रोबोटी-करण

मैंने गुरु गोबिंद सिंह के विषय में एक लेख लिखा था पीछे. 

मैं उनका प्रशंसक हूँ. दुनिया में चंद महान लोगों में से मुझे वो नज़र आते हैं. 

लेकिन उन्होंने खालसा का निर्माण किया. यह मुझे हमेशा उलझन में डालता है. शायद इस्लामिक आक्रमण का मुकाबला करने के लिए उस समय यही ज़रूरी लगा होगा उनको. आपको दुश्मन का मुकाबला करने के लिए कई बार उसके स्तर पर उतरना पड़ता है, कुछ-कुछ उसके जैसा होना पड़ता है. इसलिए सिक्खी को जन्म दे गए गुर साहेब. न चाहते हुए भी. "आपे गुर, आपे चेला" कह गए लेकिन फिर "सब सिक्खन को हुकम है, गुरु मान्यों ग्रन्थ" भी कह गए. अब हुक्म को मानने से तो गुलाम ही पैदा होते हैं. आज़ाद-ख्याल इन्सान नहीं. 

पीछे खबर थी कि गुरुद्वारा कमेटी के मेम्बरान की दाढ़ियों को धोया जायेगा, उनका केमिकल टेस्ट होगा...अगर उनकी दाढ़ियों में से कलर निकला तो उनको निष्कासित कर दिया जीएगा. 
अल्लाह!

और पीछे मैंने देखा, तिलक नगर में .लड़की दाढ़ी-मूंछ के साथ. फिर लिपस्टिक भी लगी थी और कटार भी पहनी थी. सिक्खी केशों से ही तो निभेगी. 
वल्लाह!!

और पीछे सुना था कि "तुन्नी ते मुन्नी नहीं चल्लेगी". मतलब जो दाढ़ी कटी होगी या रोल करके ठुंसी होगी, वो सिक्खी में नहीं चलेगी. 
माशा-अल्लाह!!!

"एक औंकार सतनाम" पर किसी ने डांस कर दिया तो उसके खिलाफ शिकायत हो गई.
सुभान-अल्लाह!!!!

वाह! वल्लाह!! माशा-अल्लाह!!! सुभान-अल्लाह!!!! क्या है यह सब? 

रोबोट. हर धर्म रोबोट पैदा करता है. कुछ ने मूंछ कटवा दी, दाढ़ी रख ली, कुछ दाढ़ी-मूंछ रखे हैं और केश भी, कुछ सर पर एंटीना लगाये घूम रहे हैं.

नमन...तुषार कॉस्मिक

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