मोमिन भाई अक्सर बड़े भोलेपन से पूछते हैं "अगर इस्लाम इत्ता ही बुरा है तो फिर इत्ती सारी दुनिया मुस्लिम क्यों है?"
इसके कई जवाब हैं.
१.मुस्लिम द्वारा जान-बूझ कर जनसंख्या वृद्धि.
२.इस्लाम का वन-वे-ट्रैफिक होना. अंदर तो जा सकते हैं, बाहर नहीं आ सकते. कत्ल कर दिए जायेंगे.
३.मुस्लिम लड़की का गैर-मुस्लिम से शादी की सख्त मनाही. मुस्लिम लड़के द्वारा गैर-मुस्लिम लड़की से शादी का स्वागत करना.
4.बच्चों को कुरान-इस्लाम घोंट के पिलाना. उन्हें मुस्लिम 'सोच' से नहीं 'सोच के कत्ल' से बनाना. (वैसे इस इस तरह की ना-इंसाफी सभी धर्म वाले करते हैं)
५.आदमी के औरत के मुकाबले कहीं ज्यादा हकूक होना---आसान तलाक, मल्टीप्ल शादी का हक़.
6. क़ुरान की आलोचना की सख्ती से मनाही. अगर आलोचना करोगे तो कत्ल कर दिए जाओगे. यानि आप सोच ही नहीं सकते कि कुरान में जो लिखा है वो सही है या गलत. आपको मानना ही है कि सब सही ही है.
७. लेकिन एक और कारण है. और वो यह है कि दुनिया में अक्ल कमानी पड़ती है. और इसमें पैसा कमाने जैसी ही मेहनत लगती है. अपने आपको तर्क और ज्ञान के औज़ारों से घड़ना पड़ता है. सालों लगते हैं. लोग पेट पालने से फुरसत पाएं तो ही तो अक्ल पालने तक पहुंचेंगे. तो अक्ल का आसान Substitute दीन/मज़हब/धर्म पकड़ा दिया जाता है. कि लो कोई डेढ़ हज़ार साल पहले सब अक्ल लगा गया है तुम्हारे लिए. लो पकड़ो यह किताब. यह आसमान से उतरी है. इसमें सब है. अब तुम्हें अक्ल लगाने की ख़ास ज़रूरत नहीं है. अक्ल लगाना लेकिन इस किताब में जो लिखा है उस घेरा-बंदी के बीच-बीच. उससे बाहर कुछ नहीं है. बस. मामला खत्म. अब उस किताब में सबसे ज़्यादा मूर्खताएं हैं. और अधिकांश लोग परले दर्ज़े के मूर्ख हैं. सो जोड़-मेल मिल गया. इसलिए अधिकांश लोग मुस्लिम हैं."
नमन...तुषार कॉस्मिक
इसके कई जवाब हैं.
१.मुस्लिम द्वारा जान-बूझ कर जनसंख्या वृद्धि.
२.इस्लाम का वन-वे-ट्रैफिक होना. अंदर तो जा सकते हैं, बाहर नहीं आ सकते. कत्ल कर दिए जायेंगे.
३.मुस्लिम लड़की का गैर-मुस्लिम से शादी की सख्त मनाही. मुस्लिम लड़के द्वारा गैर-मुस्लिम लड़की से शादी का स्वागत करना.
4.बच्चों को कुरान-इस्लाम घोंट के पिलाना. उन्हें मुस्लिम 'सोच' से नहीं 'सोच के कत्ल' से बनाना. (वैसे इस इस तरह की ना-इंसाफी सभी धर्म वाले करते हैं)
५.आदमी के औरत के मुकाबले कहीं ज्यादा हकूक होना---आसान तलाक, मल्टीप्ल शादी का हक़.
6. क़ुरान की आलोचना की सख्ती से मनाही. अगर आलोचना करोगे तो कत्ल कर दिए जाओगे. यानि आप सोच ही नहीं सकते कि कुरान में जो लिखा है वो सही है या गलत. आपको मानना ही है कि सब सही ही है.
७. लेकिन एक और कारण है. और वो यह है कि दुनिया में अक्ल कमानी पड़ती है. और इसमें पैसा कमाने जैसी ही मेहनत लगती है. अपने आपको तर्क और ज्ञान के औज़ारों से घड़ना पड़ता है. सालों लगते हैं. लोग पेट पालने से फुरसत पाएं तो ही तो अक्ल पालने तक पहुंचेंगे. तो अक्ल का आसान Substitute दीन/मज़हब/धर्म पकड़ा दिया जाता है. कि लो कोई डेढ़ हज़ार साल पहले सब अक्ल लगा गया है तुम्हारे लिए. लो पकड़ो यह किताब. यह आसमान से उतरी है. इसमें सब है. अब तुम्हें अक्ल लगाने की ख़ास ज़रूरत नहीं है. अक्ल लगाना लेकिन इस किताब में जो लिखा है उस घेरा-बंदी के बीच-बीच. उससे बाहर कुछ नहीं है. बस. मामला खत्म. अब उस किताब में सबसे ज़्यादा मूर्खताएं हैं. और अधिकांश लोग परले दर्ज़े के मूर्ख हैं. सो जोड़-मेल मिल गया. इसलिए अधिकांश लोग मुस्लिम हैं."
नमन...तुषार कॉस्मिक
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