Monday, 9 October 2017

हमारे शादी-ब्याह-जन्म दिवस जैसे आयोजनों में सारा जोर खाने-पीने पर है. करने को सिवा खाने या फिर दारू पीने के कुछ भी नहीं होता. कुछ नाच भी लिया जाता है. अधिकांश लोग बस खाते हैं. क्या हम भुक्कड़ हैं?

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