"जवाब--- #इस्लामिक वार का"
इस्लाम तलवार और सलवार दोनों से फैलाया जाता है.
बाकी #धर्म भी विदा होने चाहिए लेकिन उनसे तर्क किया जा सकता है लेकिन कुरान चूँकि तर्क नहीं, सीधी हिंसा का आदेश देता है इस्लाम न मानने वालों के खिलाफ तो उसे हिंसा और तर्क दोनों से जवाब दिया जाना चाहिए
इस्लामिक आबादी तेज़ी से बढ़ी है, और यह भी बाकी दुनिया की गलती से है...जिन्होंने मूरखों की तरह इनकी आबादी बढ़ने दी......वैसे बाकी दुनिया भी यही कर रही थी....वंश-वृद्धि.....लेकिन जो गैर-मुस्लिम अब चालीस-पचास तक के हैं, उन्होंने फिर सीख लिया था कि आबादी नहीं बढ़ानी...मुसलमान ने नहीं सीखा...मेरे मित्र हैं कासिम भाई...पांच बच्चे हैं उनके...मेरे दो हैं (दो भी नहीं चाहता था, लेकिन श्रीमती के क्लेश के आगे झुकना पड़ा). सो अब कासिम भाई के बच्चे अगर आगे दो-दो बच्चे पैदा करेंगे तो अगले बीस-पचीस वर्षीं में उनका वंश में मेरे वंश से अढाई गुना हो चुका होगा. यह है फर्क.
#इस्लाम में जितना मर्ज़ी मतभेद हो....कुरान पर सब एक हैं
इस्लाम को सिर्फ एक ही नज़रिए से देखना चाहिए और वो है कुरान और इतिहास.....दोनों खून से लाल हैं
श्रीमन, मेरा कोई धर्म/ दीन/ मज़हब नहीं है....और चूँकि मैं इन्सान हूँ तो इस लिहाज़ से सारी इंसानियत मेरी है और इस इंसानियत की सारी मूर्खातायें भी मेरी हैं...सो अब धर्म मेरे हैं.
आपको फर्क बताता हूँ..बाकी धर्मों में और इस्लाम में....आपको कोई जैन, बौद्ध, हिन्दू, सिक्ख नहीं मिलेगा बम्ब बन कर फटता हुआ........बहुत कम, इक्का दुक्का.........आपको मिलेगा मुसलमान.........इस्लाम में कायदे क़ानून सामाजिक व्यवस्था सब अंतर-निहित है जो बाकी दुनिया के ज्ञान/ विज्ञान/ सोच/ समझ से अलग-थलग है और इस्लाम में इस्लाम को मनवाने की जबरदस्ती भी है......सो सबसे ज्यादा जोर इस्लाम के खात्मे पर लगाना होगा........जनसंख्या कण्ट्रोल करनो होगी मुसलामानों की....और इस्लामिक सोच-समझ-कुरान सब मान्यताओं को तर्क में लाकर छिन्न-भिन्न करना होगा.
और बाकी धर्मों के साथ भी यही करना होगा...लेकिन इस्लाम चूँकि ज्यादा हिंसक है, जनसंख्या-वर्धक है, विस्तारवादी है सो उसके साथ ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी
इस समय सबसे बड़ा खतरा इस्लाम है...इस्लाम बड़ी वजह है कि इन्सान वैज्ञानिक सोच इंसान से दूर है.....सब लोग इस्लाम की वजह से अपनी-अपनी बकवास मान्यताओं को और कस के पकड़े बैठे हैं.
इस्लाम का मुकाबला तभी होगा जब तलवार,सलवार और विचार तीनों तरफ से मुकाबला किया जाये
और एक बात....जब आप इस लेख के विरुद्ध तर्क दें तो किसी भी और धर्म की कमियों से इस्लाम को बैलेंस करने का प्रयास न करें. किसी भी और ग्रुप की मान्यता कितनी ही गलत हो उससे आप सही साबित नहीं होते....आपका गलत होना अपनी जगह होता है....गलत को गलत से सही साबित नहीं किया जा सकता
रेफरेन्स के लिए कुरान का लिंक दिया है, ज़रूर पढ़ें और अपने दोस्तों, बच्चों, परिवार सबको पढवाएं. अक्ल होगी तो अक्ल ठिकाने आ जाएगी. नहीं होगी तो अक्ल आ जाएगी.
https://quran.com/8/12
एक और लिंक दे रहा हूँ. यह वेबसाइट इस्लामिक जिहाद के नाम पर जो आये दिन हमले होते हैं, गैर-मुस्लिम का क़त्ल होता है उसका लेखा-जोखा रखती है. विजिट ज़रूर करें. आंख-नाक-कान खुल जायेंगे.
https://www.jihadwatch.org/
दो लिंक दिए हैं...वेरीफाई करें.......एक है जिसमें क़ुरान गैर-मुस्लिम के खिलाफ मार-काट का आदेश देती हैं....दूसरा है जो यह बताता है कि जिहाद के नाम पर रोज़ कितने लोग मारे जा रहे हैं.....सीधा सबूत.
भाई...क़ुरान आसमान से उतरी है.....अल्लाह मियां ने भेजी है....एक हर्फ़ इधर से उधर नहीं हो सकता,,,,,और मोहम्मद अल्लाह के दूत हैं, उनसे कुछ गलत नहीं हो सकता...सो कैसी समीक्षा? बुद्धि को ताला लगा तो अल्लाह-ताला आपके. जन्नत आपकी. यह है इस्लाम. कैसे होगी समीक्षा?
