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फिलोसोफी की लड़ाई

अगर तुम्हें लगता है कि ये कोई तीर तलवार की जंग थी तो तुम गलत हो. अगर तुम्हें लगता है कि ये कोई तोप बन्दूक की लड़ाई है तो तुम गलत हो. अगर तुम्हें लगता है कि ये कैसे भी अस्त्र-शस्त्र की लड़ाई है तो तुम गलत हो. न...न......फिलोसोफी की लड़ाई है...आइडियोलॉजी की लड़ाई है.....ये किताब की लड़ाई है.....ये तो शास्त्र की लड़ाई है.. ये कुरआन और पुराण की लड़ाई है......दोनों तुम्हारी अक्ल पर सवार हैं सवार है कि किसी भी तरह तुम्हारी अक्ल का स्टीयरिंग थाम लें. सिक्खी में तो कहते है कि जो मन-मुख है वो गलत है और जो गुर-मुख है वो सही है.....तुम्हे पता है पंजाबी लिपि को क्या कहते हैं? गुरमुखी. मतलब आपका मुख गुरु की तरफ ही होना चाहिए...... असल में हर कोई यही चाहता है. इस्लाम तो इस्लाम से खारिज आदमी को वाजिबुल-कत्ल मानता है....समझे? क्या है ये सब? इस सब में तुम्हें लगता है कि 42 सैनिक मारे जाने कोई बड़ी बात है? इतिहास उठा कर देखो. लाल है. और वजह है शास्त्र. दीखता है तुम्हें अस्त्र.शस्त्र. चूँकि तुम बेवकूफ हो. चूँकि जब शास्त्र पर प्रहार होगा तो तुम्हारी अपनी अक्ल पर प्रहार होगा...वो तुम पर ...

विज्ञान_धर्म_और_हम

वैसे तो प्लास्टिक भी विज्ञान से आता है लेकिन प्लास्टिक या विज्ञान ये थोड़ी न कह रहा है कि प्लास्टिक प्रयोग होना ही चाहिए. कार भी विज्ञान से आती है, लेकिन अगर ड्राईवर गधा चलाने जितनी भी अक्ल न रखता हो और एक्सीडेंट कर दे तो गलती विज्ञान की है या ड्राईवर की ? एक मित्र कह रहे थे कि धर्म के विदा होने से कोई लाभ नहीं होगा....आदमी हिंसक इसलिए है चूँकि वो काम/क्रोध/लोभ आदि से बंधा है सो मानव-समस्याओं की असल वजह धर्म नहीं हैं. अरे, इन्सान तो है ही जानवर. बात यह है कि जंगल से यहाँ तक उसने सही सफर भी किया है और गलत भी. ज्ञान/ समाज विज्ञान / मनोविज्ञान / चिकित्सा विज्ञान..... यह विज्ञान... वह विज्ञान.... इन्सान अगर सब तरफ से वैज्ञानिक हो जाये तो उसके लोभ / मोह आदि को भी सही दिशा दी जा सकती है. फिर क्या दिक्कत है? दिक्कत हैं ये धर्म! उदाहरण है कोई भी रेड लाइट. रेड लाइट अगर सही है तो सब सही चलेंगे/अगर खराब है तो सब इडियट हो जायेंगे. पॉइंट यह है कि इन्सान तो है जानवर, जंगली, कंक्रीट के जंगल का वासी.....लेकिन हमने जो भी विज्ञान विकसित किया है वो बहुत, बहुत हमारे जीवन क...

