Sunday, 28 July 2019

Online मित्र

मतलब आभासी मित्र. मतलब ऐसे मित्र जो लगते हैं कि मित्र हैं लेकिन असल में होते नहीं, वो ज़िन्दगी से दूर जो  होते हैं. 

हम्म. मैं सहमत हूँ. 

पीछे बहुत बुरा वक्त गया, चूँकि पैसों कि बहुत किल्लत रही. अभी है. लेकिन मामला सम्भल चुका है. 

दशकों पुराने एक मित्र से दस हज़ार रुपये मांगे मैंने. असल में ज़रूरत तो कोई दो लाख की थी. लेकिन मुझे लगा मुझे कोई देगा नहीं इतने पैसे तो मैंने सोचा क्यों न दस-दस हज़ार करके भीख की तरह मांगूं और बीस लोगों से पैसे इकट्ठे करूं? 

खैर, डरते-डरते मांगे मैंने पैसे. उस पहले मित्र ने मना कर दिए. टूटती हिम्मत से दूसरे मित्र से मांगे, उसने भी मना कर दिए. तीसरे से मांगने की हिम्मत ही नहीं हुई. 

असल में ये लोग जानते थे मुझे, वो जानते थे कि मेरी औकात नहीं है दस हज़ार की भी. मैं ले तो लूँगा लेकिन लौटा नहीं पाऊंगा. और मेरे जैसे फटीचर इन्सान के साथ रिश्ता खोने का भी कोई गम तो था नहीं. सो उन्होंने दिमाग से काम लिया. 

अब कोई चारा ही न बचा. सो एक ऑनलाइन मित्र से गुहार लगाई. और बस बात बन गई. उस ऑनलाइन मित्र से चूँकि ऑनलाइन मित्रता थी, उसे तो पता नहीं था कि मेरी हैसियत लगभग जीरो है. सो उसने बेवकूफी कर दी. उस ने मुझे एक लाख कैश दिया और तो और अपने घर के कुछ जेवरात भी दे दिए. तकरीबन दो लाख जुटा लिए मैंने. 

मेरा काम चल गया.  मैंने सत्तर हज़ार लौटा भी दिए हैं. बाकी भी लौटा दूंगा. 

लेकिन मैं कहना यही चाहता हूँ कि सच में जो लोग कहते हैं कि ऑनलाइन यारी आभासी है, वो सही कहते हैं. मैं सबूत हूँ. उस आभासी मित्र को आभास कहाँ पता था मेरी बकवास हालात का? ऑफलाइन मित्र मेरे ज्यादा करीब थे, उनको पता था कि मुझे पैसे देना कूएं में पैसे फेंकने के बराबर था. 

वैसे मेरा समय एक दम से सही हो चुका है. मैं पहले भी लाखों की डील करता था और अब फिर से करने लगा हूँ. उस ऑनलाइन मित्र के पैसे अमानत हैं. लौटा दिए जायेंगे. 

लेकिन मैं सहमत हूँ कि ऑनलाइन मित्र सिर्फ आभासी होते हैं. उनको आभास होता है कि सामने वाला पता नहीं कितना महान है!  उसे पता ही नहीं कि एक क्लिक के साथ मित्रता खत्म हो जायेगी. पैसे लेने के बाद ब्लाक किया जा सकता है. या ऑनलाइन अकाउंट ही बंद किया जा सकता है. लेते रहो स्क्रीन शॉट. आप बंडल भर लिखवा लो कागज़ों के तो किसी का बाल बांका करना मुश्किल है भारत में, स्क्रीनशॉट से कितना कुछ होगा, शंका है. खैर, असलियत सिर्फ ऑफलाइन मित्रों को ही पता होती है. 

और जब मैं यह लिख रहा हूँ तो आंखें गीली हैं. मैं Salute करता हूँ मेरे ऑफलाइन मित्रों की समझ-दारी को. 

नमन...तुषार कॉस्मिक

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