नमन...तुषार कॉस्मिक
शेयर करने के लिए कॉपी पेस्ट करें...नाम समेत..... थन्कू
इस्लाम तलवार और सलवार दोनों से फैलाया जाता है.
बाकी #धर्म भी विदा होने चाहिए लेकिन उनसे तर्क किया जा सकता है लेकिन कुरान चूँकि तर्क नहीं, सीधी हिंसा का आदेश देता है इस्लाम न मानने वालों के खिलाफ तो उसे हिंसा और तर्क दोनों से जवाब दिया जाना चाहिए
इस्लामिक आबादी तेज़ी से बढ़ी है, और यह भी बाकी दुनिया की गलती से है...जिन्होंने मूरखों की तरह इनकी आबादी बढ़ने दी......वैसे बाकी दुनिया भी यही कर रही थी....वंश-वृद्धि.....लेकिन जो गैर-मुस्लिम अब चालीस-पचास तक के हैं, उन्होंने फिर सीख लिया था कि आबादी नहीं बढ़ानी...मुसलमान ने नहीं सीखा...मेरे मित्र हैं कासिम भाई...पांच बच्चे हैं उनके...मेरे दो हैं (दो भी नहीं चाहता था, लेकिन श्रीमती के क्लेश के आगे झुकना पड़ा). सो अब कासिम भाई के बच्चे अगर आगे दो-दो बच्चे पैदा करेंगे तो अगले बीस-पचीस वर्षीं में उनका वंश में मेरे वंश से अढाई गुना हो चुका होगा. यह है फर्क.
#इस्लाम में जितना मर्ज़ी मतभेद हो....कुरान पर सब एक हैं
इस्लाम को सिर्फ एक ही नज़रिए से देखना चाहिए और वो है कुरान और इतिहास.....दोनों खून से लाल हैं
श्रीमन, मेरा कोई धर्म/ दीन/ मज़हब नहीं है....और चूँकि मैं इन्सान हूँ तो इस लिहाज़ से सारी इंसानियत मेरी है और इस इंसानियत की सारी मूर्खातायें भी मेरी हैं...सो अब धर्म मेरे हैं.
आपको फर्क बताता हूँ..बाकी धर्मों में और इस्लाम में....आपको कोई जैन, बौद्ध, हिन्दू, सिक्ख नहीं मिलेगा बम्ब बन कर फटता हुआ........बहुत कम, इक्का दुक्का.........आपको मिलेगा मुसलमान.........इस्लाम में कायदे क़ानून सामाजिक व्यवस्था सब अंतर-निहित है जो बाकी दुनिया के ज्ञान/ विज्ञान/ सोच/ समझ से अलग-थलग है और इस्लाम में इस्लाम को मनवाने की जबरदस्ती भी है......सो सबसे ज्यादा जोर इस्लाम के खात्मे पर लगाना होगा........जनसंख्या कण्ट्रोल करनो होगी मुसलामानों की....और इस्लामिक सोच-समझ-कुरान सब मान्यताओं को तर्क में लाकर छिन्न-भिन्न करना होगा.
और बाकी धर्मों के साथ भी यही करना होगा...लेकिन इस्लाम चूँकि ज्यादा हिंसक है, जनसंख्या-वर्धक है, विस्तारवादी है सो उसके साथ ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी
इस समय सबसे बड़ा खतरा इस्लाम है...इस्लाम बड़ी वजह है कि इन्सान वैज्ञानिक सोच इंसान से दूर है.....सब लोग इस्लाम की वजह से अपनी-अपनी बकवास मान्यताओं को और कस के पकड़े बैठे हैं.
इस्लाम का मुकाबला तभी होगा जब तलवार,सलवार और विचार तीनों तरफ से मुकाबला किया जाये
और एक बात....जब आप इस लेख के विरुद्ध तर्क दें तो किसी भी और धर्म की कमियों से इस्लाम को बैलेंस करने का प्रयास न करें. किसी भी और ग्रुप की मान्यता कितनी ही गलत हो उससे आप सही साबित नहीं होते....आपका गलत होना अपनी जगह होता है....गलत को गलत से सही साबित नहीं किया जा सकता
रेफरेन्स के लिए कुरान का लिंक दिया है, ज़रूर पढ़ें और अपने दोस्तों, बच्चों, परिवार सबको पढवाएं. अक्ल होगी तो अक्ल ठिकाने आ जाएगी. नहीं होगी तो अक्ल आ जाएगी.
https://quran.com/8/12
एक और लिंक दे रहा हूँ. यह वेबसाइट इस्लामिक जिहाद के नाम पर जो आये दिन हमले होते हैं, गैर-मुस्लिम का क़त्ल होता है उसका लेखा-जोखा रखती है. विजिट ज़रूर करें. आंख-नाक-कान खुल जायेंगे.
https://www.jihadwatch.org/
दो लिंक दिए हैं...वेरीफाई करें.......एक है जिसमें क़ुरान गैर-मुस्लिम के खिलाफ मार-काट का आदेश देती हैं....दूसरा है जो यह बताता है कि जिहाद के नाम पर रोज़ कितने लोग मारे जा रहे हैं.....सीधा सबूत.
भाई...क़ुरान आसमान से उतरी है.....अल्लाह मियां ने भेजी है....एक हर्फ़ इधर से उधर नहीं हो सकता,,,,,और मोहम्मद अल्लाह के दूत हैं, उनसे कुछ गलत नहीं हो सकता...सो कैसी समीक्षा? बुद्धि को ताला लगा तो अल्लाह-ताला आपके. जन्नत आपकी. यह है इस्लाम. कैसे होगी समीक्षा?
नमन...तुषार कॉस्मिक
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