Tuesday, 10 October 2017

हमारी दिवाली-हमारे पटाखे

बड़ा दुखित हैं मेरे हिन्दू वीर. कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगा दिया दिवाली पर. धर्म खतरे में आ गया. धर्मों रक्षति रक्षतः. व्हाट्स-एप्प और फेसबुक का जम कर प्रयोग हो रहा है, हिन्दुओं को जगाने में. मैंने सुना था कि लोगों ने ख़ुशी से घी के दीपक जलाए थे राम जी वापिस आये थे तो. दीपावली शब्द का अर्थ ही है दीपों की कतार. लेकिन पटाखे भी चलाये थे, यह तो मैंने नहीं सुना. शायद आविष्कृत भी नहीं हुए थे. चीन ने आतिश-बाज़ी का आविष्कार किया था शायद. नहीं, लेकिन यह कैसे हो सकता है? हम तो पुष्पक विमान, एटम बम तक खोज चुके थे. निश्चित ही आतिश-बाज़ी भी हमारी खोज है. पटाखे निश्चित ही हम ने चलाए थे, जब राम जी लौटे थे तो. लेकिन वाल्मीकि रामायण तो कहती है कि राम के आगमन पर सारा ताम-झाम भरत की आज्ञा से शत्रुघ्न ने करवाया था, लेकिन उसमें पटाखों का तो कोई ज़िक्र नहीं है. रास्तों के खड्डे भरे गए थे, उन पर पानी छिड़का गया था, फूल बिखेरे गए थे. घरों पर झंडे लगाए गए थे और स्वागत में गण्य-मान्य लोगों के साथ गणिकाएं (वेश्याएँ) तक खड़ी की गयीं थी राम के स्वागत में. सो यह बकवास भूल जायें कि लोग राम के आगमन पर खुश थे और स्वयमेव घरों के बाहर घी के दीपक जला रहे थे. कहीं नहीं लिखा कि लोगों ने खुद घी के दीपक जलाये थे, पटाखे चलाना तो दूर की बात. सब गाजा-बाजा सरकारी हुक्म से था मित्रवर. नीचे वाल्मीकि रामायण के सन्दर्भ दिए हैं, अंग्रेज़ी में है, हिंदी में मिले तो दे दीजियेगा. चेप देंगे वो भी. कुल बात इतनी कि कोर्ट ने जो कहा है सही कहा है, दूसरा अगर भूतिया है तो खुद सुपर-भूतिया नहीं बनना चाहिए, बल्कि अपना भुतियापा खत्म करना चाहिए ताकि वो भी सही रास्ते पर अग्रसर हो. संघ अग्रसर. यह, "हम तो डूबेंगे तुझे भी ले डूबेंगे", वाली पालिसी छोड़ दीजिये. अगले बच्चे पैदा करे जाते हैं तो हम भी लाइन लगा देंगे. अगले नालियां खून से भर देते हैं हर साल जानवर काट-काट, हम भी गंद डालेंगे. यह भुतियापे का गुणनफल है. छोड़ दीजिये. अन्यथा वो कुदरत जब बदला लेगी तो हिन्दू-मुस्लिम नहीं देखेगी, सबकी लेगी..जान. चूँकि आप भी अपने भुतियापों में कोई फर्क नहीं छोड़ रहे, एक दूजे से बढ़-चढ़ के कर रहे हैं. आप समझो-न समझो, समझाना मेरा फर्ज़ है. बाकी आप जानो, आपकी मर्ज़ी है-आपका मर्ज़ है. "Hearing the news of a great happiness from Hanuma, Bharata the truly brave ruler and the destroyer of enemies, commanded (as follows) to Shatrughna, who too felt delighted at the news." ६-१२७-१ "Let men of good conduct, offer worship to their family-deities, sanctuaries in the city with sweet-smelling flowers and to the accompaniment of musical instruments." ६-१२७-२ "Let bards well-versed in singing praises and Puranas (containing ancient legends, cosmogony etc.) as also all panegyrists, all those proficient in the use of musical instruments, PROSTITUTES all collected together, the queen-mothers, ministers, army-men and their wives, brahmanas accompanied by Kshatriyas (members of fighting class), leaders of guilds of traders and artisans, as also their members, come out to see the moon-like countenance of Rama." ६-१२७-३/ ६-१२७-४ "Hearing the words of Bharata, Shatrughna the destroyer of valiant adversaries called together, laborers working on wages, numbering many thousands and dividing them into gangs, ordered them (as follows):६-१२७-५ "Let the CAVITIES on the path from Nandigrama to Ayodhya be levelled. Let the rough and the even places be made flat."६-१२७-६ "Let the entire ground be sprinkled with ice-gold water. Let some others strew it all over with parched grains and flowers."६-१२७-७ "Let the streets in Ayodhya, the excellent City, be lined with flags. Let the dwellings (on the road-side) be decorated, till the time of rising of the sun."६-१२७-८ Hahahahah...... does not it seem modern day politics? नमन....तुषार कॉस्मिक

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