धर्म बेकार है. अक्ल इससे बेहतर है

हम कहते हैं वसुधैव कुटुम्बकम, बहुत अच्छी बात है. लेकिन वसुधा की तो वाट लगा रखी है हमने. कल अगर यह धरा जलने लगे, पिघलने लगे और हमें कोई ग्रह मिल जाए तो क्या जो लोग भी जा पाएं, उनको वहां जाना चाहिए कि नहीं; फिर कैसे रहेगी वसुधा हमारी कुटुम्ब. और अगर बहुत से लोगों को बचाने के लिए इसे किसी की बली भी देनी पड़े तो भी जायज़ समझा जा सकता है. तो इस तरह सब कुछ वक्त / ज़रूरत / दिशा-दशा / टाइम-स्पेस के अनुसार ही तय किया जा सकता है। और क्या तय करना है, वही अक्ल का रोल है। तो धर्म शब्द बेकार है. अक्ल इससे बेहतर शब्द है. धर्म का connotation मन्दिर, मस्जिद, चर्च...पंडित, ग्रन्थी, मौलवी इत्यादि को लिए खड़ा है....ईश्वर/अल्लाह को लिए खड़ा है......क़ुरान/पुराण को लिए खड़ा है. असल में बस अक्ल ही सही शब्द है. धर्म शब्द त्याग देने योग्य है. कर्तव्य क्या है, कानून क्या है यह सब अक्ल से तय करना चाहिए. हमअक्ल से ही कानून भी बदल लेते हैं.अक्ल से ही हम नियम भी बदल लेते हैं. संविधान / विधान सब बदलते हैं. एक तरफ की सड़क बंद कर देते हैं. फिर खोल देते हैं. नियम/कायदे/कानून में बदलाव करते हैं...और अगर नियम गलत हो तो उसका विद...

गुरु गोबिंद सिंह

आज मेरे दफ्तर में बात कर रहा था मैं. राज कुमार मित्तल थे और भी मित्र थे. गुरु गोबिंद सिंह. कोई दिन त्यौहार नहीं है उनसे जुड़ा. लेकिन मुझे बहुत याद आते हैं. बावजूद इसके कि मैं धर्म/दीन/ मज़हब/सम्प्रदाय को गलत मानता हूँ और उन्होंने खालसा का निर्माण किया था. "सब सिक्खन को 'हुक्म' है, गुरु मान्यों ग्रन्थ" कहा था. मैं सख्त खिलाफ हूँ उनके इस काम से. लेकिन. लेकिन फिर भी मन में उनके लिए अपार सम्मान है.  आम इन्सान कैसे जीता है? शादी करेगा. बच्चे करेगा. फिर उनकी शादी करेगा. फिर वो बच्चे करेंगे. खायेगा. पीएगा. सेक्स करेगा. और मर जाएगा. अमीर थोड़ा अच्छे लेवल पे करेगा और गरीब थोड़ा हल्के लेवल पे. लेकिन अमीर हो गरीब हो, हर इन्सान यही करेगा.  गोबिंद सिंह. गुरु गोबिंद सिंह. गुरु शब्द का अर्थ है जिसमें गुरुता हो, गुरुत्व हो, भारीपन हो. गुरु वो इसलिए हैं कि मेरी नज़र में वो वाकई भारी व्यक्तित्व हैं.  तो गुरु गोबिंद सिंह. उन्होंने अपने पिता को कुर्बान कर दिया. चारों बेटों को कुर्बान कर दिया. और खुद को कुर्बान कर दिया. किस लिए? हिन्दू के लिए? न. न. उनको क्या हिन्दू से मतलब?  भाई कन्...

न्यूज़ीलैंड में मुस्लिमों का कत्ल

मुझे दुःख है कि न्यूज़ीलैंड में मुस्लिम मारे गए. लेकिन क्या मुस्लिम ने यह सोचा कि जब से इस्लाम आया तब से आज तक कितने गैर-मुस्लिम मुस्लिम ने मार दिए इस्लाम की वजह से?  कितने मुस्लिम मार दिए यह समझते हुए कि असल इस्लाम उसका है सामने वाले का नहीं?  कितने शहर उजाड़ दिए? कितनी Library जला दी चूँकि कुरान के अलावा सब किताब बेकार है? कितनी औरतें सेक्स-गुलाम बना ली गईं चूँकि उनका शौहर/भाई/बाप जंग हार गया था ?  हो सकता है इस्लाम यह सब न सिखाता हो. लेकिन दुनिया क्यों कत्ल-बलात्कार-आगजनी का शिकार हो चूँकि कोई भटके हुए लोगों ने इस्लाम को सही-सही नहीं समझा? किसी की नासमझी के लिए कोई क्यों जान दे? बलात्कार का शिकार क्यों हों? और वैसे मुझे तो यह ही शंका है कि ये तथा-कथित शांति-वादी  लोग कुछ गलत समझते हैं कुरान को.  मुझे लगता है कि यही लोग सही-सही समझते हैं कुरान को चूँकि क़ुरान सीधा आदेश देता है गैर-मुस्लिम के खिलाफ.  सो जब मुस्लिम ज़हर उगल रहे  हैं उनके खिलाफ जो ख़ुशी मना रहे हैं न्यूज़ीलैंड में मारे गए मुस्लिमों की मौत पर, तो जरा ठीक-ठीक समझें कि यह ख़ुशी अ...

