अगर आप चाहते हैं कि भाजपा को अगले चुनाव में पिछली बार जैसी जीत न मिल पाए तो एक तरीका है.....आपको मोदी भक्तों (चाहे असली-चाहे नकली) द्वारा फैलाए गए तर्कों-कुतर्कों के खिलाफ बेहद शालीनता से, तर्कों से, आंकड़ों से, सबूतों से भरी पोस्ट सोशल मीडिया पर फैलानी चाहिए. संघ-भक्तों से कैसे भी विवाद में मत पड़िए, कुछ फायदा नहीं, मात्र समय और ऊर्जा खराब होगी. बस इनकी पोस्टों को इन्हीं के खिलाफ प्रयोग कीजिये.
लेकिन आपको यह सब करने का हक़ तभी है जब आप किसी भी और धर्म के ठेकेदार न हों. यदि आप मुस्लिम हैं, सिक्ख हैं, ईसाई हैं या फिर कोई भी और धर्मो को कस के पकड़े हैं तो फिर रहने दीजिये क्यों कि यह सलाह सिर्फ उनके लिए है, जिनका धर्म-कर्म क्रिटिकल थिंकिंग, तार्किक वैचारिकता फैलाना है न कि कोई ख़ास धर्म-ध्वजा फहराना.
यह सलाह उनके लिए है जो संघ-भक्ति ही नहीं सब तरह की भक्ति-पैरोकारी के खिलाफ बोलने-लिखने की हिम्मत रखते हों.
यह सलाह उनके लिए है जो लिख सके कि इस्लाम, सिक्खी, ईसाईयत और अन्य सब तरह के तथा-कथित धर्म इंसानी दिमाग की सोचने-समझने की शक्ति हर लेते हैं चूँकि हर धर्म इंसानी सोच को किसी किताब या किसी इंसान का गुलाम बनाता है. हर धर्म छद्म गुलामी है.
और अगर आप यह सब नहीं कर सकते तो अकेले संघ के खिलाफ़ डुग-डुगी अगर पीटेंगे तो आप में और संघ-भक्तों में कोई फर्क थोड़ा है. बस ट्रेड-मार्क अलग है. जैसे ज़हर की अलग-अलग शीशियाँ सजा के रखी हों दूकान में. अलग-अलग ब्रांड की. कोई तुरत असर करती हो, कोई दो दिन में कोई दो साल में और किसी का असर इतना धीमा हो कि ज़हर पकड़ में ही न आये. बस इतना ही फर्क है.
कहाँ खड़े हैं आप? देख लीजिये.
नमन...तुषार कॉस्मिक
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