लाइब्रेरी-- यह इकलौती जगह है जो पवित्र कहलाने लायक है. वरना तुम्हारे मन्दिर-मस्जिद तो सडांध मारते हैं. वो सुंदर हैं. वहां धूप-अगरबत्ती की सुगंध हो सकती है. लेकिन वहां वैचारिक सड़ांध हैं. चूँकि विचार की वहां रोज़, हर पल हत्या की जाती है. और लाइब्रेरी विचार की ख़ुराक है. विचार को जीवन देती है. लंगर चलाने वाल इडियट हैं. लाइब्रेरी चलाने वाले महान हैं. नमन.

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