जवाब--- इस्लामिक वार का

"जवाब--- #इस्लामिक वार का" इस्लाम तलवार और सलवार दोनों से फैलाया जाता है. बाकी #धर्म भी विदा होने चाहिए लेकिन उनसे तर्क किया जा सकता है लेकिन कुरान चूँकि तर्क नहीं, सीधी हिंसा का आदेश देता है इस्लाम न मानने वालों के खिलाफ तो उसे हिंसा और तर्क दोनों से जवाब दिया जाना चाहिए इस्लामिक आबादी तेज़ी से बढ़ी है, और यह भी बाकी दुनिया की गलती से है...जिन्होंने मूरखों की तरह इनकी आबादी बढ़ने दी......वैसे बाकी दुनिया भी यही कर रही थी....वंश-वृद्धि.....लेकिन जो गैर-मुस्लिम अब चालीस-पचास तक के हैं, उन्होंने फिर सीख लिया था कि आबादी नहीं बढ़ानी...मुसलमान ने नहीं सीखा...मेरे मित्र हैं कासिम भाई...पांच बच्चे हैं उनके...मेरे दो हैं (दो भी नहीं चाहता था, लेकिन श्रीमती के क्लेश के आगे झुकना पड़ा). सो अब कासिम भाई के बच्चे अगर आगे दो-दो बच्चे पैदा करेंगे तो अगले बीस-पचीस वर्षीं में उनका वंश में मेरे वंश से अढाई गुना हो चुका होगा. यह है फर्क.  #इस्लाम में जितना मर्ज़ी मतभेद हो....कुरान पर सब एक हैं इस्लाम को सिर्फ एक ही नज़रिए से देखना चाहिए और वो है कुरान और इतिहास.....दोनों खून से लाल हैं ...
मैं सहमत हूँ कि राहुल गाँधी पप्पू है. "पप्पू काँट डांस साला." लेकिन मोदी क्या है? वो कोई जीनियस है? क्या इन्वेंट किया है उसने? रामलीला की स्टेज पर मोटे-मोटे dialogue फेंकने वाला स्थूल किस्म का कलाकार है वो. इससे ज्यादा कुछ नहीं. उसके भाषण उठा कर देख लो. एक से एक तथ्यात्मक गलतियाँ पाओगे. उसे समाज विज्ञान-राजनीति विज्ञान का क-ख-ग भी नहीं आता. भारत का दुर्भाग्य है कि यहाँ अभी राजनीति की जगह सिर्फ "ब्रांडिंग" चल रही है. जनतन्त्र की जगह धनतंत्र चल रहा है. ज़्यादा एक्साइट मत होईये. कुछ नहीं बदलेगा, चुनाव के बाद भी. उस मुकाबले कुछ भी नहीं जो बदल सकता है. जिसके बदलने की पूरी सम्भावना वर्तमान लिए खड़ा है लेकिन तुच्छ राजनीती जिसे अटकाए है. वो इसलिए चूँकि समाज की सोच-समझ तुच्छ है. वो इसलिए चूँकि आम जन की सोच-समझ तुच्छ है. तुछिये. तुचिए लोग. "यथा प्रजा, तथा राजा."

रोबोटी-करण

मैंने गुरु गोबिंद सिंह के विषय में एक लेख लिखा था पीछे.  मैं उनका प्रशंसक हूँ. दुनिया में चंद महान लोगों में से मुझे वो नज़र आते हैं.  लेकिन उन्होंने खालसा का निर्माण किया. यह मुझे हमेशा उलझन में डालता है. शायद इस्लामिक आक्रमण का मुकाबला करने के लिए उस समय यही ज़रूरी लगा होगा उनको. आपको दुश्मन का मुकाबला करने के लिए कई बार उसके स्तर पर उतरना पड़ता है, कुछ-कुछ उसके जैसा होना पड़ता है. इसलिए सिक्खी को जन्म दे गए गुर साहेब. न चाहते हुए भी. "आपे गुर, आपे चेला" कह गए लेकिन फिर "सब सिक्खन को हुकम है, गुरु मान्यों ग्रन्थ" भी कह गए. अब हुक्म को मानने से तो गुलाम ही पैदा होते हैं. आज़ाद-ख्याल इन्सान नहीं.  पीछे खबर थी कि गुरुद्वारा कमेटी के मेम्बरान की दाढ़ियों को धोया जायेगा, उनका केमिकल टेस्ट होगा...अगर उनकी दाढ़ियों में से कलर निकला तो उनको निष्कासित कर दिया जीएगा.  अल्लाह! और पीछे मैंने देखा, तिलक नगर में .लड़की दाढ़ी-मूंछ के साथ. फिर लिपस्टिक भी लगी थी और कटार भी पहनी थी. सिक्खी केशों से ही तो निभेगी.  वल्लाह!! और पीछे सुना था कि "तुन्नी ते मुन्नी नहीं चल्लेगी...

