Sunday, 28 July 2019

फिलोसोफी की लड़ाई

अगर तुम्हें लगता है कि ये कोई तीर तलवार की जंग थी तो तुम गलत हो.

अगर तुम्हें लगता है कि ये कोई तोप बन्दूक की लड़ाई है तो तुम गलत हो.

अगर तुम्हें लगता है कि ये कैसे भी अस्त्र-शस्त्र की लड़ाई है तो तुम गलत हो.

न...न......फिलोसोफी की लड़ाई है...आइडियोलॉजी की लड़ाई है.....ये किताब की लड़ाई है.....ये तो शास्त्र की लड़ाई है..

ये कुरआन और पुराण की लड़ाई है......दोनों तुम्हारी अक्ल पर सवार हैं

सवार है कि किसी भी तरह तुम्हारी अक्ल का स्टीयरिंग थाम लें.

सिक्खी में तो कहते है कि जो मन-मुख है वो गलत है और जो गुर-मुख है वो सही है.....तुम्हे पता है पंजाबी लिपि को क्या कहते हैं? गुरमुखी.

मतलब आपका मुख गुरु की तरफ ही होना चाहिए......

असल में हर कोई यही चाहता है.

इस्लाम तो इस्लाम से खारिज आदमी को वाजिबुल-कत्ल मानता है....समझे?

क्या है ये सब?

इस सब में तुम्हें लगता है कि 42 सैनिक मारे जाने कोई बड़ी बात है?

इतिहास उठा कर देखो. लाल है. और वजह है शास्त्र. दीखता है तुम्हें अस्त्र.शस्त्र. चूँकि तुम बेवकूफ हो.

चूँकि जब शास्त्र पर प्रहार होगा तो तुम्हारी अपनी अक्ल पर प्रहार होगा...वो तुम पर प्रहार होगा....वो तुम्हे बरदाश्त नहीं. इसलिए तुम नकली टारगेट ढूंढते हो.

अगर सच में शांति चाहते हो तो कारण समझो. तभी निवारण समझ में आयेगा.

कारण क़ुरान-पुराण-ग्रन्थ-ग्रन्थि है. ये सब विलीन करो. दुनिया शांत हो जाएगी. शांत ही है.

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