भक्त- अबे पता है तुझे, मोदी जी रोज़ अठारह घंटे काम करते हैं और कोई छुटी नही लेते.
देशद्रोही- सर जी, मेरा स्कूटर खराब हो गया था.
भक्त- तो? मैं देश के प्रधानमन्त्री की बात कर रहा हूँ और तू अपने स्कूटर को रो रिया है.
देशद्रोही- सर जी, आगे भी तो सुनिए. स्कूटर मैं मकेनिक के पास ले गया.
भक्त- अबे, फिर वही स्कूटर? मैं देश के प्रधानमन्त्री की बात कर रहा हूँ और तू अपने स्कूटर को रो रिया है.
देशद्रोही- सर जी सुनिए तो. मकेनिक ने अट्ठारह घंटे उस पर काम किया,बिना रुके.|
भक्त- अबे, पागल हो गया क्या? स्कूटर पर ही तेरी सुई अटक गई है.
देशद्रोही- सर जी, सुनिए तो. पागल मैं नहीं स्कूटर हो गया. मेकेनिक अनाड़ी निकला. और उसके अट्ठारह घंटे की कड़ी मेहनत का नतीजा यह हुआ कि फिर मुझे उसे ठीक करवाने में स्कूटर की कीमत जितना ही खर्च करवाना पड़ा. लेकिन जान जैसा प्यारा था स्कूटर, सो खर्च किया.
भक्त- चोप! देशद्रोही!!
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