दुनिया दो हिस्सों में बाँट दी मोहम्मद साहेब ने. "मुसलमान और बे-ईमान"

दुनिया दो हिस्सों में बाँट दी मोहम्मद साहेब ने. "मुसलमान और बे-ईमान"

इक जंग है. आसमानी और ज़मीनी किताबों के बीच. आसमानी किताबें हावी हैं. और ज़मीन को जहन्नुम बना रखा है.

इक जंग है.  आसमानी और ज़मीनी किताबों के बीच.  आसमानी किताबें हावी इक जंग है.   आसमानी और ज़मीनी किताबों के बीच.  आसमानी किताबें हावी हैं.  और ज़मीन को जहन्नुम बना रखा है.  हैं.  और ज़मीन को जहन्नुम बना रखा है.
लाइब्रेरी-- यह इकलौती जगह है जो पवित्र कहलाने लायक है. वरना तुम्हारे मन्दिर-मस्जिद तो सडांध मारते हैं. वो सुंदर हैं. वहां धूप-अगरबत्ती की सुगंध हो सकती है. लेकिन वहां वैचारिक सड़ांध हैं. चूँकि विचार की वहां रोज़, हर पल हत्या की जाती है. और लाइब्रेरी विचार की ख़ुराक है. विचार को जीवन देती है. लंगर चलाने वाल इडियट हैं. लाइब्रेरी चलाने वाले महान हैं. नमन.

Thanus- थेनस

Thanus की ज़रूरत है दुनिया को. Thanus क्या करता है?  हर प्लेनेट की आधी आबादी साफ़ करता है. चूँकि आबादी अगर बिना किसी रोक के बढ़ती गई तो प्लेनेट को ही साफ़ कर देगी. उसके प्लेनेट पर ऐसा ही हुआ होता है. उसे पता है कि धरती पर भी ऐसा ही होगा. वो हीरो है मेरी नज़र में. इन्सान जिस तरह का है, उसे जीने का कोई हक़ नहीं है. मुझे अक्सर लोगों की मौत पर कोई अफ़सोस नहीं होता. जिनकी मौत पर मैं अफ़सोस ज़ाहिर करने जाता हूँ उनकी मौत पर भी नहीं. कीड़े-मकौड़े हैं, मर गए तो अच्छा ही हुआ. क्या फर्क पड़ता है? इन्होने किया क्या इस दुनिया की बेहतरी के लिए? खाया-पीया, हगा-मूता और ढेर बच्चे पैदा किये. सब इडियट. अगर नहीं मरेंगे तो धरती को चूस जायेंगे. इनका मरना शुभ है. Thanus इसलिए हीरो है चूँकि वो धरती को इन्सान रूपी जोंक से आज़ाद करवाना चाहता है. हाँ, उसे थोड़ा और एडवांस होना चाहिए. थोड़ा सेलेक्टिव. कचरा ही साफ़ करे. बुद्धिमान, कलाकार रख ले. बाकी जाने दे. कोई बात नहीं. आगे वो या उसका कोई और पैरोकार ऐसा कर सकता है. नमन...तुषार कॉस्मिक
इन्सान दुनिया का सबसे मूर्ख जानवर है.  विदाई का वक्त नजदीक है.  "जय श्री थेनस"
There are things which "you do not know". AND There are things about which "you do not know that you do not know."
सवाल---तुषार, सो रहा है तू? जवाब-- हाँ, गहरी नींद में हूँ. सवाल--- आ गए आप? जवाब-- नहीं, पीछे बाज़ार में छूट गया. सवाल--- हेल्लो, हेल्लो, आवाज़ आ रही है? जवाब-- नहीं, नहीं, बिलकुल नहीं आ रही.