Monday, 16 October 2017

मीठे-2 फॉरवर्डड मेसेज

बिटिया पूछ रही थी, "आजकल व्हाट्स-एप्प और फेसबुक पर इतनी मीठी-मीठी परोपकार और पारस्परिक भाईचारे की बातें लोग भेजते हैं एक-दूसरे को लेकिन इस सब से असल ज़िन्दगी में तो कोई फर्क आया लगता नहीं. लोग खूब चालाकी, होशियारी, धोखा-धड़ी करते हैं. ऐसा क्यों है?" "बिटिया, लोगों के फैसले उनकी ज़रूरतें तय करती हैं न कि इस तरह के फॉरवर्ड किये गए मीठे मेसेज. करना उन्होंने वही है जिससे उनकी ज़रूरत पूरी होती हो. और ज़रूरतें बिना चालबाज़ी किये पूरी हो जायें, वैसा समाज अभी तो बनने नहीं जा रहा, चूँकि वैसे समाज के लिए बदलाव की प्रक्रिया को समझने तक की भी औकात नहीं इन फसबुकियों और व्हाट्स-एप्पियों की." "तो फिर आप क्यों लिखते हो सोशल मीडिया पर?" "वैसे ही. शायद कोई चमत्कार हो जाए."

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