है? जीसस क्राइस्ट है? पता नहीं कहाँ-कहाँ की हाँकने लग रहा है.
देशद्रोही---- सर जी, मैं तो बस विचार कर रहा था.
भक्त- अबे चोप! विचार करने के लिए मोदी जी हैं.
देशद्रोही--- लेकिन सर जी मैं भी.......
भक्त--- अबे चोप, देशद्रोही!

No comments:

Post a Comment